धवल चाँदनी सी वे - Novels
by Neelam Kulshreshtha
in
Hindi Motivational Stories
गुजरात की प्रथम हिन्दी कवयित्री कुमारी मधुमालती चौकसी के संघर्षशील रोगी जीवन का जीवंत दस्तावेज
[ 'धर्मयुग' से अपना लेखन आरम्भ करने वाली मधु जी के लिए 'धर्मयुग 'के उपसम्पादक वीरेंद्र जैन जी ने लिखा था, "मधुमालती को देखकर मुझे ...Read Moreअंग्रेज़ी साहित्य की कुछ अकेली लड़कियों जैसे मिस एलिज़ाबेथ बेरेट, एमिली डिकिन्सन, एमिली ब्रांटी, वर्जीनिया वुल्फ़, और वर्ड्सवर्थ की वह लूसी ग्रे याद आ जाती है जो जंगल में सँझियारे में अपनी माँ को खोजने लालटेन लेकर गई थी --और फिर खो गई थी। वह कभी नहीं लौटी। एलिज़ाबेथ बेरेट मधु जी की तरह ही शैया -शायनी होकर रह गईं फिर भी संसार को श्रेष्ठ कविता दे गईं थीं।" ]
एपीसोड --1 नीलम कुलश्रेष्ठ गुजरात की प्रथम हिन्दी कवयित्री कुमारी मधुमालती चौकसी के संघर्षशील रोगी जीवन का जीवंत दस्तावेज [ 'धर्मयुग' से अपना लेखन आरम्भ करने वाली मधु जी के लिए 'धर्मयुग 'के उपसम्पादक वीरेंद्र जैन जी ने लिखा ...Read More"मधुमालती को देखकर मुझे अक्सर अंग्रेज़ी साहित्य की कुछ अकेली लड़कियों जैसे मिस एलिज़ाबेथ बेरेट, एमिली डिकिन्सन, एमिली ब्रांटी, वर्जीनिया वुल्फ़, और वर्ड्सवर्थ की वह लूसी ग्रे याद आ जाती है जो जंगल में सँझियारे में अपनी माँ को खोजने लालटेन लेकर गई थी --और फिर खो गई थी। वह कभी नहीं लौटी। एलिज़ाबेथ बेरेट मधु जी की तरह ही
एपीसोड --2 नीलम कुलश्रेष्ठ चाँदोद के उस मंदिर के महंत बड़ी गंभीरता से बिना आरती गाये सोलह दीपों वाले दीपक से भगवान की आरती उतारा करते थे । वैसे भी वह कम बोलते थे । स्त्रियों से बात नहीं ...Read Moreथे, न ही उन्हें अपना चरण स्पर्श करने देते । ग्यारह बजे माँ उन्हें लेकर वैद्य के यहाँ लम्बी बेंचों पर लगी लाइन में बैठ जातीं । एक दिन लगता मधु की हालत सुधर रही है, दूसरे दिन लगता कि और खराब हो गई है । वह दूध भी नहीं पचा पाती थीं । महीने भर बाद वैद्य ने उनकी
एपीसोड --3 नीलम कुलश्रेष्ठ "पंडित जी के कारण । उन्होंने मुझे धीरे-धीरे प्राणायाम सिखाया, शवासन सिखाया, ध्यान करना सिखाया । मेरी तानों की अवधि कम होती गई । अब तो बस रात में सोते सोते एक दो तान आती ...Read Moreलेकिन आती ज़रूर है । कभी पलंग से सिर टकरा जाता है, कभी तकिया खिसक जाता है तो पलंग से नीचे भी गिर जाती हूँ ।" वह बताते-बताते ऐसे मुस्कुरा दीं जैसे किसी और की बात कर रही हों । उसने भारत की आध्यात्मिक साधना व उसकी शक्ति की बात सुनी थी लेकिन मधु जी के रूप में वह सामने
एपीसोड –4 नीलम कुलश्रेष्ठ पंडित जी ने उन्हें निपट अकेले घर में जीने के लिये तैयार किया था । उन्होंने दुनियाँ को बखूबी जीकर दिखा भी दिया है । उनके कमरे में दायीं तरफ दीवार से सटा हुआ पंडित ...Read Moreका पलंग आज भी ज्यों का त्यों है । उस पर हमेशा धुली चादर बिछी रहती है । रज़ाई भी उसी पर रखी होती है । बीच में रखी होती है फूल की माला पहने सफेद दाढ़ी में मुस्कुराती पंडित जी की तस्वीर एक आश्वस्ति के रूप में । वे उन्नीस सौ पचास में जो प्रण चाँदोद से लेकर चले
एपीसोड –5 नीलम कुलश्रेष्ठ मधु जी का प्रथम काव्य संग्रह 'भाव निर्झर 'पास के एक बैंक ऑफ़ बड़ौदा के ऑफ़िसर उमाकांत स्वामी जी की सहायता से प्रकाशित हुआ व हिंदी निदेशालय द्वारा पुरस्कृत भी हुआ। धीरे धीरे नीरा की ...Read Moreप्रकाशित होनी शुरू हुईं । सन् 2001 में जब भी वह उनके घर जाती. वे दोनों उनकी डायरियाँ लेकर पुस्तकों की रूपरेखा बनाने लगतीं । लेकिन इन बीच के वर्षों में कितनी बार ही लगा था कि उनका अंतिम समय आ गया है । वह गंभीर बीमार होती तो उनके रिश्तेदार भाई डॉ. उमाकांत शाह उन्हें अस्पताल में दाखिल करा