मजदूर - Novels
by नंदलाल मणि त्रिपाठी
in
Hindi Motivational Stories
रामू उठ भोर हो गया कब तक सोते रहोगे जो सोता है वो खोता है जो जागता है पाता है रामू के कानो में ज्यो ही पिता केवल के शब्द सुनायी दिये गहरी निद्रा से जागा उसे ऐसे लगा वह एक नई ऊर्जा के साथ जिंदगी के एक नई सुबह कि शुरुआत पिता के आशीर्वाद से प्रारम्भ कर रहा है।रामू तुरंत दैनिक क्रिया से निबृत्त होकर अपने अध्ययन में जुट गया यही प्रक्रिया उसके जीवन कि शैली थी प्रतिदिन पिता केवल उसे चार बजे ब्रह्म बेला में लगभग चार बजे उठाते और वह सात बजे तक अध्ययन करता और आठ बजे तक तैयार होकर उसे स्चूल जाना होता और पिता के केवल अपनी दिहाड़ी मजदूरी पर निकलते।दिन इसी तरह से बीतता पिता केवल जब भी खुद खाली होते रामू को पास बैठते और उसके बचपन के कोमल मन मस्तिष्क पर एक सशक्त सफल इंसान बनने के लिये उसे धार देते रहते।
रामू उठ भोर हो गया कब तक सोते रहोगे जो सोता है वो खोता है जो जागता है पाता है रामू के कानो में ज्यो ही पिता केवल के शब्द सुनायी दिये गहरी निद्रा से जागा उसे ऐसे लगा ...Read Moreएक नई ऊर्जा के साथ जिंदगी के एक नई सुबह कि शुरुआत पिता के आशीर्वाद से प्रारम्भ कर रहा है।रामू तुरंत दैनिक क्रिया से निबृत्त होकर अपने अध्ययन में जुट गया यही प्रक्रिया उसके जीवन कि शैली थी प्रतिदिन पिता केवल उसे चार बजे ब्रह्म बेला में लगभग चार बजे उठाते और वह सात बजे तक अध्ययन करता और आठ
रामू अपने कार्यालय में एक दिन सुबह ठीक दस बजे पंहुचा आये पत्रों को और समस्याओं को पढ़ता शुरू किया और उसके उचित निदान का निर्देश अपने पी आर ओ को देता जाता ।एका एक रामू की निगाह एक ...Read Moreलिफ़ाफ़े पर पड़ी जिसकेप्रेषक का नाम लिखा था रामानुजम तोतादृ अर्नाकुलम केरल जल्दी जल्दी बंद लिफ़ाफ़े को खोलता है और पत्र पढना शुरू करता है पत्र में तोताद्रि जी ने लिखा था ----प्रिय रामूमैं आज बड़े ही भारी उदास मन से नितांत अकेले बैठा हुआ हूँ शांति इतनी कि साँस लेता हूँ तोखुद के स्वांस की आवाज़ पवन के तूफान