Jane Austin book and story is written by Jitin Tyagi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Jane Austin is also popular in Short Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
जेन ऑस्टिन - Novels
by Jitin Tyagi
in
Hindi Short Stories
1आज निशा का बाहरवीं क्लास का रिज़ल्ट आया है। जिसमें उसने जिले में तीसरा स्थान प्राप्त किया है। लेकिन निशा के लिए रिज़ल्ट का मतलब सिर्फ इतना है। कि इसके आधार पर, वो कागज़ी तौर पर कॉलेज जाने के लिए तैयार हो गई है।निशा उत्तर प्रदेश के कानपुर, जिसे कभी भारत का मैनचेस्टर कहा जाता था।, के छोटे से कस्बे शिवली में एक बड़ी शान-ओ-शौकत वाले ठाकुर परिवार में दो बड़े भाइयों(जो किशोरावस्था के करीब पहुँच चुके थे।), के बाद पैदा हुई लड़की थी। वैसे निशा का जन्म हो, इस खास मकसद से उसके पिता ने उसकी माँ को अपने
1आज निशा का बाहरवीं क्लास का रिज़ल्ट आया है। जिसमें उसने जिले में तीसरा स्थान प्राप्त किया है। लेकिन निशा के लिए रिज़ल्ट का मतलब सिर्फ इतना है। कि इसके आधार पर, वो कागज़ी तौर पर कॉलेज जाने के ...Read Moreतैयार हो गई है।निशा उत्तर प्रदेश के कानपुर, जिसे कभी भारत का मैनचेस्टर कहा जाता था।, के छोटे से कस्बे शिवली में एक बड़ी शान-ओ-शौकत वाले ठाकुर परिवार में दो बड़े भाइयों(जो किशोरावस्था के करीब पहुँच चुके थे।), के बाद पैदा हुई लड़की थी। वैसे निशा का जन्म हो, इस खास मकसद से उसके पिता ने उसकी माँ को अपने
अध्याय- 2गांवों की तरह छोटे कस्बों की भी ख़ासियत यही होती है। कि मोहल्ले जातियों के आधार पर बटें होते हैं। किसी एक मोहल्ले में एक जाति का और दूसरे में दूसरी का वर्चस्व पाया जाता हैं। लेकिन जब ...Read Moreकस्बा अम्बेडकर नगर नीति में आ जाता हैं तो वहाँ के लोगों द्वारा बड़ा दिल रखते हुए थोड़ा बदलाव किया जाता हैं। लेकिन बदलाव का मतलब ये नहीं होता कि पंडितों के मोहल्ले में कुम्हार, नाई, धोबी, को बसा दिया जाता हैं। बल्कि बदलाव का मतलब ये होता हैं कि पंडितों के मोहल्ले में किसी उच्च जाति वाले को ही
चैप्टर-3रिज़ल्ट के साथ-साथ आज उसका जन्मदिन भी है और वो उम्र के हिसाब से अठारह की हो गई है। पर शारीरिक रूप से पंद्रह की लगती है लेकिन मानसिक रूप से उम्र का अंदाज़ा लगाना थोड़ा मुश्किल है। जिले ...Read Moreतीसरे स्थान आने से ज्यादा खुशी, उसे इस बात की है। कि वो बालिग हो गई है। और उसको लगता है अठारह की होने पर सरकारी तौर पर लड़कियां अपने क्रश को प्यार में बदल सकती हैं।निशा को जिस लड़के से क्रश है। वो पंडित रघुनाथ का लड़का ही है। उसे ये क्रश दो साल पहले, जब वो ग्यारहवीं में
चैप्टर- 4प्रकृति गर्मियों की विदाई की तैयारी कर रही थी और सर्दियों के आगमन की प्रतीक्षारत थी। कैलेंडर की भाषा में अक्टूबर का महीना शुरू हो चुका था। बाज़ार धीरे-धीरे खुद को सजाने को आतुर हो रहे थे, शायद ...Read Moreत्यौहारों के आने की खबर मिल गई थी।, ना दिन में बदन से बहते पसीने वाली गर्मी पड़ती थी और ना ही सुबह-शाम आग के आगे बैठने वाली सर्दी, ना ऊपर का नीला आसमां अपना रंग बदलता था और ना ही हवा अपनी दिशाएं, पर इस महीने निशा की ज़िंदगी बदल गई थी। उसके सपने बदल गए थे।, उसकी आकांक्षाएं
घर में हुए इस कारनामे को एक महीना गुज़र चुका था। लेकिन बिगड़ी हुई व्यवस्था अभी तक ठीक नहीं हुईं थी। और इस बिगड़ी हुई व्यवस्था की उथल-पुथल में निशा बड़ी शांत रहने लगी थी। उसका कॉलेज तक छूट ...Read Moreथा। और शेखर के घर दूध लेकर जाना तो दूर की बात; बल्कि, घर से बाहर जाने वाले दरवाज़े और उसके पास की खिड़की की तरफ जहाँ से वो शेखर को देखती थी। वहाँ पर भी जाने की पाबंदी लगा दी गई थी। घर के बाहर भी कोई दुनिया है। इसका आभास तो जैसे उसके लिए खत्म ही हो चुका