Tukda-Tukda Jindagi book and story is written by प्रियंका गुप्ता in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Tukda-Tukda Jindagi is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
टुकड़ा-टुकड़ा ज़िन्दगी - Novels
by प्रियंका गुप्ता
in
Hindi Moral Stories
ढोलक की थापों के साथ बन्ना घोड़ी गाने वाली का सुर भी तार-सप्तक नापने लगता था। बीच-बीच में कहीं सुर धीमा पड़ता तो नसीबन खाला की हाँक...अरे, सुबह कुछ खाया-पीया नहीं क्या लड़कियों...? बिल्कुल ही मरी आवाज़ निकल रही तुम सब की...। भला ऐसे भी गाया जाता है क्या...? अरे, थोड़ा जोश लाओ...जोश...। शादी का घर है भई, लगे भी तो कि जश्न का माहौल है...।
ढोलक की थापों के साथ बन्ना घोड़ी गाने वाली का सुर भी तार-सप्तक नापने लगता था। बीच-बीच में कहीं सुर धीमा पड़ता तो नसीबन खाला की हाँक...अरे, सुबह कुछ खाया-पीया नहीं क्या लड़कियों...? बिल्कुल ही मरी आवाज़ निकल रही ...Read Moreसब की...। भला ऐसे भी गाया जाता है क्या...? अरे, थोड़ा जोश लाओ...जोश...। शादी का घर है भई, लगे भी तो कि जश्न का माहौल है...।
फ़ैज़ान मियाँ एकदम खामोश हो गए। आलिया आखिर कैसा वादा चाह रही थी...बिन जाने कैसे खुदा को हाज़िर-नाज़िर जान कर वादा कर लें...? आलिया उनकी ख़ामोशी की आवाज़ भी सुन सकती थी, ये शायद वो अब भी नहीं समझे ...Read Moreइस लिए उसने ही बात स्पष्ट की...परेशान न होइए...ऐसा कुछ नहीं माँग रही, जिसे आप दे न पाएँ...। आपको आपकी सारा से छीनने का कोई इरादा नहीं हमारा...छीन कर करेंगे भी क्या...? हम तो सिर्फ़ इतना चाहते हैं कि आपकी और सारा की शादी में आपका सारा काम हम करें...।