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आत्मविश्वास - Novels
by Honey
in
Gujarati Motivational Stories
आत्मविश्वास कितना सरल शब्द है... ये सरल जितना सुनने मे लगता है उतना कही ज़्यादा उसे अपने पास रखना ईतना ही कठिन होता है.. कभी कभी ऐसा बन जाता है की हम कई बार दुसरो को ये बात सिखाते है और कहते है की आप धीरज से काम लो और अपने आप पर विश्वास रखो सब ठीक होगा.. ये हम बोलते है पर यहाँ मेरे अनुभव से आपको ये बात कह शक्त्ति हूँ की जो हम खुद पर विश्वास रखेंगे तो जो हम चाहते वो अवश्य पूर्ण होगा ! ऐसी ही ऐक कहानी है "ऐक बालक का आत्मविश्वास
आत्मविश्वास कितना सरल शब्द है... ये सरल जितना सुनने मे लगता है उतना कही ज़्यादा उसे अपने पास रखना ईतना ही कठिन होता है.. कभी कभी ऐसा बन जाता है की हम कई बार दुसरो को ये बात सिखाते ...Read Moreऔर कहते है की आप धीरज से काम लो और अपने आप पर विश्वास रखो सब ठीक होगा.. ये हम बोलते है पर यहाँ मेरे अनुभव से आपको ये बात कह शक्त्ति हूँ की जो हम खुद पर विश्वास रखेंगे तो जो हम चाहते वो अवश्य पूर्ण होगा ! ऐसी ही ऐक कहानी है "ऐक बालक का आत्मविश्वास
अगले भाग मै हमें देखा की आरव 5 वीं कक्षा मैं अव्वल आये थे फिर तो उनके माता पिता को लगा की उनका बेटा एक ना एक दिन ज़रूर बड़ा बनेगा | ऐसा गर्व था फिर आरव भी ...Read Moreभर पुरे पढ़ाई मैं ही व्यस्त रहता था और आरव को वही बहुत पसंद था | वो कोई दूसरे क्लास मैं या कही और जाना नहीं चाहता था बस उसे ध्यान से और एकाग्रता से ही उनका काम करता था | क्यूंकि उन्हों ने 5 वीं कक्षा मैं ही ठान लिया था की मैं भी ऐसा कुछ करूंगा | फिर
अगले भाग मैं हमने देखा की आरव का जन्मदिन आया और उसने माँ पिता के चरणों मैं झुक कर आर्शीवाद लिया और कहा की वही मेरे लिए सबसे बड़ी अमूल्य भेट है | फिर आरव की माँ ने ...Read Moreकी बेटा , तुम्हें क्या चाहिए? फिर आरव ने कहा चाहिए तो कुछ भी नहीं पर हाँ , माँ आप मेरे लिए आज लड्डू ही बना देना उसमे मेरा सब कुछ आ गया | फिर आरव की माँ ने लड्डू बनाया और आरव भी ख़ुशी के मारे पागल हो रहा था क्यूंकि उन्हें लड्डू बहुत पसंद थे | देखते
अगले भाग मैं हमने देखा की आरव की 10 वीं बोर्ड की परीक्षा थी उसमे भी वो अव्वल आया फिर देखते देखते उनका ये वक़्त भी बीत गया और कहा पहुँच गए वो पता ही नहीं चला आगे तो ...Read Moreकी पढ़ाई चलने ही वाली थी पर उसकी इतनी भी परिस्थिति ज़्यादा नहीं थी की वो आगे बढ़ने का खर्चा निकाल सके , फिर उन्हों ने उनसे माता और पिता को आगे पढ़ाई करने के लिए उन्हें मना किया तब उनके माता और पिता को बहुत दुख भी हुआ फिर भी आरव के माता ने आरव को आगे बढ़ने के