एक था चाणक्य - Novels
by AJAD
in
Hindi Fiction Stories
आचार्य चाणक्य भारतीय इतिहास का वो अमर नाम है जिन्होंने अपने राजनीति ज्ञान और कुटिल निति से देशवासियों के मन में एक अमिट छाप छोड़ी है. वही थे जिन्होंने खंड खंड पड़े भारत को अखंड बनाने का स्वप्न दिखाया. ...Read Moreअपनी कुटिलता से धनानंद जैसे क्रूर और अत्याचारी राजा को मात दी और उनके कारण चन्द्रगुप्त जैसे पराक्रमी सम्राट का मगध में उदय हुआ.
आज हम उनकी ही कहानियों से रूबरू होने वाले हैं. उनके बारे में पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध नहीं होने के कारण हमें थोड़ी कल्पनाओं का सहारा लेना पड़ रहा है लेकिन हम विश्वास दिलाते हैं कि उनकी कहानियां उपलब्ध सत्य के करीब होंगी. आइए हम साथ मिलकर आचार्य चाणक्य के अखंड भारत की यात्रा का आनंद लेते हैं.
स्थान : तक्षशिला का गुरुकुल
आचार्य चाणक्य अपने आश्रम में अपने शिष्यों के साथ एक पेड़ के नीचे बैठे थे. वो उन्हें राजनीति का पाठ पढ़ा रहे थे. एक शिष्य ने आचार्य से प्रश्न किया, “आचार्य, एक उत्तम अधिपति बनने के लिए क्या करना चाहिए ?”
तब आचार्य चाणक्य ने पेड़ की तरफ इशारा करते हुए कहा, “पुत्र इस पेड़ को देख रहे हो. इस पेड़ को बनने में जड़, तना, शाखाएं, टहनियां और पत्तियों ने एकसमान भागीदारी निभाई है. उसी प्रकार एक उत्तम अधिपति को अपनी प्रजा का उतना ही ख्याल रखना चाहिए जितना अपने परिवार का. और अपने मंत्रिमंडल का उतना ही ध्यान रखना चाहिए, जितना कि स्वयं का. उन्हें भी इस पेड़ की तरफ एकसमान व्यवहार करना चाहिए तभी एक राज्य सुखी रह सकता है. और उसका अधिपति उत्तम कहला सकता है.”
Chapter 1 : स्वप्न अखंड भारत का ! Writer : Ajad Kumar ========================== आचार्य चाणक्य भारतीय इतिहास का वो अमर नाम है जिन्होंने अपने राजनीति ज्ञान और कुटिल निति से देशवासियों के मन में एक अमिट छाप छोड़ी है. ...Read Moreथे जिन्होंने खंड खंड पड़े भारत को अखंड बनाने का स्वप्न दिखाया. उन्होंने अपनी कुटिलता से धनानंद जैसे क्रूर और अत्याचारी राजा को मात दी और उनके कारण चन्द्रगुप्त जैसे पराक्रमी सम्राट का मगध में उदय हुआ. आज हम उनकी ही कहानियों से रूबरू होने वाले हैं. उनके बारे में पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध नहीं होने के कारण हमें थोड़ी कल्पनाओं
Chapter 2 : चणक पुत्र चाणक्य Writer : Ajad Kumar ======================= आचार्य चाणक्य पानी पीने सरोवर के किनारे बैठे थे. उन्होंने जैसे ही जल में पानी पीने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया, तभी उनके कानों में एक आवाज ...Read More- “चाणक्य क्या तुम्हें अपने बचपन की प्रतिज्ञा याद नहीं ? क्या तुम भूल गए कि धनानंद ने क्या किया था हमारे साथ ? क्या तुम उस नीच, दुष्ट और पापी व्यक्ति से सहायता मांगोगे ?” आवाज सुनते ही वो चौंके, वो आवाज उन्हें वर्षों बाद सुनाई पड़ रही थी. उन्होंने अपने आस पास देखा तो वो आवाज शांत हो
Chapter 3 : राष्ट्रहित ! Writer : Ajad Kumar ======================= मगध की सीमा पर पहुँचते ही आचार्य चाणक्य तुरंत अपने घोड़े से उतरे और घुटनों के बल जमीन पर बैठ गए. उन्होंने मगध की माटी को अपनी मुट्ठी में ...Read Moreऔर उसे अपने ललाट पर लगाते हुए बोले, “मेरी जननी, मेरी जन्मभूमि, तुम्हें कोटि कोटि प्रणाम. जननी, तुम्हारी यादों को सीने से लगाए वर्षों तड़पता रहा. अब तुम्हारा पुत्र, तुम्हारा लाल चाणक्य, तुम्हारे कर्ज को लौटाने वापस आ चूका है. ये चाणक्य तुम्हें पीड़ा मुक्त करेगा. यह वचन है मेरा.” उसके बाद उन्होंने अपना शीश नवाया और फिर घोड़े के