Krushna book and story is written by Saroj Prajapati in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Krushna is also popular in Women Focused in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
कृष्णा - Novels
by Saroj Prajapati
in
Hindi Women Focused
"अरे बहू रोटी ना बनी के अभी तक! अंधेरा घिरने को आया! तुझे पता है ना! मुझे सूरज छिपते ही खाने की आदत है!" "अम्मा वो उपले गीले थे ना इसलिए आंच जल ही ना रही थी। मैं तो इतनी देर से लगी हूं चूल्हा जलाने में!" "रहने दे, ज्यादा बात मत बना! देख रही हूं जब से पेट पड़ा है, ज्यादा ही हाथ पैर ढीले हो गए हैं तेरे। अरे हमने भी तो छे छे बच्चे जने हैं। हमने तो कभी यों हाथ पैर ना छोड़ें और तेरा ये आलस देखकर तो लगता है कि इस बार भी छोरी
"अरे बहू रोटी ना बनी के अभी तक! अंधेरा घिरने को आया! तुझे पता है ना! मुझे सूरज छिपते ही खाने की आदत है!" "अम्मा वो उपले गीले थे ना इसलिए आंच जल ही ना रही थी। मैं तो ...Read Moreदेर से लगी हूं चूल्हा जलाने में!" "रहने दे, ज्यादा बात मत बना! देख रही हूं जब से पेट पड़ा है, ज्यादा ही हाथ पैर ढीले हो गए हैं तेरे। अरे हमने भी तो छे छे बच्चे जने हैं। हमने तो कभी यों हाथ पैर ना छोड़ें और तेरा ये आलस देखकर तो लगता है कि इस बार भी छोरी
"क्या हुआ। अब तू कुछ बताएगी या फिर मुंह ही फुलाए रखेंगी!" "अब तुम्हारी मां ऐसी बातें करेगी तो गुस्सा तो आएगा ही ना! आज फिर बैठ गई थी। वही पोते की बात लेकर। अब यह सब मेरे हाथ ...Read Moreहै क्या! तुम ही बताओ!" "अच्छा शांत हो जा! ज्यादा मां की बातों को दिल पर मत लिया कर।" "अच्छा जी, आप एक बात बताओ! अगर मुझे इस बार भी लड़की हुई तो क्या आप मुंह फेर लोगे मुझ से!" "लगता है तेरा भी मां की बातों को सुन सुनकर दिमाग फिर गया है। बेटा हो या बेटी बस तेरे
इसी बीच कमलेश ने एक बेटे को जन्म दिया । दादी को पोता और बहनों को भाई मिल गया था । परिवार में सभी बहुत खुश थे । कृष्णा दसवीं व दुर्गा 12वीं क्लास में पहुंच गई थी। कृष्णा ...Read Moreमेधावी छात्रा थी और अपनी कक्षा में हमेशा अव्वल रहती। वही दुर्गा का मन पढ़ाई में बिल्कुल ना लगता था। उसे तो सजना संवरना, नाच गाना और फिल्में देखना ही भाता था। बोर्ड के नतीजे आने के बाद जैसी सब को आशा थी, वही हुआ। कृष्णा ने अपनी कक्षा व स्कूल में प्रथम स्थान प्राप्त किया और दुर्गा ने किसी
वर्ष पंख लगाते ही बीत गए। दुर्गा एक प्यारे से बेटे की मां बन गई थी और कृष्णा ने नई ऊंचाइयों को छूते हुए बीएससी फर्स्ट डिवीजन से पास की। उसके नाम के साथ एक नया तमगा जुड़ ...Read Moreगोल्ड मेडलिस्ट कृष्णा। दीक्षांत समारोह में वह अपने माता-पिता के साथ पहुंची। अपनी बेटी को सम्मानित होता देख। रमेश और कमलेश का सीना गर्व से चौड़ा हो गया।कृष्णा शुरू से ही साइंटिस्ट बनना चाहती थी और उसका यह सपना कॉलेज से मिली स्कॉलरशिप ने पूरा कर दिया। उसे अगले महीने अमरीका जाने का निमंत्रण मिला था।जिसने भी सुना कृष्णा को बधाई
धीरे धीरे समय का पहिया आगे बढ़ता जा रहा था। कृष्णा को नौकरी करते हुए 4 साल हो गए थे और इस बीच अपनी योग्यता के बलबूते परीक्षा पास कर प्रथम श्रेणी अधिकारी नियुक्त हो चुकी थी। रमेश की ...Read Moreभी अब काफी बेहतर हो गई थी । दूर रहने से दीपक की भी बुरी संगति और आदतें छूट गई थी और उसने मोबाइल का कामकाज सीख लिया था ।उसमें आए बदलाव और उसकी इच्छा को देख कृष्णा व उसके पिता ने उसका मोबाइल का एक शोरूम शुरू करवा दिया था। रमेश भी उसके साथ शोरूम पर ही बैठते और