Murde ki jaan khatre me book and story is written by अनिल गर्ग in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Murde ki jaan khatre me is also popular in Detective stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मुर्दे की जान खतरे में - Novels
by अनिल गर्ग
in
Hindi Detective stories
अशोक विहार की कोठी में जब मैंने कदम रखा तो उस समय बंसल साहब की लाश ड्राइंग रूम में बिलकुल बीचोंबीच पड़ी हुई थी। पुलिस की फोरेंसिक टीम अपने काम में लगी हुई थी और फोटोग्राफर लाश के विभिन्न एंगल से फोटो लेने में लगा हुआ था। मै अभी लाश की तरफ बढ़ ही रहा था कि एक पुलिसिये ने मेरा रास्ता रोक दिया। वो सब इंस्पेक्टर चौहान था जो पता नही क्यों मुझ से कुछ ज्यादा ही खुंदक खाता था। "तुम्हे क्या घर बैठे लाश की स्मेल आ जाती है क्या जो हर जगह पहुंच जाते हो अपनी टांग
अशोक विहार की कोठी में जब मैंने कदम रखा तो उस समय बंसल साहब की लाश ड्राइंग रूम में बिलकुल बीचोंबीच पड़ी हुई थी। पुलिस की फोरेंसिक टीम अपने काम में लगी हुई थी और फोटोग्राफर लाश के विभिन्न ...Read Moreसे फोटो लेने में लगा हुआ था। मै अभी लाश की तरफ बढ़ ही रहा था कि एक पुलिसिये ने मेरा रास्ता रोक दिया। वो सब इंस्पेक्टर चौहान था जो पता नही क्यों मुझ से कुछ ज्यादा ही खुंदक खाता था। तुम्हे क्या घर बैठे लाश की स्मेल आ जाती है क्या जो हर जगह पहुंच जाते हो अपनी टांग
जब मै इंस्पेक्टर शर्मा के पास थाने पहुंचा तब शाम के 7 बज चुके थे। अशोक बंसल की हत्या की दिन भर की दुश्वारियो से निपट कर शर्मा जी बस अपने रूम में बैठे ही थे की मै उनके ...Read Moreपहुंच गया।शर्मा जी मुझे देखकर मुस्कराए। "आ गए! सबसे पहले ये बताओ इस केस में तुम्हे किसी फैमिली मेंबर ने तुम्हे हायर किया है क्या या वैसे ही धक्के खा रहे हो। "शर्मा जी हायर भी कोई ना कोई कर ही लेगा,पहले इस केस में घुसू तो सही,पता तो लगे इस खेल में खिलाड़ी कौन कौन है फिर कोई न