Lahrata Chand book and story is written by Lata Tejeswar renuka in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Lahrata Chand is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
लहराता चाँद - Novels
by Lata Tejeswar renuka
in
Hindi Moral Stories
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' लहराता चाँद, (उपन्यास) सिर दर्द से फटा जा रहा था। आँखें भारी-भारी -सी लग रही थी। वह उठने की कोशिश कर रही थी पर उसकी पलकें हिलने से इनकार रहीं थीं। मुँह से पीड़ा भरी आवाज़ निकल रही थी। शरीर कष्ट से तड़प रहा था। आँखों से पानी निकलकर धूल में मिल रहा था। नाक से गरम साँसों के साथ पानी भी निकलने लगा था। आस-पास कहीं से एक अजीब सी दुर्गंध आ रही थी। वो दुर्गंध नाक से होकर फेफड़े पर असर कर रही थी, गाढ़े रसायन जैसी गंध थी वह। जैसे कि वह
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' लहराता चाँद, (उपन्यास) सिर दर्द से फटा जा रहा था। आँखें भारी-भारी -सी लग रही थी। वह उठने की कोशिश कर रही थी पर उसकी पलकें हिलने से इनकार रहीं थीं। मुँह से पीड़ा ...Read Moreआवाज़ निकल रही थी। शरीर कष्ट से तड़प रहा था। आँखों से पानी निकलकर धूल में मिल रहा था। नाक से गरम साँसों के साथ पानी भी निकलने लगा था। आस-पास कहीं से एक अजीब सी दुर्गंध आ रही थी। वो दुर्गंध नाक से होकर फेफड़े पर असर कर रही थी, गाढ़े रसायन जैसी गंध थी वह। जैसे कि वह
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 2 शादी के 2 साल के बाद डॉ.संजय ने खुद का एक क्लिनिक खोला। हड्डियों और नशों के बड़े से बड़े ऑपरेशन बहुत ही सजगता और आसानी से कर देते। लोग उसकी बहुत इज्जत ...Read Moreथे। लोगों का इलाज करने के साथ उसके नम्र व्यवहार और सृजनात्मक शैली से लोग प्रभावित होते थे। उसका सरल स्वभाव रोगियों से रिश्ता इस तरह जोड़ देते कि एक बार चिकित्सा के लिए आये रोगी उनकी एक स्पर्श से ही खुद को स्वस्थ महसूसने लगते थे। डॉ.संजय स्वतः एक कवि लेखक भी थे। 20 साल की उम्र में ही उनकी
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 3 माथेरान से लौटने के बाद से संजय को रम्या में बहुत बदलाव महसूस हुआ। कभी खोई-खोई नज़र आती तो कभी वह किसी भी छोटी-छोटी बातों से घबराने लगती। लोगों को डर और शक ...Read Moreनज़र से देखती। कभी खुद से बातें करने लगती जैसे कोई हर पल उसके साथ हों। कभी भय से काँप उठती और संजय का हाथ पकड़कर कहती संजय कोई मुझे तुमसे अलग करना चाहता है, कोई मुझे तुमसे छीन लेना चाहता है। जैसे खुद के चारों ओर कोई शिकारी जाल बिछाए बैठा हो, पलक झपकाने की देर उसे पकड़ ले
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 4 संजय ने आँख पोंछी। उसकी नज़र काँच के दरवाज़े से बाहर बग़ीचा की ओर थी। उस छोटी-सी बगिया में 8-10 साल की एक बच्ची उड़ती हुई एक तितली को पकड़ने की कोशिश कर ...Read Moreथी। वह धीरे से तितली के पीछे जाती जैसे की उसे हाथ लगाने को हाथ बढ़ाती तितली उड़ जाती, लेकिन वह बच्ची हार न मानते हुए फिर से उसके पीछे दबे पाँव पीछा करती। ऐसी ही तो हैं मेरी बेटियाँ, अवन्तिका और अनन्या इतने कम उम्र में उनकी माँ की बीमारी से उनकी बचपन पर क्या असर पड़ेगा? न जाने
लहराता चाँद लता तेजेश्वर 'रेणुका' 5 अनन्या जब 14 साल की हुई तब संजय की गाड़ी दुर्घटना ग्रस्त हो गई। गाड़ी की दुर्घटना से उसकी जिंदगी में जो भी कुछ खुशियाँ बची थी वह भी काँच के टुकड़े की ...Read Moreटूट कर बिखर गई। शायद संजय की जीवन में खुशियों के पल कुछ कम ही लिखे थे भगवान ने। उस दिन संजय सुबह उठते ही रम्या को पास न पाकर इधर-उधर देखा। यूँ तो रम्या रोज़ सुबह उठ जाती थी। बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करना जो पड़ता था। लेकिन उस दिन रविवार था और संजय ने रात को