Ek hi bhool book and story is written by Saroj Prajapati in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Ek hi bhool is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
एक ही भूल - Novels
by Saroj Prajapati
in
Hindi Moral Stories
तुम्हारी इस नौकरी ने तो हमे खानाबदोश बनाकर रख दिया है। हर तीन चार साल बाद उठाओ समान और चल दो दूसरी जगह । ये भी कोई जिंदगी है?" सीमा सामान खोलते हुए बोली। "अरे भई अब काम ही ऐसा है तो क्या करे और ये कोई नई बात तो रही नहीं तुम्हारे लिए। जो इतना बिगड़ रही हो तुम।" रवि ने कहा। "आप तो रहने ही दो। खुद तो कल चले जाओगे ऑफिस। मैं अकेले सारा सामान सैट नहीं कर सकती।" "इसकी फिक्र न करो तुम।मैने पहले ही सारी बात कर ली है। आज सोसायटी वाले दो लोगों को
तुम्हारी इस नौकरी ने तो हमे खानाबदोश बनाकर रख दिया है। हर तीन चार साल बाद उठाओ समान और चल दो दूसरी जगह । ये भी कोई जिंदगी है?" सीमा सामान खोलते हुए बोली। "अरे भई अब काम ही ...Read Moreहै तो क्या करे और ये कोई नई बात तो रही नहीं तुम्हारे लिए। जो इतना बिगड़ रही हो तुम।" रवि ने कहा। "आप तो रहने ही दो। खुद तो कल चले जाओगे ऑफिस। मैं अकेले सारा सामान सैट नहीं कर सकती।" "इसकी फिक्र न करो तुम।मैने पहले ही सारी बात कर ली है। आज सोसायटी वाले दो लोगों को
सीमा को पुरानी बातें याद आने लगी। रज्जो उसके ही गांव की थी। रजनी नाम था इसका। सब इसे रज्जो कहते थे। रज्जो के परिवार में उसके अलावा, माता पिता व भाई था। पिता सब्जी का ठेला लगाते थे ...Read Moreमां कस्बे स्कूल में आया का काम करती थी। मां बाप पूरा दिन बाहर रहते तो दोनों भाई बहन अपनी मस्ती में सारा दिन इधर उधर घूमते। मन करता तो स्कूल जाते वरना नहीं। रज्जो की मां अक्सर उन्हें पढ़ने के लिए डांटती थी। कई बार उसने भी समझाया था उसे।लेकिन हर बार वह यह कहते हुए भाग जाती की
उसके बाद चाचा जी ने जो चारपाई पकड़ी तो साल भर बाद उनकी अर्थी ही घर से निकली। बेटा बहू चाची के पास ही अा गए थे। बहू व आस पड़ोस के तानों के कारण चाची एक चलती फिरती ...Read Moreही रह गई थी। और कुछ सालों में अपना मानसिक संतुलन खो चल बसी। जिस रज्जो को दुनिया मरा हुए समझ भूल चुकी थी, वो इतने वर्षों बाद इस हाल में मिलेगी कभी सपने में भी सीमा ने नहीं सोचा था। शाम को रवि ने जब उसकी परेशानी का कारण पूछा तो उसने थकावट का बहाना कर टाल दिया। रात
राजन ने मुझे आश्वासन दिया की वह अपनी पत्नी से जल्द ही तलाक ले लेगा। अभी हम आगे कुछ करते उससे पहले ही पुलिस वाले हमें खोजते हुए यहां तक अा पहुंची। उसके पिता व ससुर रसूख वाले थे। ...Read Moreपर दबाव डलवा उन्होंने बात दबा दी। पिताजी ने भी मेरी खातिर शिकायत वापस ले ली और उसके पिता से मुझे अपनाने के लिए खूब मिन्नतें की। परन्तु उन्होंने मुझे अपनाने से साफ मना कर दिया और राजन को भी धमकी दी की अगर उसने मुझे नहीं छोड़ा तो वो उसे अपनी संपत्ति से बेदखल कर देंगे। दीदी राजन कायर