Cursed Treasure book and story is written by Deepak Pawar in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Cursed Treasure is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
शापित खज़ाना - Novels
by Deepak Pawar
in
Hindi Fiction Stories
शहर से दूर महाराष्ट्र के मिडिल मराठवाड़ा के पहाड़ों के बीच चट्टानों से घिरे इस जंगल के पहाड़ों की गुफाओं में हलचल होती है जिनमें से भूकंप की तरह जैसे ज्वालामुखी बाहर निकलता है उसी प्रकार जमीन के अंदर से दो व्यक्ति रॉकेट की तरह ऊपर उच्छल कर आते हैं और जैसे ही दोनों व्यक्ति उछलकर जमीन पर आकर गिरते हैं वह आस-पास देख कर खाँसने लगते हैं उनके के मुंह से धूल भरी मिट्टी के साथ हवा निकलती है तथा दोनों पलट कर सो जाते हैं और आसमान को एकटक देखते रहते हैं जैसी दोनों आसमान को देखने
शहर से दूर महाराष्ट्र के मिडिल मराठवाड़ा के पहाड़ों के बीच चट्टानों से घिरे इस जंगल के पहाड़ों की गुफाओं में हलचल होती है जिनमें से भूकंप की तरह जैसे ज्वालामुखी बाहर निकलता है उसी प्रकार जमीन के अंदर ...Read Moreदो व्यक्ति रॉकेट की तरह ऊपर उच्छल कर आते हैं और जैसे ही दोनों व्यक्ति उछलकर जमीन पर आकर गिरते हैं वह आस-पास देख कर खाँसने लगते हैं उनके के मुंह से धूल भरी मिट्टी के साथ हवा निकलती है तथा दोनों पलट कर सो जाते हैं और आसमान को एकटक देखते रहते हैं जैसी दोनों आसमान को देखने
::- जगदीश अब भी सिगार का धुआं निकालते हुए खिड़की के शीशो पर टकटकी लगाए मुम्बई शहर को देखे जा रहा था ,उसके पीछे प्रोफेसर प्राण भी जगदीश के कुछ कहने का ईन्तजार करने लगा तभी जगदीश तेजी ...Read Moreघूमते हुए कमरे के बाहर निकते समय प्रोफेसर को हाथ से इशारा करते हुए जगदीश अपने हाथ से सिगार को टेबल पर रखे पॉट में बुझाते हुए कहता है ।जगदीश ::- प्रोफेसर आप जानते है जो मुझे अच्छा मुनाफा दे वही काम मे करता नही करवाकर ही रहता हूं.... ,।.. बस आप सब तैयारी करो ...और मुझे 15 दिनों का
लकड़े के इस पल की हालत अब जैसे शुरुआत में थी वैसे नही रही धीरे धीरे कोहरा बढ़ने लगा था करण और रवि अब एक दूसरे को देख कर धीरे धीरे इसपर गुजर रहे थे करीब 10 मिनट तक ...Read Moreपुराने लकड़े के बने पुल से चलने पर अब तेज हवाएं चलने लगी थी मानो की अब दोनों को यह अहसास होने लगा था कि यह कोई मजाक नही है और जहदीश ने उन्हें यहां भेजा है वह कोई साधरण काम नही था ।हवाओं के तेज झोंके दोनों को पुल से नीचे गिरने के लिए मानो जंग कर रहे थे
उनके इशारे से दोनों अब चुप चाप आगे आगे और वह औरतें उनके गर्दन पर तलवार लगाकर उनके पीछे पीछे बिना बात किये पहाड़ो के मैदान से पहाड़ो की दिशा में चलने लगे थे ।अब सकुन यह था कि ...Read Moreकम से कम मुर्दो के जंगल से बाहर थे और दुःख यह था कि अब ना जाने कैसे इन अजीबो गरीब इन सुंदर औरत सैनिक के बीच फसकर उनके पीछे चले जा रहे थे के जैसे मानो अब वह उनके इशारों पर चलने को मजबूर थे । रवी ओर करण को अब तक समझ आ गया था कि जगदीश ने उन्हें
थोड़ी देर बाद ही नागा पहाड़ो के एक जगह पर राका ,वाली,और रवि ,करण पहुँच जाते है जहां एक पानी का कुण्ड है चाँद की रोशनी में कुण्ड के अंदर खिले कमल के फूल साफ दिखाई दे रहे है ...Read Moreकई कमल के फूलों की पत्तियां सोने के जैसे चमक रही थी तो कई चांदी की तरह तो कुछ पत्तियां पूरी तरह हरी थी और कुछ पत्तियां मुरझा गई थी ।
पर खासियत यह थी कि हर फूल पर रोशनी की कोई कमी नही थी मानो इस कुंड में रौशनी का बारीकी से ध्यान दे कर इस्तेमाल कर दिया गया हो ।
जिसको देखकर कुछ समय के लिए रवि और करण जैसे इस कुंड के फूलों की