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हार गया फौजी बेटा - Novels
by Pradeep Shrivastava
in
Hindi Moral Stories
जब उसका दर्द मुझसे न देखा गया तो मैं उठकर चला गया उसके बेड के पास, जो न्यूरो सर्जरी वार्ड का बेड नंबर चार था। जिस पर वह छः फिट से भी ज़्यादा लंबा और मज़बूत ज़िस्म का जवान सुबह ही भर्ती हुआ था। आने के बाद से ही वह रह-रह कर दर्द से बिलबिला पड़ता था। उसकी गर्दन में, उसकी गर्दन से भी बड़ा हॉर्ड कॉलर लगा हुआ था। जो पीछे आधे सिर से लेकर कन्धे से नीचे तक था और आगे ठुड्डी से लेकर नीचे सीने तक। मैंने उसे अपना परिचय देकर पूछा ‘बेटा तुम्हें क्या हो गया है? तकलीफ बहुत ज़्यादा हो रही है क्या?’ उसने धीरे से आंखें खोलीं रत्तीभर गर्दन मेरी तरफ किए बिना ही नज़रें तिरछी कर मुझे देखा, फिर मुस्कुराने की असफल कोशिश करते हुए बोला-
हार गया फौजी बेटा - प्रदीप श्रीवास्तव भाग १ जब उसका दर्द मुझसे न देखा गया तो मैं उठकर चला गया उसके बेड के पास, जो न्यूरो सर्जरी वार्ड का बेड नंबर चार था। जिस पर वह छः फिट ...Read Moreभी ज़्यादा लंबा और मज़बूत ज़िस्म का जवान सुबह ही भर्ती हुआ था। आने के बाद से ही वह रह-रह कर दर्द से बिलबिला पड़ता था। उसकी गर्दन में, उसकी गर्दन से भी बड़ा हॉर्ड कॉलर लगा हुआ था। जो पीछे आधे सिर से लेकर कन्धे से नीचे तक था और आगे ठुड्डी से लेकर नीचे सीने तक। मैंने उसे
हार गया फौजी बेटा - प्रदीप श्रीवास्तव भाग 2 उस रात मैं बड़ी गहरी नींद सोया था। इसलिए नहीं कि मुझे सुकून का कोई कतरा मिल गया था। सोया तो इसलिए था क्योंकि नर्स ने मुझे गलती से नींद ...Read Moreदवा की डबल डोज दे दी थी। जिसकी खुमारी अगले दिन भी महसूस कर रहा था। हां अगले दिन शाम को तब मैंने बड़ा सुकून महसूस किया जब यह पता चला कि उस बहादुर फौजी का दो दिन बाद ऑपरेशन होगा। यह जानकर मैंने ईश्वर को हाथ जोड़कर धन्यवाद दिया कि चलो दो दिन बाद देश का होनहार बहादुर फौजी
हार गया फौजी बेटा - प्रदीप श्रीवास्तव भाग 3 सुबह साढ़े पांच बजे ही जाग गया। नर्स पूरे वार्ड के मरीजों का शुगर, बी.पी. चेक करने आ गयी थी। मेरे असाधारण रूप से बढ़े बी.पी. और शुगर को देखकर ...Read Moreने ताना मारा ‘अरे बाबा किसी बेटी की शादी करनी है क्या?जो रात भर में बी.पी., शुगर इतना ज़्यादा बढ़ा लिया।’ मैंने उसकी बात को अनसुना कर दिया। मेरा मन बस यह जानने को बेचैन था कि क्या हुआ फौजी बेटे का? मैंने समय का ध्यान न देते हुए नर्स के जाते ही उसके बहनोई को फ़ोन मिला दिया। बेहद
हार गया फौजी बेटा - प्रदीप श्रीवास्तव भाग 4 बूढ़ी आंतें भूख से ऐंठने लगीं, जब सहन शक्ति जवाब दे गई और उठने की भी शक्ति न रही तब बेशर्मों की तरह बड़ी बहू को आवाज़ दी। कई बार ...Read Moreदेने पर झनकती - पटकती आकर पूछा ‘क्या है?’ मैंने बताया सुबह से कुछ नहीं खाया बहुत भूख लगी है, खाना दो। इस पर वह भुनभुनाती हुई बोली ‘अब इस समय खाना कहां है, देखती हूं कुछ है क्या?’ थोड़ी देर में एक प्लेट में दो पराठा और करेला की भुजिया सब्जी नाममात्र को रख गई। एक गिलास पानी भी।
हार गया फौजी बेटा - प्रदीप श्रीवास्तव भाग 5 हम जल्दी ही वापस बाहर आकर अपनी खटिया पर बैठ गए। पिता भी मेरे साथ बैठे थे। हम दोनों बिल्कुल शांत थे। खाना-पीना सब खत्म होने के बाद बाहर पड़े ...Read Moreपर सब लेट गए। मेरा बिस्तर पिता के बगल में ही था। धुएं से मच्छरों का प्रकोप कम हो गया था। मगर जो थे वह परेशान करने के लिए काफी थे। एक छोड़कर बाकी सारी लालटेनें बुझा दी गयीं थीं। काली चादर हर तरफ गहरी हो चुकी थी। आसमान में चमकते तारे न जाने क्यों अचानक ही बचपन की ओर