Lajwanti Kahaani kothe wali ki - 5 books and stories free download online pdf in Hindi

लाजवंती कहनी कोठे वाली की । - 5

पूरा गांव में शांति छाई हुई थी, गांव में सिर्फ कुत्तों की भौंक ने की आवाज़ सुनाई दे रही थी, तभी गंधारी सेठ बैल गाड़ी पर बैठ कर वहा आता है, गंधारी सेठ बैल गाड़ी पर बैठा हुआ था सिर्फ उसके आदमी उतरऔर एक घर के बाहर खटिया रखा था ओ उठकर गंधारी सेठ को बैठने के लिए कहते है,




मुनिम जोर जोर से आवाज़ दे कर गांव वालों को जगाने लगा ,"सुनो गांव वालो गंधारी सेठ बाहर आए हुए है" जैसे ही ये शब्द सुनते है सब जागते हुए बाहर की तरफ आते है।,गंधारी सेठ बैल गाड़ी से उतरते हुए उस खटिया पर का कर बैठ जाता है और अपने मूछों को ताव देते हुए मुनिम के तरफ इशारा करता है,(की वो उस संतोष के बारे में सब बात गांव वालो को बताए!)




मुनिम इशारा समझ जाता है और गई वालों से कहता है"देखिए हमारे सेठ की होने वाली पत्नी लाजवंती किसी गैर मर्द के साथ आज नग्न उसके घर पर रातें रंगीन करते हुए पकड़ी गई है।"




ये सुनते ही वहा खड़े सारे लोग आपस में बातें करने लगते है,"ये क्या सुन रहे है?लाजवंती इतनी नीच हरकत कैसे कर सकती है?? हे राम"




तभी मुनीम कुछ कहता उससे पहले गंधारी सेठ बोलता है,"ऐसी औरत को इस गांव में नही रहने दे सकते है,इससे हमारे बहु बेटियों पर दुष्प्रभाव पड़ेगा और मैं ये नही होने दूंगा,साथ ही उस संतोष को भी कही से भी ढूंढ कर उसे ऐसी सजा दूंगा की वो जिंदगी भर याद रखेगा"




सारे गांव वाले बस सुनने जा रहे थे, विमला भी वही खड़ी हो कर सब सुन रही थी वो अपने पति को अंदर घर में ले जा कर उससे बोली"ऐजी लाजवंती ऐसी लड़की नहीं हैं जरूर कुछ बात है,हमको पूरा यकीन है उस पर"

विमला का पति उससे समझता है"देखो क्या बात है ये न तुमको पता है और न ही हमको और रही बात लाजवंती की तो क्या पता पैसों के लिए वो ऐसा की होगी बिन मां की बेटी हैं कर भी क्या सकती है।"




ऐसी बातें सुन विमला वहा से चाली गई,बाहर गंधारी सेठ भी सब गांव वालो को ये चेता देता है की इस गांव में आज से लाजवंती नही रहेगी।और किसी ने भी उसे रहने या खाने के लिए कुछ दिया तो उसे भी इस गांव से निकाल दिया जाएगा।




ये सुनने के बाद सब गांव वाले डर जाते है क्योंकि गंधारी सेठ ही अकेला उस गांव का एक मात्र व्यक्ति था जो पूरे गांव वालो को काम दिया करता था।और कोई भी गंधारी सेठ के खिलाफ का कर लाजवंती की मदद नहीं करना चहता था।

गंधारी सेठ इतना कहते हुए उठकर अपने बैल गाड़ी के तरफ बढ़ता है,और बैल गाड़ी पर सवार हो कर वहा से वापस अपने हवेली के तरफ चल पड़ता है।

गंधारी सेठ के वहा से जाने के बाद विमला मौका देख कर संतोष के घर जाति है। विमला जब संतोष के घर पहुंचती है,तो लाजवंती को us हालत में देख सहम जाती है,लाजवंती के ऊपर एक फटा हुआ चादर फेका हुआ था,चादर इतना फटा और छोटा था की अच्छे से उसका शरीर भी नही ढाका था।

विमला ये सब देख कर मानो टूट सी गई थी उसके आंखों से आंसु बहे जा रहे थे। विमला पास में पड़े एक बक्से से एक शर्ट निकलती है और लाजवंती को पहनाती है और एक ग्लास में पानी लेकर आती है और लाजवंती के चेहरे पर छीडकती है,।

लजवंती को जैसे ही होश आता है उसके मुंह से एक ही आवाज आती है"पान,,,, पनी,,,पानी।"




विमला बाकी के बचे हुए पानी उसे पिलाते हुए कहती है,"तुम ठीक तो होना??"इतना कहते हुए विमला रोने लगती है,और फिर रोते हुए कहती है"मैं भी कैसी बातें कर रही हूं ! जिस लड़की के साथ इतना कुछ हो गया भला वो ठीक कैसे होगी?"पर तू चिंता मत कर मैं हूं ना तू बस होशला रख तुझे इंसाफ भी मिलेगा और जो तेरे साथ ऐसा किया है उसे इसकी सजा भी मिलेगी।"




लाजवंती अपने होंठो को अपने दातों से दबाते हुए रोने लगती है,लाजवंती का चेहरा लाल पड़ जाता है उसकी आंखे सूझी हुई दिखाए पड़ने लगती है।विमला लाजवंती को अपने सिने से लगाते हुए कहती है"जो तेरे साथ हुआ वो मैं तो नही समझा सकती पर एक औरत होने के नाते तेरा दर्द में समझ सकती हूं"।विमला ये कहते हुए लाजवंती के निचले हिस्से से जब चादर हटाती है तो वो देखते ही अपनी आंखे बंद कर ली, और रोते हुए बोलती है"हैवानों की तरह इसके जिस्म को नोचा है उस कमीने ने बेचारी कितनी दर्द में होगी"




ये कहते ही और भी तेज़ी से रोने लगती है, लाजवंती भी रो रही होती है,इतना दर्द था की लाजवंती को उठने में भी दिक्कत आ रही थी विमला रात भर वही उसके साथ रहने के लिए कहती है, क्योंकि लाजवंती को चलने में दिक्कत हो रही थी,और उधर गंधारी सेठ ने भी सबको माना कर दिया था की लाजवंती को कोई भी काम या खाना नही देगा।

विमला रात भर लाजवंती की पूरी तरह से सेवा करती है, उसके शरीर पर काफी सारे गंदे निशान थे उनको और उसके पूरे शरीर को पानी से अच्छे से साफ करती है। और उसे आराम करने को कहती है।




पूरी रात विमला और लाजवंती के साथ रहती है जैसे ही सुबह हुआ विमला लाजवंती को उठाती है और उसे खड़ा होने को कहती है। अब लाजवंती को काफी हद तक आराम था ,जो दर्द उसके निचले हिस्से में हो रहा था अब बिलकुल ना के बराबर था। रात भर जग कर विमला ने उसकी देखा भाल जो की थी।




दर्द तो ठीक हो गया पर जो दर्द और दाग उसके चरित्र पर लगा था सायद वो अब जिंदगी भर नही जा ठीक हो पाएगा।




विमला लाजवंती को वही छोड़ कर उसे अपना ख्याल रखने के लिए कहती है और वहा से चली जाती है,विमला वहा से लाजवंती को उस हालत में छोड़ कर नहीं जाना चहती थी।पर गंधारी सेठ के आगे ओ भी बेचारी बेबश थी । अगर वो गंधारी सेठ के खिलाफ जाति तो उसे भी कड़ी सजा मिलती, अब उसे वहा कोई देखे उससे पहले वो वहा से चली जाती है।




आगे क्या होगा लाजवंती के साथ ये जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी LAJWANTI (KAHANI KOTHE WALI KI)