Svayam ka mulyankan aatma ke sadarbh me book and story is written by Kamal Bhansali in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Svayam ka mulyankan aatma ke sadarbh me is also popular in Human Science in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
स्वयं का मूल्यांकन आत्मा के संदर्भ में - Novels
by Kamal Bhansali
in
Hindi Human Science
पंकेविर्ना सरो भाति सभा खलजनै विर्ना ।
कटुवणैविर्ना काव्यं मानसं विशयैविर्ना "।।
"यानी सरोवर कीचड़ रहित हो तो शोभा देता है, दुष्ट मानव न हो तो सभा, कटु वर्ण न हो तो काव्य और विषय न हो तो मन शोभा देता है"। हम चाहे, तो इस श्लोक को मनुष्यता की संक्षिप्त अदृश्य परिभाषा मान सकते है। ज्यादातर दर्शन के ज्ञाता कहते है, जीवन को न समझना भी जीवन है, परन्तु उनकी नादानियों से जग जीवन को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
सारा संसार आज कई तरह की मानव- नादानियों से त्रस्त हो रहा है, कहना न होगा हम भी कुछ इस तरह के हालातों से गुजर रहे है। इसका एक ही कारण है, इंसान का स्वयं को न समझने की कोशिश और बहुमूल्य जीवन को बिना मूल्यांकित किये जीना ।
पंकेविर्ना सरो भाति सभा खलजनै विर्ना ।कटुवणैविर्ना काव्यं मानसं विशयैविर्ना "।।"यानी सरोवर कीचड़ रहित हो तो शोभा देता है, दुष्ट मानव न हो तो सभा, कटु वर्ण न हो तो काव्य और विषय न हो तो मन शोभा देता ...Read Moreहम चाहे, तो इस श्लोक को मनुष्यता की संक्षिप्त अदृश्य परिभाषा मान सकते है। ज्यादातर दर्शन के ज्ञाता कहते है, जीवन को न समझना भी जीवन है, परन्तु उनकी नादानियों से जग जीवन को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सारा संसार आज कई तरह की मानव- नादानियों से त्रस्त हो रहा है, कहना न होगा हम भी