Milan ki Aas book and story is written by रामानुज दरिया in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Milan ki Aas is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मिलन की आस - Novels
by रामानुज दरिया
in
Hindi Fiction Stories
आज एक बार फिर से दिल में मिलन की एक आस जगी है। ये दिल तो अपना हर पल उनके बाहों में बिताना चाहता है, लेकिन हम चाह कर भी नहीं मिल पाते हैं। क्युकी वो हमारे घर आ नहीं सकते और हम घर से बाहर जा नहीं सकते हैं।
क्युकी अब हमारी उम्र लड़कपन की नहीं रही, हमारा प्यार 17 साल वाला नहीं 27 वाला है। इसलिए हमें हर कदम बहुत सोच समझकर उठाना पड़ता है। इसकी एक और वजह है कि हमारा प्यार पर्दे के पीछे का है। सड़क छाप प्यार नहीं किए है कि खुल्लमखुल्ला प्यार करे। इसलिए घर,परिवार, गाँव समाज को भी देखना पड़ता है कि कहीं किसी के सामने थूथु ना हो।
तो उन्हें हमारे घर आने के लिए एक बहाने की जरूरत होती है। जब किसी के यहाँ कोई फंगशन होता है तभी वो आ सकते है।
और फंगशन होने का भी तभी फायदा है जब वो घर पे हो नहीं तो कोई फायदा नहीं। आने को तो पूरी दुनिया आ जायेगी लेकिन सिर्फ वही नही आयेगा जिसका इन आँखों को इंतज़ार होगा।
वो तो हमसे मिलने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं लेकिन हम इतने भी खुदगर्ज़ नहीं हो सकते हैं,कि अपने फायदे के लिए उन्हें मुसीबत में डाल दें।
(मिलन की आस) 20-09-2022 Tuesdayआज एक बार फिर से दिल में मिलन की एक आस जगी है। ये दिल तो अपना हर पल उनके बाहों में बिताना चाहता है, लेकिन हम चाह कर भी नहीं मिल पाते हैं। क्युकी ...Read Moreहमारे घर आ नहीं सकते और हम घर से बाहर जा नहीं सकते हैं। क्युकी अब हमारी उम्र लड़कपन की नहीं रही, हमारा प्यार 17 साल वाला नहीं 27 वाला है। इसलिए हमें हर कदम बहुत सोच समझकर उठाना पड़ता है। इसकी एक और वजह है कि हमारा प्यार पर्दे के पीछे का है। सड़क छाप प्यार नहीं किए है
(मिलन की आस2) बीत गया दोपहर, हो गयी शाम। जैसे जैसे शाम ढलती गयी वैसे वैसे सीने में एक भड़कती आग बढ़ती गयी। और उनसे मिलने के आस की आग ऐसे अंदर भड़क रही थी कि हम उन्हीं से ...Read Moreनहीं कर पाए, न कुछ कह पाए ना कुछ सुन पाए दिल में इतना कुछ चल रहा था लेकिन कुछ भी नहीं बता सके उन्हें, वो पूछते रहे कि क्या कह रही हो, हुआ क्या है लेकिन कुछ नहीं बस एक जवाब कुछ नहीं कुछ नहीं कुछ नहीं। अंततः हमारी लड़ाई ही हो गयी फोन रख दिया। मैसेज ही कर