Lajwanti Kahaani kothe wali ki - 4 books and stories free download online pdf in Hindi

लाजवंती कहनी कोठे वाली की । - 4

मुनीम अपने बैल गाड़ी पर बैठ कर संतोष के घर के तरफ से गुजर रहा होता है,पूरा इलाका सुनसान सिर्फ बैल के पैरों के चलने और बोलने की आवाज़ आ रही थी जैसे ही बैल गाड़ी संतोष के घर के पास पहुंचा।




"बचाओ बचाओ,,,मुझे छोड़ो...."ऐसी आवाज सुनाई पड़ती हैं।

मुनीम ये सुनते ही बैल गाड़ी रोकने को बोलता है"अरे ए रुकना तो यह किसी लड़की की चिल्लाने की आवाज़ आ रही है!"बैल गाड़ी को वही संतोष के घर के सामने रोक कर सब अंदर के तरफ जाने लगते है।

अंदर से फिर आवाज आती है ।"मुझे जाने दो"




इस बार उस आवाज में साफ साफ दर्द झलक रहा होता है।मुनिम दरवाज़के पास जाता है पर दरवाज़बंद होता है।

तभी मुनीम अपने एक आदमी को पीछे खिड़की से अंदर देखने को कहता है। वो जलती हुई मसाल लेकर पीछे घर के तरफ जाता है।

जैसे ही वो खिड़की के अंदर देखता है, ओ चौक जाता है।अंदर संतोष लाजवंती के साथ ओ भी नग्न अवस्था में बिस्तर पर पड़ा हुआ था। ओ हैवानों की तरह लाजवंती के जिस्म को नोचे जा रहा था। लाजवंती पूरी तरह से अब अपना हताश खो गई थी।बस उसकी आंखे खुली हुई थी और आंखों से आंसु की नदिया बहे जा रही थी।उसके शरीर में कोई भी हलचल नही हो रही थी।




संतोष मुनिम के आदमी को देखता उससे पहले वो वहा से भाग कर मुनिम के पास जाता है और उसे सारी बात बताता है। मुनीम जैसे ही ये सुनता है वोह भागते हुए वहा जाता और ये देख कर उसके भी होश उड़ जाते है,और वो वहा से हट जाता है, और मुनिम अपने एक आदमी को गंधारी सेठ को बुलाने के लिए भेजता है।

"सुन लल्लन जा और जाके गंधारी सेठ को बुला कर ला" वो बीना देर किए ही बैल गाड़ी पर बैठता है और हवेली के तरफ निकल पड़ता है।




और यहां मुनिम और उसके आदमी संतोष पर नज़र रखते है। संतोष अपने काम को अंजाम देने में मसरूफ था उसे इस बात की खबर तक नहीं थी की कोई उसे ये सब करते देख रहा है।




लल्लन अपनी बैल गाड़ी लेकर हवेली के बाहर रोकता है और जोर जोर से चिल्लाते हुए अंदर के तरफ भागता है"हुजूर हुजूर बहुत बड़ी गड़बड़ हो गई"ये सुनते ही गंधारी सेठ बाहर निकलते हुए कहता है"कौन है और अब क्या गड़बड़ हो गई??"तभी लल्लन गंधारी सेठ के पास रुकते हुए कहता हैं,"हुजूर ओ लाजवंती,इतना अभी कहता ही है की गंधारी सेठ बोलता है "क्या हुआ नही आ रही है क्या??""




लल्लन डरते हुए कहता है ,"ऐसी बात नही हैं हुजूर, दरअसल लाजवंती किसी गैर मर्द के साथ अपनी रातें रंगीन कर रही हैं।




"क्या बकवास कर रहा है तू"गंधारी सेठ लल्लन के मुंह से ये सुनते ही बोल पड़ा। लल्लन डरते डरते बोलता है"हुजूर जो मैने आपनी आंखों से देखा है वही बोल रहा हूं, मुनिम भी वही उन के उप्पर नजर रखे हुए है, अब आप खुद ही वहा चल के अपने आंखों से देख लीजिए"




ये सुनते ही गंधारी सेठ का आंख गुस्से से लाल हो गया ओ अपनी लठ उठाते हुए निकल पड़ता है लल्लन भी जल्दी से बैल गाड़ी के पास जाता है और गंधारी सेठ के बैठते ही बैल गाड़ी लेकर संतोष के घर के तरफ निकल जाता है।मदन ढाबे के पास ही शराब के नशे में चूर हो कर पड़ा हुआ था,और उधर गंधारी सेठ बैल गाड़ी से संतोष के घर के बाहर पहुंचता है,और गुस्से से बैल गाड़ी से उतरते हुए चिल्ला कर कहता है।"कहा है ओ दोनों??"




"ये सुनते ही मुनिम दौड़ कर गंधारी सेठ के पास जाता और अपनी निगाहें झुकते हुए कहता है"गज़ब हो गया हुजूर क्या सोचा था और क्या हो गया,,,छी,,,छी,,,!"ये सुनते ही गंधारी गुस्से से आग बबूला हो उठता है और घर के दरवाजा तोड़ ने को कहता है।




गंधारी के आदमी मिल कर दरवाजा तोड़ने लगते है, दरवाजे की खटखटाहट की आवाज सुन कर संतोष घबरा जाता है। और बाहर आ डरते हुए दरवाज़ के पास एक छोटे से छेद से देखता है।तो बाहर उसे गंधारी सेठ और मुनिम दिखाए पड़ते है।




ये देख संतोष और भी ज्यादा घबरा जाता है। लाजवंती को उसी अवस्था में छोड़कर संतोष पीछे के दरवाजे से भाग निकलता है।बाहर से बार बार मुनिम और गंधारी सेठ के चिल्लाने की आवाजे आ रही थी। **"दरवाजा खोल वरना तेरे लिए अच्छा नही होगा," और साथ ही दरवाजे को जोर जोर से धक्का भी लगा रहे थे सब।पर अन्दर सिर्फ लाजवंती थी जो सिर्फ ये सब होते हुए सुन रही थी उस में अब इतनी हिम्मत नही बची थी की वो बाहर दारवाजे तक जा पाए उसका पूरा शरीर सुन्न पर हुआ था।सिर्फ आंसु ही बहे जा रहे थे।




तभी अचानक दरवाज़ टू टूटता है और सब अन्दर आकर देखते हैं।तो लाजवंती बिस्तर पर बिना कपड़ो के पड़ी हुई थी।ये देखते ही गंधारी सेठ जोर गुस्से से चिल्लाते हुए कहता है"जाओ जाके देखो कहा छिपा है वो"सब ये सुनते ही वहा से उसे ढूंढने चले जाते है,और




गंधारी सेठ लाजवंती के पास जाता है,और उसे गुस्से से आंख लाल करते हुए कहता है,"मेने तेरे साथ पता नही क्या क्या सपने सजाए थे और तूने उन सपनों को मिट्टी में मिला दिया।, अब तू देख तेरी ज़िंदगी जीते जी नर्क से भी बत्तर नही बना दिया तो मेरा भी नाम गंधारी सेठ नही"







ये कहते हुए अंदर से दरवाजा बंद कर देता है।और थोड़ी देर बाद दरवाजा खोलता हेयर अपने कपड़े सही करते हुए बाहर निकलता है।लाजवंती बहुत बुरी तरह पड़ी हुई थी, उसकी आंखें खून की तरह लाल और उसके होठों से खून निकल रहा होता है।तभी वहा मुनिम और उसके आदमी आते है और कहते है"हुजूर लगता है वो हमसब को यहां देख कर भाग गया"। गंधारी सेठ मुनिम को आदेश देते हुए कहता है,"पूरे गांव में अपने आदमियों को भेज दो जहा भी छिपा हो उसे ढूंढ कर कल सुबह होने से पहले मेरे सामने हाजिर करना है।







मुनिम गंधारी सेठ के सामने सिर झुकाते हुए कहता है "जी हुजूर कल सुबह होने से पहले वो आपके सामने हाजिर होगा"गंधारी सेठ वहा से जाते हुए कहता है,"अंदर बिना कपड़ो की पड़ी है,कोई फटा हुआ कपड़ा उसके उपर फेक दो"इतना कहता है और जाने लगता है।मुनिम पास में पड़े हुए एक कंबल उठा कर उसको ओढ़ा कर वहा से बाहर निकल जाता है।







गंधारी सेठ बैल गाड़ी पर बैठ कर गांव के तरफ चलने को कहता है मुनिम भी जल्दी जल्दी घर से बाहर निकलते हुए बैल गाड़ी पर आकार बैठा जाता है बैल गाड़ी गांव के तरफ चल पड़ती है।




अब क्या होगा लाजवंती के साथ?? और क्या सजा मिलेगी संतोष को जो उसने लाजवंती के साथ किया है उसके लिए?? ये जानने के लिऐ पढ़ते रहिए मेरी कहानी LAJWANTI ( KAHANI KOTHE WALI KI)