Kabhi yu bhi to ho book and story is written by प्रियंका गुप्ता in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Kabhi yu bhi to ho is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
कभी यूँ भी तो हो... - Novels
by प्रियंका गुप्ता
in
Hindi Moral Stories
नर्स ने आकर मुझे झकझोरा तो सहसा मैं जैसे एक बहुत गहरे कुऍ से बाहर आई। दो पल को तो समझ ही नहीं आया, मैं हूँ कहाँ...फिर एक झटके से सब साफ़ हो गया...। मैं माँ के साथ थी...इंटेन्सिव केयर यूनिट के एक कमरे में...उनकी देखभाल के लिए...और मैं ही सो गई...कैसे...? मन ग्लानि से भर उठा, पर कुछ पलों को सारे भाव एक किनारे रख मैने प्रश्नवाचक निगाह से पहले नर्स की ओर देखा और फिर एक आशंका-भरी नज़रों से माँ की ओर...। साँस चल रही थी उनकी, सो मेरी साँस में भी साँस आई जैसे...। नर्स ने धीरे से फुसफुसा कर कहा, आपको बुला रही...आपने सुना ही नहीं...। पर सिर्फ़ दो मिनट...ज्यास्ती बात करने का नहीं...।
नर्स ने आकर मुझे झकझोरा तो सहसा मैं जैसे एक बहुत गहरे कुऍ से बाहर आई। दो पल को तो समझ ही नहीं आया, मैं हूँ कहाँ...फिर एक झटके से सब साफ़ हो गया...। मैं माँ के साथ थी...इंटेन्सिव ...Read Moreयूनिट के एक कमरे में...उनकी देखभाल के लिए...और मैं ही सो गई...कैसे...? मन ग्लानि से भर उठा, पर कुछ पलों को सारे भाव एक किनारे रख मैने प्रश्नवाचक निगाह से पहले नर्स की ओर देखा और फिर एक आशंका-भरी नज़रों से माँ की ओर...। साँस चल रही थी उनकी, सो मेरी साँस में भी साँस आई जैसे...। नर्स ने धीरे से फुसफुसा कर कहा, आपको बुला रही...आपने सुना ही नहीं...। पर सिर्फ़ दो मिनट...ज्यास्ती बात करने का नहीं...।
दो-तीन दिनो तक मेरी हिम्मत ही नहीं हुई थी सागर को फोन करने की...फिर आखिरकार फोन कर ही दिया। उसने फोन उठाया भी...बात भी की...। नाराज़ तो था, पर जाहिर नहीं कर रहा था...। न ही फोन काटने की ...Read Moreदिखाई...। ये तो मैं मानूँगी पलक...मेरा फोन सागर ने हमेशा उठाया है...चाहे कितना ही बिज़ी क्यों न रहा हो...पर मुझे इग्नोर उसने कभी नहीं महसूस होने दिया। पर उस समय मैं अच्छी तरह महसूस कर रही थी कि अगर सागर की रुचि कहीं ख़त्म हो गई थी तो रुचि का सागर भी कहीं खो गया था जैसे...।