एपिसोड १४ काळा जादू
“विलास शांत हो जाओ…!”
"मैं कैसे शांत हो सकता हूं...! क्या आप जानते हैं कि आप किस बारे में बात कर रहे हैं..., मेरे परिवार के लोग ऐसा व्यवहार क्यों करेंगे...? और मान लीजिए मैं विश्वास करता हूं, तो आपके पास क्या सबूत है?"
इसका प्रमाण है...विलास! क्योंकि इन सभी बुरी शक्तियों ने जगदीश जी को बुलाकर बता दिया, लेकिन उस दुष्ट शक्ति ने जगदीश जी को यह नहीं बताया कि वह ईसम या वह औरत कौन है,..जगदीश जी ने बहुत कोशिश की, वह दुष्ट
सत्य को शक्ति से, परन्तु उस सत्य को उस दुष्ट शक्ति से उबालना
मैं उजागर नहीं होना चाहता, लेकिन उस दुष्ट शक्ति से जगदीशजी को पता चल जाएगा कि तुम्हारे घर के लोगों ने जादू-टोना किया था...और वह शक्ति। कौन सा है, और यह कहां से आया है,
विलासराव ने रामचन्द्र का मुँह ताकता रहा
वे देखते रहे, उनके मुँह से एक भी शब्द न निकला।
रामचन्द्र उनसे बातें करते रहे।
विलास कि आपके घर में कोई उस बुरी शक्ति से यह भयानक कृत्य कर रहा है...यह सच है, लेकिन नाम न पता होने के कारण अब इस समय जगदीश जी के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा है, ?
आपके घर में वो इसाम और वो औरत कौन होंगे..? ये सब साजिश कौन रच रहा है? फिर पांचवें दिन.. यानि रात को जगदीश जी ने मुझे मिलने के लिए बुलाया, फिर जब मैं उनके घर पहुंचा तो उन्होंने मुझे इस सारी अनहोनी के बारे में बताया.
सबने कहा, मैं भी उतना ही हैरान था जितना आप पहले थे, लेकिन यह चौंकने का समय नहीं था, तो मैं कैसे चौंक सकता था?
अपने आप को ठीक करो और फिर जगदीश जी मुझे तुम्हें इसी होटल में मिलवाने के लिए कहेंगे, फिर तुम देखोगे कि आगे क्या होता है..!"
रामचन्द्र ने अपनी सारी जानकारी विलासराव को बता दी
सूचित किया, और विलासराव ने भी चुपचाप यह सब सुना,
"और विलासराव....! वह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि आपकी बड़ी भाभी हैं..! आपकी भाभी ने आपकी प्रगति नहीं देखी है.!
और इसीलिए तुम्हारी भाभी काई.. - मंदाकिनी क्रिलक ने एक महान जादूगरनी से पौराणिक नरक देव दानव विद्या प्राप्त की, उस विद्या से तुम दोनों पर जादू कर दिया, और हां विलासराव विद्या पौराणिक और बहुत शक्तिशाली है, इस विद्या ने एक अलग इतिहास, तो मैं नहीं कह सकता, लेकिन इस विज्ञान के माध्यम से आप अपने दुश्मन को एक खास तरह का पेय पिलाकर उसे मनचाहा भयानक काल्पनिक दृश्य दिखा सकते हैं।
.."मतलब जो कोकम भाभी ने मुझे पीने को दिया था, वो तरल हो गया..! तो..." विलासराव बीच में बोले.
"हाँ विलास....! आपने सही कहा..!" डेर रामचन्द्र ने विलासराव की बात का समर्थन करते हुए कहा।
"और विलासराव....? भले ही वह सब दृश्य जो आप देखते हैं... काल्पनिक है...! फिर भी जो उसे अनुभव करता है वह पीड़ाग्रस्त मंदाकिनी के नाम की तरह धुंधला हो जाता है...! और क्रिलक का अर्थ है एक राक्षसी देवता नरक कौन है बयांगी बयांगी की तरह यह नारियल में भरा जाता है लेकिन यह बयांगी की तरह फायदेमंद नहीं है और न ही बयांगी की तरह इसे घर में रखा जा सकता है क्रिलक को नारियल में भरा जाता है और नारियल में भरने के बाद यह नारियल की काली धूल की तरह काला हो जाता है, कैक्रिलक इसे घर में नहीं रखा जा सकता क्योंकि यह एक राक्षस है जो जीवन को नष्ट करने का काम करता है, इसीलिए जो लोग दूसरों को जलाते हैं, वे इस राक्षस को अपने दुश्मन के घर के पास ही दफनाते हैं।क्रिलक से भरा हुआ नारियल उस घर में विघ्न डालने वाले व्यक्ति के बालों पर बांधना पड़ता है और वह स्त्री या स्त्री असहाय हो जाती है और मर जाती है, और हाँ विलासराव आपकी भाभी ने आपके घर के नीचे क्रिलक रूपी नारियल गाड़ दिया था घर बनाते समय,"
''क्या...!'' विलासराव ने कहा।
"हाँ...विलासिता...!" रामचन्द्र ने विलासराव के वाक्य की पुष्टि की
कहा
"मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा कि मेरी भाभी ऐसा कर सकती है!"
विलासराव ने नीचे कहा.
"अरे विलासराव..! आपके साथ ऐसा हुआ या हो रहा है
ऐसा मत सोचो...! ये कलियुग है... इतने सारे
घटनाएं तो रोज घटती हैं..! अपने ही भाई की संपत्ति के लिए खून का रिश्ता
भूलकर, सख्य ने अपने भाई को मार डाला, जबकि उसकी बहन ने संपत्ति के लिए उसे मार डाला
राक्षसिना बन जाती है, अरे..विलासराव..तुम अच्छे स्वभाव के हो
अर्थात सांसारिकता अच्छे स्वभाव की होगी..! ... एसा नहीँ।?"
"परन्तु जगदीश जी...क्या इसका कोई समाधान है...?"
रामचन्द्र ने कहा.
"एक समाधान है लेकिन मुझे लगता है कि विलासराव उस समाधान को स्वीकार करेंगे...नहीं...!" इतना कहकर जगदीश जी ने बात करना बंद कर दिया।
"परन्तु जगदीश जी... इसका उपाय क्या है...है...?"
"लेकिन विलासराव को उस समाधान के लिए तैयार रहना चाहिए...! अगर उनकी अनुमति होगी तभी....मैं ऐसा बता सकता हूं.!"
"ठीक है जगदीश जी..आप...बताओ क्या है....समाधान...! अगर मेरी भाभी मेरी पत्नी और मेरे होने वाले बच्चे के बारे में नहीं सोचती तो मैं क्यों...! बोलो ऊपर...!"
विलासराव ने गुस्से में कहा
"तो... ठीक है... विलासराव...! सुनो तो..!"
ये कहते हुए जगदीश जी आगे की बात करने लगे.
“तुम्हारी भाभी ने जो कुछ किया है..तुम पर विद्या (जादू-टोना) किया है..!
हम यह सब उन पर थोप देंगे...! जिससे ये सब यहीं रुक जाएगा....! ".!" जगदीशराव के इस वाक्य पर विलासराव कुछ देर चुप रहे तो कभी विलासराव ने कहा
उसने उन दोनों की ओर देखा और आह भरते हुए इस जादू-मुक्त शिक्षा के लिए हामी भर दी
"जगदीश जी, अगर मेरा परिवार इस नजर से बच जाएगा.. तो... मुझे ये मंजूर है..!"
विलासराव ने विचार करने के बाद सिर हिलाया, जगदीशजी ने भी ऐसा ही किया
अगले दो दिनों में अध्ययन करने का निर्णय लिया, ........
जिसे इस भयानक खूनी खेल को रोकना था....लेकिन यह इतना आसान था....क्यों...चलिए आगे देखते हैं....
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क्रमश.. ..: