Lahrata Chand - 4 PDF free in Moral Stories in Hindi

लहराता चाँद - 4

लहराता चाँद

लता तेजेश्वर 'रेणुका'

4

संजय ने आँख पोंछी। उसकी नज़र काँच के दरवाज़े से बाहर बग़ीचा की ओर थी। उस छोटी-सी बगिया में 8-10 साल की एक बच्ची उड़ती हुई एक तितली को पकड़ने की कोशिश कर रही थी। वह धीरे से तितली के पीछे जाती जैसे की उसे हाथ लगाने को हाथ बढ़ाती तितली उड़ जाती, लेकिन वह बच्ची हार न मानते हुए फिर से उसके पीछे दबे पाँव पीछा करती। ऐसी ही तो हैं मेरी बेटियाँ, अवन्तिका और अनन्या इतने कम उम्र में उनकी माँ की बीमारी से उनकी बचपन पर क्या असर पड़ेगा? न जाने किस तरह उनका बचपन गुजरेगा। उसकी आँखे अश्क से भर आईं।

संजय को रम्या के दर्द का एहसास था। उसे रम्या का दुःख बर्दास्त नहीं हो रहा था। न जाने अंजली क्या कहेगी? भविष्य में कभी रम्या ठीक हो पाएगी भी या नहीं? मानसिक बीमारी अगर ठीक भी हो जाए तो फिर नहीं लौटेगी इसकी क्या गारंटी है? इस तरह उसकी भावनाएँ उससे बिना पूछे एक-एक पृष्ठ पलट रहीं थीं और संजय इन सारी यादों के साथ अस्पताल के कॉरिडोर में भविष्य के कई प्रश्न लिए टहल रहा था। कुछ देर बाद डॉ.अंजली ने संजय को अंदर बुलाया और रम्या को बाहर रुकने को कहा। संजय, रम्या को इंतज़ार करने को कहकर अंदर गया। रम्या रूम के बाहर बैठी रही।

- संजय ये सब कब से हो रहा ? अंजली ने प्रश्न किया ।

संजय ने सब कुछ पहले से बताया और बार-बार आँखें पोंछता रहा। अंजली संजय की दुःख को समझ सकती थी। आखिर वही तो थी जिसने रम्या और संजय को मिलाया और अभी भी उनकी अच्छी दोस्त है। उसके बगैर रम्या और संजय की शादी असम्भव थी। उनकी खुशहाल जिंदगी अंजली की ही देन है।

अंजली ने संजय को दिलासा देते हुए कहा, "डरो मत संजय, कुछ दिन तक रम्या का बच्चों की तरह ख्याल रखना होगा। हर पल कोई साथ रहने लगे तो बहुत ही अच्छा है। संजय एक फ्रेंडली सलाह है जितना हो सके उन्हें भरोसा देते रहना कि सब ठीक है। आजकल बड़े ही नहीं बच्चों में भी खास कर लड़कियाँ और स्त्रियाँ इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। बढ़ते काम का बोझ, पढ़ाई के टेंशन के साथ-साथ घर में हर विषय मे अब्बल आने की जिद की वजह से मानसिक तनाव से गुजरते हैं। ऐसे ही कई तनाव के कारण दिमाग में रसायन की कमी हो जाती है और अक्सर इसी तरह का आभास होता है। जिससे एक ख्याली सोच उत्पन्न होती है। इसका कारण मानसिक तनाव और बदलते लाइफ स्टाइल है।

"... तो डॉ अंजली मुझे क्या करना चाहिए?"

"संजय अभी रम्या की स्थिति ऐसी है कि जो चीज़ें असल में नहीं है वो होने का आभास होने लगता है। उनका दिमाग जो सोच लेता है वही सच मान लेता है। ये सब कुछ समय के लिए है, ये दिन भी गुजर जाएगा। और सब जल्दी ठीक हो जाएगा। रम्या असमंजस में है कि सच कौन सा है, जो उनके सामने है या जो दिमाग मान लेता है। और इसी कारण मन में डर के घेरे जी रही है।" अंजली की बात सुनकर संजय बच्चों की तरह रोने लगा।

संजय को समझाते हुए उसने कहा - आप एक प्रोफेशनल डॉ. हो। आप के पास कई तरह की लोग आते हैं और उन्हें आप बखूबी सँभाल लेते हो। आप के हिम्मत हारने से रम्या पर गलत असर हो सकता है और ऐसे वक्त पर आप का आँसू बहाना शोभा नहीं देता। पहले खुद को सँभालिए।

- डॉक्टर हूँ तो क्या हुआ अंजली मैं भी इंसान हूँ। क्या डॉ के पास दिल नहीं होता, उन्हें दुःख नहीं पहुँचता।

- संजय कॉम डाउन, ये वक्त रोने का नहीं है। रम्या को तुम्हारे सपोर्ट की जरूरत है। अगर आप हार मान जाओगे तो रम्या को कौन सँभालेगा?

कुछ समय में संजय ने खुद को सँभाल लिया और शांत हो गया फिर पूछा - क्या हो गया मेरी रम्या को डॉक्टर? क्या रम्या कभी ठीक हो पाएगी? मैं फिर से उस पुरानी रम्या को देख सकूँगा?"

इस बीमारी को 'स्केजोफ्रीनिया' कहते हैं। ये कोई लाइलाज़ बीमारी नहीं है। अब तक समाज में इस बीमारी के बारे में सही जानकारी नहीं है। इसी कारण अपने अंदर घुटते रहते हैं। ये सिर्फ एक मानसिक स्थिति है, जिस तरह शरीर के अन्य अंग बीमार होते हैं वैसे ही दिमाग को कभी-कभी परेशानी झेलनी पड़ती है। सही जागरूकता न होने की वजह से किसी को बताने में डरते हैं। विश्वास रखिए संजय, रम्या बिल्कुल ठीक हो जाएगी। पर आप को हर पल सचेत रहना होगा। अब भी समय है और रम्या का नब्बे प्रतिशत ठीक होने की आशा दिख रही है।

- मतलब?

- चिंता की बात तो है, लेकिन डरने की बात नहीं। इस मनोव्याधि से रम्या जल्द ही ठीक हो जाएगी बस कुछ महीने तक दवाई लेनी होगी। रम्या के आसपास कोई रहेंगे तो वह व्यस्त रहेगी और मेडिटेशन से जल्दी ठीक हो सकती है। जितना वह अकेली रहेगी वह उतना ही सोचती रहेगी और डरती रहेगी। वो एक भरम में जी रही है। उस भरम से उसे आज़ाद करने के लिए हम पूरी कोशिश करेंगे। हर महीना जाँच के लिए रम्या को लाना पड़ेगा।"

- रम्या पूरी तरह ठीक तो हो जाएगी न डॉक्टर अंजली?"

- क्यों नहीं, बिलकुल ठीक हो जाएगी। गहरी चिंता डिप्रेशन, किसी चीज़ का भय या मन में गहरी चोट पेशेंट के दिमाग को इफ़ेक्ट करती है। हर छोटी बात साजिश लगती है। यह कुछ समय रम्या के लिए और आप के लिए कठीन है। भरोसा रखिए, रम्या बहुत जल्दी ठीक हो जाएगी।"

अंजली ने रम्या को अंदर बुलाया और दोनों को देखकर आश्वासन देते हुए कहा - रम्या तुम्हें कोई बीमारी नहीं हुई है। ये ज्यादातर महिलाओं को होती है। जब कभी स्ट्रेस की वजह से दिमाग में फ्लूइड की कमी हो जाती है तब जो चीज़ नहीं है उसे दिमाग अंदाज़ा लगा लेता है और वही सही लगता है। आप बिल्कुल नॉरमल हो। बस दवा खाते रहना। अगर इस दौरान कोई भी परेशानी हुई मुझे फ़ोन करना या मेरे पास आ सकती हो। रम्या एक अच्छी बच्ची की तरह सिर हिलाई।

अंजली से छुट्टी लेकर वे घर वापस लौट आये। संजय की देखभाल और अंजली के प्रति रम्या के विश्वास से उसके स्वास्थ्य में सुधार आने लगा और कुछ ही महीनों में उसका असर दिखा। बहुत जल्द वह बिलकुल स्वस्थ होकर पुरानी जिंदगी में लौट आई।

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Lata Tejeswar renuka

धन्यवाद

nikki

nikki 3 years ago

Indu Talati

Indu Talati 3 years ago

Shiv Shanker Gahlot

लेखन में प्रवाह है । आपको बधाई है ।

Vandnakhare Khare
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