Nagmani ka addbhut rahashya book and story is written by सिद्धार्थ रंजन श्रीवास्तव in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Nagmani ka addbhut rahashya is also popular in Adventure Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
नागमणि का अद्भुत रहस्य - Novels
by सिद्धार्थ रंजन श्रीवास्तव
in
Hindi Adventure Stories
ये एक एक शब्द इस कहानी को सार्थक करते है।
ये कहानी है एक ऐसे आर्मी ऑफिसर की जो आदिवासी जाति से सम्बन्ध रखता था और अपनी मेहनत से उसने भारतीय आर्मी से जुड़ कर देश की सेवा करने का फैसला कर लिया था।
रंजीत का सपना बचपन से देश के लिए कुछ कर गुजरने का था। गरीबी और भूख से लड़ने के बाद भी रंजीत के सपने कभी कमजोर नहीं पड़े। रंजीत का गाँव जंगल से काफ़ी करीब था और शहर से कोसों दूर जहाँ आज भी सुविधा का आभाव था। ऐसा इसलिए भी था क्योंकि आदिवासी समुदाय आज भी मुख्य धारा से जुड़ना नहीं चाहता था।
"सहारा अपने देश का, आज ख़ुद बेसहारा हूँ, दोष किसे अब दू इसका, अपने लालच का मारा हूँ।। ...Read More -"उर्वी"️ ये एक एक शब्द इस कहानी को सार्थक करते है। ये कहानी है एक ऐसे आर्मी ऑफिसर की जो आदिवासी जाति से सम्बन्ध रखता था और अपनी मेहनत से उसने भारतीय आर्मी से जुड़ कर देश की सेवा करने का फैसला कर लिया था। रंजीत का सपना बचपन से देश के लिए कुछ कर गुजरने का था। गरीबी और भूख से लड़ने के बाद भी रंजीत के सपने कभी कमजोर नहीं पड़े। रंजीत का गाँव जंगल से काफ़ी करीब था
कुछ ही सेकंड मे रंजीत की आँखों के सामने अंधेरा छा गया और वो अपने होशो हवाश खो चूका था। जब रंजीत की आँख खुली तो ख़ुद को एक कुर्सी से मजबूती से बंधा हुआ एक बंद कमरे मे ...Read Moreपूरे कमरे मे एक अजीब सी गन्ध आ रहीं थी। रंजीत को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था की वो इस समय कहाँ है लेकिन एक चीज उसे बखूबी समझ आ चुकी थी की उन नक्सलियों ने उसे बंदी बना लिया था। लेकिन क्यूँ? क्या चाहते थे वो रंजीत से? वो चाहते तो रंजीत को उसी समय मार सकते
हिरवा और कोलवा ने बताया की इस जंगल में कई लोगों ने नागमणि देखें जाने का दावा किया है और संदीपन को उसी नागमणि की तलाश है। इंटरनेशनल मार्किट में उस नागमणि की कीमत तक तय कर चूका था ...Read Moreबस बाकी था तो उस नागमणि का हासिल करना।यह बात सुन कर रंजीत को अंदर ही अंदर बहुत हसी आयी, नागमणि जैसी कोई चीज भी होती है क्या। ये संदीपन का फितूर है और कुछ नहीं, जब कुछ समय में उसे कुछ हासिल नहीं होगा तब उसकी हालत देखने लायक होगी।पर अकेले में रंजीत में दिमाग़ में यह जरूर आता
रंजीत की यह सोच बिलकुल सही थी की उसने दुश्मनों को पूरी तरह नष्ट कर दिया है, लेकिन उसके साथ आगे क्या होना है उसे जरा भी भान नहीं था। सच भी था, आगे जो होने वाला था ...Read Moreरंजीत की कोई दुश्मनी नहीं थी लेकिन फिर भी रंजीत ने ख़ुद उनसे दुश्मनी मोल ले ली। अब आगे.... रंजीत जंगल के रास्ते चलता जाता है बिना रास्ते के पता हुए, इस घने जंगल में और वो भी अँधेरी रात में रास्ता बुझना भी बड़ा कठिन काम है। रंजीत अब तक काफ़ी आगे आ चूका था फिर भी ना तो उसे
रंजीत बस उस घने जंगल में बेतहाशा भाग रहा था और नाग उसका पीछा छोड़ने को बिलकुल तैयार नहीं था। रंजीत को ऐसा लगने लगा की शायद उसने अपने जीवन का सबसे बड़ा गुनाह कर दिया है और उस ...Read Moreकी सज़ा देने स्वम् काल उसके पीछे पड़ गए हों। अब आगे..... "भटक रहे हैं दर-बदर, इन काली घनी रातों में, पाना है नागमणि को, हर मुमकिन हालातों में।।" -"उर्वी"️️ भागते भागते रंजीत के दिमाग़ में कोई ख्याल आया और उसने अपनी गति अचानक और बढ़ा दी। नाग और रंजीत के बीच फासला इतना बढ़ गया था की अब रंजीत