राय साहब की चौथी बेटी - Novels
by Prabodh Kumar Govil
in
Hindi Moral Stories
राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 1 कॉलेज की पूरी इमारत जगमगा रही थी। ईंटों से बनी बाउंड्री वॉल को रंगीन अबरियों और पन्नियों से सजाया गया था। आज इस पर पांव लटका कर लड़के बैठे हुए ...Read Moreकी बातें नहीं कर रहे थे, बल्कि लड़के तो सज- संवर कर भीतर पंडाल में थे और बाउंड्री पर जगह- जगह फूलों के गुलदस्ते खिलखिला रहे थे। गोल गेट की शोभा अलग ही निराली थी, जिस पर शफ़्फ़ाक कपड़ों में सजे- धजे चंद लोग मुख्य अतिथि की अगवानी के लिए खड़े थे। मुख्य अतिथि माने चीफ़ गेस्ट! ये आपको बताना
राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 1 कॉलेज की पूरी इमारत जगमगा रही थी। ईंटों से बनी बाउंड्री वॉल को रंगीन अबरियों और पन्नियों से सजाया गया था। आज इस पर पांव लटका कर लड़के बैठे हुए ...Read Moreकी बातें नहीं कर रहे थे, बल्कि लड़के तो सज- संवर कर भीतर पंडाल में थे और बाउंड्री पर जगह- जगह फूलों के गुलदस्ते खिलखिला रहे थे। गोल गेट की शोभा अलग ही निराली थी, जिस पर शफ़्फ़ाक कपड़ों में सजे- धजे चंद लोग मुख्य अतिथि की अगवानी के लिए खड़े थे। मुख्य अतिथि माने चीफ़ गेस्ट! ये आपको बताना
राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 2 इंसान ज़िन्दगी में जो कुछ भी करता है वो लोगों के लिए! लोग क्या कहेंगे, लोग क्या सोचेंगे... और ये नामुराद "लोग" ही कभी - कभी नज़र लगा देते हैं। ...Read Moreका कुछ हो जाता है। अगर किसी के साथ कुछ अच्छा हो रहा हो तो इन "लोगों" की ही आंखें फ़ैल जाती हैं। इंसान इनकी कुढ़न - ईर्ष्या से बिगड़े काम को अपना नसीब मान कर चुपचाप बैठ जाता है। आख़िर करे भी तो क्या? लेकिन इसमें लोगों का क्या दोष? अगर अच्छा हमारे नसीब से हो रहा है तो बुरा
राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 3 एक न्यायाधीश का काम यही होता है कि समाज में व्यावहारिकता से और सर्व हिताय फ़ैसले हों। वहां भावुकता का प्रवेश न हो। क्योंकि ज़िन्दगी भावातिरेक में लिए गए फैसलों ...Read Moreकई बार रुक सी जाती है। अम्मा को सारी बात अलग से समझाई गई। राय साहब की चौथी बेटी को अलग। और दोनों छोटे भाई- बहन को अलग। लेकिन अम्मा को जैसे ही ये मालूम हुआ कि ये लड़के की दूसरी शादी है और इतना ही नहीं, बल्कि उसे पहली पत्नी से एक लड़का भी है, तो जैसे उन पर
राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 4 ये केवल परमेश्वरी को ही नहीं, बल्कि उसके पति को भी लग रहा था कि ठेकेदारी में उसका मन नहीं लग रहा है। लेकिन शायद ऐसा लगने के जो कारण ...Read Moreके दिल में थे, वो उसके मन में नहीं थे। उसे तो ये लगता था कि - इस काम में जितनी मेहनत है, उससे ज़्यादा बेईमानी है। इस काम में जितनी आमदनी है उतना सुकून नहीं है। इस काम को करने में वो तालीम काम नहीं आती जो स्कूल कॉलेज में दिन रात मेहनत करके ली है। शायद इसीलिए जब
राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 5 घर तो वहीं रहना था। हां उसका सामान सब लड़के अपनी- अपनी ज़रूरत और सुविधा के हिसाब से ले गए। जिसके यहां सीधी गाड़ी जाती थी, वो बड़े -बड़े सामान ...Read Moreआराम से ले गया। जिसका रास्ता पेचीदा था, उसने छोटे - छोटे सामानों पर ज़ोर दिया। और लालाजी के अपने आकलन के हिसाब से जिसने कम पाया, उसे रुपए पैसे से बराबर करने की कोशिश की उन्होंने। सब नौकरी पर ही जा रहे थे, कोई लड़ -झगड़ कर अलग नहीं हो रहे थे, इसलिए ये ख्याल भी पूरा रखा गया
राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 6 संगम से लौटने के बाद छुटकी बिटिया का नाम त्रिवेणी ही पड़ गया। लालाजी मरने से पहले सारे घर वालों को रोने की मनाही कर गए थे,लेकिन शायद इसीलिए अब ...Read Moreघर वालों को संगम के तट पर जाकर एक साथ रोना ही पड़ा। कुदरत की लीला भी अपरम्पार! छुट्टियां बीतते ही सब वापस लौट आए। वकील साहब के पिता लालाजी के गुजरने के बाद मानो सब अपने अपने घर के बड़े हो गए। एक बादल था जो सब पर छांव किए हुए था, जब छितरा कर छिन्न -भिन्न हुआ तो जगदीश
राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 7 मनुष्य में दो खूबियां हैं, एक तो ये कि वो समय के साथ सब कुछ भूल जाता है, और दूसरी ये, कि कितना ही समय बीत जाए वो कभी कुछ ...Read Moreभूलता। इसी से तो उसके जिगर में दो खंड बना रखे हैं कुदरत ने। एक चेतन और एक अवचेतन! अम्मा को अपने अतीत से झाड़ पौंछ कर वो लम्हे फ़िर से निकाल कर लाने पड़े जब उनके पिता राय साहब गुज़र गए थे और एक छोटे भाई और एक छोटी बहन, साथ में अम्मा की ज़िम्मेदारी उन पर आ गई
राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 8 इस तरह आनन- फानन में हुई शादी ने घर में सबको असमंजस में डाल दिया। अम्मा ने तो इस शादी के बाद ख़ुद को घोर उपेक्षित और अपमानित महसूस किया ...Read Moreवकील साहब ने भी हताश होकर दुनिया छोड़ दी। कहते हैं कि जब सहारे का कोई बड
राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 9 कहते हैं कि इंसान जब तक दुनिया में रहता है तब तक वो अपने चेतन जगत में दो जहां बुनता रहता है। एक जहां उसे उसके हाथ की लकीरें दिलवाती ...Read Moreऔर दूसरा उसके जिस्म का पसीना! अम्मा कभी- कभी अकेली बैठी हुई सोचती थीं कि उन्हें "घर" तो हमेशा परोसी हुई थाली की तरह मिले, किन्तु "मकान" को हमेशा उन्होंने अपने हाथ से संवारा। अम्मा शिक्षिका रही थीं। लंबे समय तक उन्होंने लड़कियों को गृह विज्ञान पढ़ाया था। अम्मा लड़कियों से कहती थीं कि ये तुम्हारे हाथ में नहीं है
राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 10 अम्मा को ताश खेलने का खूब शौक़ था। अपनी पुराने दिनों की सहेलियों के संग कभी- कभी, और परिवार के लोगों के संग चाहे जब अम्मा ताश मंडली की बैठकों ...Read Moreखूब जमती थीं। इस बीच एक सोने पर सुहागा और हुआ। अम्मा की सबसे छोटी बहन, जो अम्मा की देवरानी भी होती थीं, अब राजस्थान में ही रहने चली आईं। सबसे छोटी बहन के पति यहां बिजली महकमे में इंजीनियर हो गए थे। अब तो हर तीज- त्यौहार की छुट्टियों में कुछ दिन को, और बच्चों की गर्मियों की छुट्टियां
राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 11 राय साहब गुलाब राय ने बचपन से ही बच्चों को एक बात की तालीम बहुत असरदार तरीके से दी थी। वो कहते थे कि हमारे पास ज्ञान, पैसा, संपत्ति, संबंध, ...Read Moreचाहे जितने भी हों, इनका उपयोग करने की एक बुनियादी शर्त है- सेहत। ये सभी चीजें हमारे काम की तभी तक रहेंगी जब तक हम स्वस्थ हैं। हम कितने भी ज्ञानी हों, यदि घर में बैठे हर समय खांसते रहेंगे तो हमारी कोई नहीं सुनेगा। हमारा पैसा रखा रहेगा अगर डॉक्टर ने हमारे रोग के चलते हमारा मीठा, तीखा, चटपटा
राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 12 स्कूल से लौटी अम्मा की पोती ने जैसे ही अम्मा के कमरे का पर्दा हटा कर झांका, वो चौंक गई। अम्मा हंस रही थीं। उनके हाथ में एक छोटी सी ...Read Moreथी, जिसे देख कर अम्मा की हंसी छूट गई थी। स्कूल बैग एक ओर फेंक कर बिटिया अम्मा के करीब अा गई और मुस्कराते हुए बोली- दिखाना, दिखाना अम्मा, किसकी फोटो है? अम्मा ने फौरन फोटो बिटिया को पकड़ा दी। इस बरसों पुरानी फोटो में अम्मा अपनी बड़ी बहन के साथ खड़ी थीं। इससे पहले कि बिटिया फोटो को देख
राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 13 उस ज़माने में वरिष्ठता का सम्मान होता था। इसलिए घरों में भी बड़े भाई भाभी का रुतबा ज़्यादा होता था। छोटे भाई बड़ों से नम्रता से पेश आते थे तो ...Read Moreपत्नियों को भी लिहाज रखना ही होता था। ये लिहाज इतना ही होता था कि बड़ों से कुछ कड़वा बोला जाए तो घूंघट की ओट से। लेकिन अम्मा ब्याह कर जिस घर में आई थीं, वहां स्थिति कुछ अलग थी। अम्मा और अम्मा की जेठानी, दोनों में गहरा बहनापा था क्योंकि दोनों ही अपने - अपने घर में "दूसरी" बन
राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 14 वर्षों बाद अम्मा के तीसरे बेटे के अपने घर चले आने के बाद घर के माहौल में तो बेहद ख़ुशी छा ही गई, मिलने- जुलने आने वालों का भी तांता ...Read Moreलग गया। बच्चों की दुनियां तो जैसे गुलज़ार हो गई। घर के समीकरण भी अब धीरे- धीरे बदलने लगे। सबसे बड़ा परिवर्तन तो ये हुआ कि अम्मा के भीतर बैठी "राय साहब की चौथी बेटी" फ़िर से जैसे किसी धुंध से निकल कर खिली धूप में आ गई। अब तक बहू की मार्गदर्शक- कम- सहायक के रूप में रह रहीं
राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 15 इन्हीं दिनों एक और हलचल ने भी घर में क़दम रखा। अम्मा की पोती जो बाहर रह कर पढ़ रही थी, उसकी शादी तय हो गई। कुछ दिन के लिए ...Read Moreकी प्राथमिकताएं बदल गईं। सब शादी की तैयारियों में व्यस्त हो गए। लेकिन इसी बीच ये निर्णय भी ले लिया गया कि परिवार शादी के बाद ही बहू की नई नौकरी वाली जगह शिफ्ट हो जाएगा। उधर अम्मा का पोता भी विदेश में पढ़ने जाने की तैयारी कर रहा था। तय हुआ कि शादी के बाद ही वो भी अमेरिका
राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 16 अम्मा अपने जिस बेटे के परिवार के साथ सबसे ज़्यादा समय तक रहीं, उस का परिवार बिखर कर छिन्न- भिन्न हो गया। अब अम्मा को अपने दूसरे बेटे का साथ ...Read Moreप्रायः बुजुर्गों का ये सोचना होता है कि एक से अधिक संतान होने पर वे दोनों के साथ रह कर एक संतुलन बनाना चाहते हैं। लेकिन कई बार वे एक दूसरे की अच्छाई को अपनी सुविधाओं के लिए ढाल बना लेते हैं। मसलन, यदि एक घर में उन्हें कोई कष्ट या कमी हो रही है तो झट से वो ये
राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 17 अब कुछ दिन के लिए अम्मा ने अपनी उम्र को पकड़ कर रोक लिया। ज़िद थी कि अभी और बूढ़ा नहीं होना है। इसके दो कारण थे जो सामने साफ़ ...Read Moreसाफ़ दिख रहे थे। अम्मा का जो पोता सगाई करके अमेरिका वापस चला गया था, उसे अब कभी न कभी तो शादी के लिए भी आना ही था। और अम्मा न होंगी तो उसकी शादी कैसे होगी? दूसरे, अम्मा की तीसरी बहू की जिस बेटी की शादी शहर से बहुत दूर जाकर सब लोग कर के आए थे, उसके बच्चा
राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 18 बस, ये और बाकी था। अब अम्मा को कभी - कभी ये भी ध्यान नहीं रहता था कि वो बहुत देर से शौचघर नहीं गई हैं और उनके कपड़ों से ...Read Moreउठ रही है। ये उनके सत्तर वर्षीय पुत्र के लिए एक बेहद कठिन परीक्षा की घड़ी थी। यद्यपि ये काया वही है जिसमें बनकर हम जगत में आए हैं, लेकिन इन रास्तों और पड़ावों पर कभी वापस नहीं लौटा जाता। लेकिन बेटे को ये संतान धर्म भी निभाना पड़ा कि अम्मा को गोद में उठा कर शौचघर या स्नानघर में
राय साहब की चौथी बेटी प्रबोध कुमार गोविल 19 चाहे अम्मा अब किसी को पहचानें या नहीं पहचानें लेकिन कुछ दिन दोनों बेटियों के साथ रहने पर उनके चेहरे पर कुछ रौनक ज़रूर आ गई। बेटियां सुबह पूरे मनोयोग ...Read Moreउन्हें नहलाती- धुलाती थीं और साफ़ सुथरे कपड़े पहना कर तैयार करती थीं। चेहरे पर क्रीम पाउडर सब उसी तरह रहता, जैसे कभी रहता रहा होगा। कपड़े केवल साफ़ सुथरे ही नहीं, बल्कि वो नए भी रहते जो ख़ुद वो दोनों उनके लिए खरीद कर लाई थीं। बड़ी बिटिया जब देखती कि सिर में जुएं हो जाने के चलते अम्मा