Atit ke chal-chitra book and story is written by Asha Saraswat in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Atit ke chal-chitra is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
अतीत के चल चित्र - Novels
by Asha Saraswat
in
Hindi Moral Stories
सुबह सवेरे गर्मियों में मन करता था कि थोड़ी देर और सो लिया जाए क्योंकि सुबह की ठंडी हवा मन को इतनी अच्छी लगती कि मन प्रफुल्लित हो जाता था ।
बड़े से ऑंगन में सभी की चारपाई पंक्ति से बिछी रहती।हमारे पिताजी की चारपाई पहले नंबर पर, अंतिम चारपाई मॉं की और बीच में हम भाई-बहन सोया करते थे।
मेरा छोटा भाई हमेशा पिताजी की चारपाई के बराबर ही सोना चाहता क्योंकि वहाँ इकलौते पंखे की हवा कुछ ज़्यादा लगती थी ।
अतीत के चलचित्र। (1) सुबह सवेरे गर्मियों में मन करता था कि थोड़ी देर और सो लिया जाए क्योंकि सुबह की ...Read Moreहवा मन को इतनी अच्छी लगती कि मन प्रफुल्लित हो जाता था । बड़े से ऑंगन में सभी की चारपाई पंक्ति से बिछी रहती।हमारे पिताजी की चारपाई पहले नंबर पर, अंतिम चारपाई मॉं की और बीच में हम भाई-बहन सोया करते थे।मेरा छोटा भाई हमेशा पिताजी की चारपाई के बराबर ही सोना चाहता क्योंकि वहाँ
अतीत के चलचित्र-(2) पिताजी ने हमें बताया कि हम माताजी पिताजी के साथ राजस्थान जायेंगे सुनकर हम भाई-बहन बहुत ही खुश थे ।हम अपने उत्तर प्रदेश ...Read Moreब्रजक्षेत्र में रहते थे कभी दूसरे प्रदेशों में जाने का अवसर नहीं मिला था। हमारी बूआ जी राजस्थान के झुंझुनू जिले के एक गॉंव में रहा करतीं थीं ।बूआ जी के घर पर उनके बेटे की सगाई का कार्यक्रम था ।सगाई वह गॉंव में ही करना चाहती थी और विवाह का कार्यक्रम उन्होंने शहर में करने
अतीत के चलचित्र (3) एक दिन मेरी सहेली मेरे घर आई और उसने बताया कि मेरी भाभीजी ने एक पुत्र रत्न को जन्म दिया है,उसका नामकरण संस्कार है ...Read Moreबताया कि कुछ रिश्तेदार भी आये हैं और मुझे भी निमंत्रण दिया । मेरा परिवार एक मध्यवर्गीय है और शुरू से ही पिताजी के अनेक जगह स्थानांतरित होने के कारण हम अपने अनेक जगह मित्र बना चुके थे । आज मैं नीना के घर आई तो वहाँ उसकी दादी जी से मुलाक़ात हुई ।दादी जी
अतीत के चलचित्र (4) दोपहर के भोजन से निवृत्त होकर मैं कमरे में बैठकर स्वेटर बुन रही थी तभी दरवाज़े पर किसी ने दस्तक दी ।दरवाज़े पर जाकर मैंने ...Read Moreकि ममता सामने खड़ी थी। मैंने कहा-आओ ममता कैसे आना हुआ..ममता ने कोई जबाब नहीं दिया,आँखों में आँसू लिए वह मुझसे लिपट गई और रोने लगी । मैंने शान्त कराया और बिठा कर पानी पीने को दिया,पानी को उसने मेज़ पर रख दिया और ऑंखों पर रुमाल रखकर बहुत देर तक सुबकती रही ।
अतीत के चलचित्र (5) मैं बाज़ार में गई तो मेरी मुलाक़ात, मेरी कक्षा में पढ़ने वाले बालक की मॉं से हो गई ।औपचारिक बातचीत होने के बाद मैंने उनके घर आकर बालक के संबंध ...Read Moreकुछ बातें करने की बात कही । उनसे मैंने कहा—आप समय बता दीजिए । उन्होंने कहा—आप किसी भी समय आ सकती हैं ।आपको घर खुला हुआ मिलेगा ।मुझे जानकारी थी कि वह स्कूल में अध्यापिका है ।जब उन्होंने कहा आप दिन में किसी भी समय अपने अनुसार आ सकती हैं तो मुझे कुछ