O Vasant book and story is written by महेश रौतेला in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. O Vasant is also popular in Poems in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
ओ वसंत - Novels
by महेश रौतेला
in
Hindi Poems
ओ वसन्त भाग-११.ओ वसन्त ओ वसन्तमैं फूल बन जाऊँसुगन्ध के लिए,ओ आसमानमैं नक्षत्र बन जाऊँटिमटिमाने के लिए।ओ शिशिरमैं बर्फ बन जाऊँदिन-रात चमकने के लिए,ओ समुद्रमैं लहर बन जाऊँथपेड़ों में बदलने के लिए।ओ हवामैं शुद्ध हो जाऊँजीवन के लिए,ओ सत्यमैं दिव्य बन जाऊँशाश्वत होने के लिए।ओ स्नेह मैं रुक जाऊँसाथ-साथ टहलने के लिए। ********२.आखिर समयआखिर समयमेरी बात मानेगा,फिर सुबह लापेड़ों को उगाखेतों में जा,नदियों के साथपहाड़ों के मध्य,फूलों को पकड़अनेक मुस्कान लायेगा।उड़ते पक्षियों कोचलते लोगों को,अनवरत काम देसबकी बात मानेगा।वह अड़ेगा नहींबिकेगा नहीं,विकास के लिए चलपुण्य को उच्चारित कर,लय से बँधगीत सा बनजीवन को छेड़ेगा।
ओ वसन्त भाग-११.ओ वसन्त ओ वसन्तमैं फूल बन जाऊँसुगन्ध के लिए,ओ आसमानमैं नक्षत्र बन जाऊँटिमटिमाने के लिए।ओ शिशिरमैं बर्फ बन जाऊँदिन-रात चमकने के लिए,ओ समुद्रमैं लहर बन जाऊँथपेड़ों में बदलने के लिए।ओ हवामैं शुद्ध हो जाऊँजीवन के लिए,ओ सत्यमैं ...Read Moreबन जाऊँशाश्वत होने के लिए।ओ स्नेह मैं रुक जाऊँसाथ-साथ टहलने के लिए। ********२.आखिर समयआखिर समयमेरी बात मानेगा,फिर सुबह लापेड़ों को उगाखेतों में जा,नदियों के साथपहाड़ों के मध्य,फूलों को पकड़अनेक मुस्कान लायेगा।उड़ते पक्षियों कोचलते लोगों को,अनवरत काम देसबकी बात मानेगा।वह अड़ेगा नहींबिकेगा नहीं,विकास के लिए चलपुण्य को उच्चारित कर,लय से बँधगीत सा बनजीवन को छेड़ेगा।
ओ वसंत भाग-२३१.जो तारे माँ ने दिखायेजो तारे माँ ने दिखायेवे अभी भी चमक रहे हैं,जो ध्रुव तारा पिता ने दिखायाअभी भी अटल है,जो शब्द माता-पिता ने सिखायेअभी भी जिह्वा पर हैं,जो रास्ते माता-पिता ने बतायेवे अभी भी अडिग ...Read Moreप्यार परिवार ने दियाअभी भी अविस्मरणीय है,जो शक्ति देश ने दीवह अभी भी अजेय है,जो सच प्रकृति ने दियावह अभी भी अमिट है,जो संस्कार आत्मा के थेवे अभी भी अमर हैं। ********३२.जो बार-बार बसंत दिखाता हैमेरे अन्दर एक रूप हैजो विस्तार पाता है,एक पहाड़ हैजो ऊँचा उठता है,एक नदी हैजो हर रोज बहती है,एक महासागर हैजो छलकता रहता