Ek kadam aatmnirbharta ki aur book and story is written by डॉ अनामिका in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Ek kadam aatmnirbharta ki aur is also popular in Women Focused in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
एक कदम आत्मनिर्भरता की ओर - Novels
by डॉ अनामिका
in
Hindi Women Focused
दुनिया के इस आपाधापी में राधिका अपने आप को धकेलते हुए आगे बढती जा रही थी। उसे सिर्फ इतना पता था कि किसी भी तरह उसे अपने आप को संभालते हुए आगे बढना है आत्मनिर्भर बनना है।, और अगर ऐसा नहीं हुआ तो उसे घर की चारदीवारी में ही कैद रहना पडेगा। क्योंकि वह जानती थी,भारतीय सामाजिक ढांचा कुछ इस तरह ही है पढाई खत्म होते ही शादी। मानो लडकियों को सिर्फ इसलिए पढाया जाता है कि शादी हो जाए।जबकि दुनिया वैैैश्विक स्तर पर दुुनिया 21/22 शताब्दी की ओर अग्रसर होते जा रही है पर लोगों की संकीर्ण सोच
दुनिया के इस आपाधापी में राधिका अपने आप को धकेलते हुए आगे बढती जा रही थी। उसे सिर्फ इतना पता था कि किसी भी तरह उसे अपने आप को संभालते हुए आगे बढना है आत्मनिर्भर बनना है।, और अगर ...Read Moreनहीं हुआ तो उसे घर की चारदीवारी में ही कैद रहना पडेगा। क्योंकि वह जानती थी,भारतीय सामाजिक ढांचा कुछ इस तरह ही है पढाई खत्म होते ही शादी। मानो लडकियों को सिर्फ इसलिए पढाया जाता है कि शादी हो जाए।जबकि दुनिया वैैैश्विक स्तर पर दुुनिया 21/22 शताब्दी की ओर अग्रसर होते जा रही है पर लोगों की संकीर्ण सोच
बात उन दोनों की है जब अनामिका शोध छात्रा थी,' अर्थात एम ए द्वितीय वर्ष की' और उन दिनों महाविद्यालय में द्वितीय वर्ष में लघु शोध करना होता था साथ ही किसी विद्यालय में ढाई तीन महीने पढाना होता ...Read More अत: एक दिन वो समय भी आ गया जब सभी को शोध कार्य हेतु अलग अलग गट मेंं बांंट दिया गया। सभी छात्राएँ अपने अपने काम में लग गईं । एक दिन उनकी सुपरवाइजर ने कहा अनामिका तुम 10 से 15 दिन लगभग कक्षा दसवीं को पढाओगी। समय सारणी के अनुसार अनामिका दसवीं कक्षा में पढाने
आधुनिक युग के इस स्पर्धा में हर कोई मशीन की भाँति बस भागता जा रहा है। हर ओर धमाका चौकड़ी "बस तीव्र गति से भागता हुआ यह युग यंत्रवत बनता जा रहा है, किसी के पास किसी के लिए ...Read Moreनही ं। जब समय मानव का साथ दे तो जिंदगी के क्षण पवित्र आशीर्वाद सा लगने लगता है और जो साथ न दे तो " मानो जिंदगी बोझ लगने लगती है " ऐसे ही झंझावातों को स्वीकारती क्षमा जब पहली बार युनिवर्सिटी में पढने आयी तो अकस्मात ही सबका ध्यान उसकी ओर आकर्षित हो गया। "सुंदरता की अप्रतिम मूर्ति"" कानों में
चांदनी को अनामिका तब से जानती थी जब चांदनी चौथी कक्षा में पढती थी। तब अनामिका स्वयं 11र्वीं कक्षा में पढती थी। पढते हुए पढाना इतना आसान काम नहीं। जब उसने घर में नौकरी करने का प्रस्ताव रखा तो ...Read Moreवाले उसके विरोध में हो गए। उस समय कोई भले ही युग आधुनिकता की अंधी दौड़ में अंधों की तरह भाग रहा है पर सोच वही संकीर्णता की बलिवेदी पर अपनी हविष चढाये जा रही थी। लोग भले ही अपने पंख पसार कर ऊंची उडान उड़ ले लेकिन अपना विस्तार वह स्वतंत्रता से नहीं कर सकता था। खासकर के Female
सौम्या, रमा, पूनम, रंजना नूतन एक ही college की छात्रा थीं। चारो चार जिस्म एक प्राण, हर जगह साथ जातीं, साथ घुमतीं तस्वीर खिंचवाती.... कभी-कभी तो शरारत ऐसा करतीं की पागलपन की हद पार कर जातीं। पूरा ...Read Moreउनकी शरारत से परेशान रहता। कई बार उन्हें office में बुलाकर समझाया भी गया। चारो अपनी पढाई, अपनी शरारत से लबरेज जिंदगी में इतनी व्यस्त थीं कि उनको खुद भी नहीं पता था आगे जीवन अचानक किस ओर यू टर्न लेगा....." हाहाहाहा"! और ऐसा हर किसी के जीवन में भयानक और आश्चर्यचकित कर देने वाला यू टर्न आया