संयोग-मुराद मन की - Novels
by Kishanlal Sharma
in
Hindi Moral Stories
या हू-------
पहला लिफाफा खोलते ही उसमे से पत्र के साथ निकले फोटो को देखकर अनुराग खुशी से उछल पड़ा।
"क्या हुआ बेटा?" अनुराग की आवाज सुनकर उसकी मां कमरे में चली आयी।
"मिल गई।माँ मिल गई।"
"अरे कौन मिल गई?"माँ ...Read Moreसमझ मे बेटे की बात नही आई थी।
"माँ तेरी वो मिल गई।"
"मिल गई।मिल गई ही करता रहेगा या आगे भी कुछ बतायेगा।"माँ नाराज होते हुए बोली।
"माँ तेरी बहु मिल गई।"
"कहाँ है?कौन है?"माँ ने उत्सुकता से पूछा था।।
या हू-------पहला लिफाफा खोलते ही उसमे से पत्र के साथ निकले फोटो को देखकर अनुराग खुशी से उछल पड़ा।"क्या हुआ बेटा?" अनुराग की आवाज सुनकर उसकी मां कमरे में चली आयी।"मिल गई।माँ मिल गई।""अरे कौन मिल गई?"माँ ...Read Moreसमझ मे बेटे की बात नही आई थी।"माँ तेरी वो मिल गई।""मिल गई।मिल गई ही करता रहेगा या आगे भी कुछ बतायेगा।"माँ नाराज होते हुए बोली।"माँ तेरी बहु मिल गई।""कहाँ है?कौन है?"माँ ने उत्सुकता से पूछा था।।",यह देख"।अनुराग ने लिफाफे मे निकला फोटो माँ के हाथ मे पकड़ा दिया।"तुझे यह लड़की पसंद है?"फोटो को देखते हुए माँ ने अपने बेटे अनुराग से
उस दिन के बाद अनुराग को रोज तीनो लडकिया नज़र आने लगी।वे तीनों लडकिया कहां जाती है?इस बात का पता करने के लिए एक दिन उसने उनका पीछा किया।तब उसे पता चला तीनो लडकिया किरन होटल जाती है।यह होटल ...Read Moreके लिए बनाया गया था।लेकिन शहर से दूर होने के कारण यह होटल पर्यटकों को ज्यादा आकर्षित नही कर पाया।बहुत ही कम पर्यटक यहां आते थे।ज्यादातर यह होटल खाली ही पड़ा रहता था।इसी होटल के एक हिस्से में भारत सरकार का जनगणना का ऑफिस खुल गया था।इस काम के लिए लड़के लड़कियों को अस्थायी नौकरी पर रखा गया था।उनमे वे
अकेली रह जाने पर पूनम साइकिल से आने लगी थी।अकेली रहने पर भी वह उससे बात करने की हिम्मत नही जुटा पाया था।लेकिन जब उसे पता चला कल पूनम का आखिरी दिन है।तब उसे सोचना पड़ा।पिछले एक साल ...Read Moreवह पूनम को रोज देखता आ रहा था।उसकी उससे अभी तक कोई बात नही हुई थी।लेकिन वह उसे ग्रीटिंग्स और पत्र भेजता आ रहा था।उसके पत्रों को पूनम ने फाड़कर डस्टबिन में फाड़ फेंका था।इसका साफ मतलब था कि उसकी पूनम में कोई दिलचस्पी नही थी।फिर भी वह उससे अपने दिल की बात कहना चाहता था।इसीलिए वह एकांत जगह में खड़ा