Hawao se aage book and story is written by Rajani Morwal in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Hawao se aage is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
हवाओं से आगे - Novels
by Rajani Morwal
in
Hindi Fiction Stories
“जाना है... जाने दो हमें... छोरो, न... चल परे हट लरके ! ए दरोगा बाबू सुनत रहे हो !”
“क्या चूँ-चपड़ लगा रखी है तुम लोगों ने ?” दारोगा ज़रा नाराज़ लहज़े में बोला या ये भी हो सकता है कि खाक़ी वर्दी ने उसकी आवाज़ को जबरन कर्कश बना दिया हो । बिना कलफ़ लगी आवाज़ का हवलदार तो पप्पू ही लगता है सो आवाज़ में थोड़ा कड़कपना लाना पड़ता है ठीक वैसे ही जैसे उनकी टोपी में एक सीधा तुर्रा खड़ा रहता है ।
“जाना है... जाने दो हमें... छोरो, न... चल परे हट लरके ! ए दरोगा बाबू सुनत रहे हो !”
“क्या चूँ-चपड़ लगा रखी है तुम लोगों ने ?” दारोगा ज़रा नाराज़ लहज़े में बोला या ये भी हो सकता है ...Read Moreखाक़ी वर्दी ने उसकी आवाज़ को जबरन कर्कश बना दिया हो । बिना कलफ़ लगी आवाज़ का हवलदार तो पप्पू ही लगता है सो आवाज़ में थोड़ा कड़कपना लाना पड़ता है ठीक वैसे ही जैसे उनकी टोपी में एक सीधा तुर्रा खड़ा रहता है ।
“लाडो ससुराल में काम से सबका मन जीत लेना ! ससुराल में इंसान की नहीं उसके काम की कदर होती है ।” बस नानी की उसी युक्ति को रामप्यारी ने अपने जीवन का मूल मंत्र बना लिया था । ...Read Moreके काम-काज के बाद पति के पहलू से लगी रामप्यारी के सबसे ख़ुशनुमा क्षण होते थे पंद्रह की उम्र में रामप्यारी ने मुरारी को जन्म दिया था पुत्ररत्न ने उसे ससुराल की आँखों का तारा बना दिया था रामप्यारी सोचती कि क्या होता जो वह एक बेटी को जन्म देती ? क्या तब भी सब उसे इसी तरह स्नेह और आदर देते ? शायद नहीं... ख़ैर ! रामप्यारी वह सब सोचना नहीं चाहती
रामप्यारी की उस घर में किसी को जरूरत नहीं थी, हाँ मगर उसका होना फिर भी सबके लिए जरूरी हो चला था भयंकर बारिश में टपकती छत से सीली हो उठी दीवारें जब ठंड से सिकुड़ने लगती ...Read Moreतो अपने भीतर ज़ज्ब हो चुकी कांपती नमी से बचने के लिए किसी बाहरी आवरण की तलाश करती हैं अम्मा की स्थिति उस घर के कबाड़खाने में पड़े उसी फटे-टूटे त्रिपाल की मानिंद हो चुकी थी जिसे जरूरत पड़ने पर रफू करके घर की निरंतर कमज़ोर होती आर्थिक स्थिति पर तान दिया जाता था और जरूरत ख़त्म होने के बाद फिर उसी अँधेरे कबाड़खाने में पटक दिया जाता था अम्मा ने एक भरी-पूरी उम्र गुज़ारी थी ।
दिन ख़ूब चढ़ आया था, आसमान में सूरज कड़ककर धूप उगल रहा था, छबीली सुस्ताने के बहाने चौपाल के बीचोबीच बूढ़े हो आए पीपल की छाँव में आ बैठी थी वह सीप, मोती और कौड़ियों के आभूषण ...Read Moreहै और आस-पास के गांवों और कस्बों में घूम-घूमकर उन्हें बेचती है, साथ ही वह रंग-बिरंगी काँच की चूड़ियाँ और शृंगार का अन्य सामान भी रख लेती है, औरतों को खूब सुहाता है यह रंग-बिरंगे समान से भरा टोकरा “चूड़ी लो...बिंदी लो...काजल लो... माला लो... आओ-आओ छबीली आई ताबीज़ भी लाई” जब भी वह टेर लगाती है तो औरतें उसे घेरकर खड़ी हो जाती है, छबीली का बापू टोना-टोटका भी जानता है सो छबीली इन औरतों को अपने-अपने मर्दों को वश में करने का नुस्खे वाला वशीकरण मंत्र फूँका ताबीज़ भी बेच जाती है
इन दिनों सावन का महिना चल रहा है और ये महिना इन लोगों के लिए खास माना जाता है, यह माह घर के पुरुषों के लिए खास कमाई करने का होता है क्योंकि इसी माह में नाग-पंचमी का पर्व ...Read Moreही ये लोग साँपों को पिटारे में डालकर छोटे-बड़े गाँव-कस्बों में चले जाते हैं और घर-घर जाकर बीन बजा-बजकर साँपों के खेल दिखाते हैं भारतीय संस्कृति में साँपों को शिव का प्रिय माना जाता है इसीलिए नाग-पंचमी के दिन कालबेलियों को विशेष दान-दक्षिणा दी जाती है नए-पुराने कपड़े अन्न-धान्न्य और रुपए-पैसे से इनकी अच्छी आमदनी हो जाती है