Samay yatra book and story is written by Uma Vaishnav in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Samay yatra is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
समय यात्रा.. - Novels
by Uma Vaishnav
in
Hindi Fiction Stories
सुप्रिया को किताबें और नॉवल पढ़ने का शौक होता है, एक दिन उसे एक कूरियर मिलता है, उस पर भेजने वाले का नाम नहीं लिखा होता है,सुप्रिया सोचती है कि ये कूरियर किस का होगा। कौन भेजेगा मुझे कूरियर मैंने तो ऑनलाइन कुछ मंगवाया भी नहीं है, पता नहीं क्या हैं इसमें, सुप्रिया कूरियर खोलती है, उसमें एक किताब होती है, जिसका नाम होता है... "समय यात्रा " सुप्रिया देख कर हैरान हो जाती है, कि आखिर ये किताब किसने भेजी होगी।  उसे मन ही मन खुशी भी हो रही थी क्युकी किताब का टाइटल बहुत ही इंट्रेस्टिंग
सुप्रिया को किताबें और नॉवल पढ़ने का शौक होता है, एक दिन उसे एक कूरियर मिलता है, उस पर भेजने वाले का नाम नहीं लिखा होता है,सुप्रिया सोचती है कि ये कूरियर किस का होगा। कौन भेजेगा मुझे कूरियर ...Read Moreतो ऑनलाइन कुछ मंगवाया भी नहीं है, पता नहीं क्या हैं इसमें, सुप्रिया कूरियर खोलती है, उसमें एक किताब होती है, जिसका नाम होता है... "समय यात्रा " सुप्रिया देख कर हैरान हो जाती है, कि आखिर ये किताब किसने भेजी होगी।  उसे मन ही मन खुशी भी हो रही थी क्युकी किताब का टाइटल बहुत ही इंट्रेस्टिंग
अचानक तेज रोशनी से उसकी आँखों पर प्रकाश पड़ता है, वो अपने आपको एक अंजान जगह पर पाती है। उसके चारों ओर दूर दूर तक कोई भी नहीं नजर नहीं आता हैं उस अपने पीछे ठंडी हवा के साथ ...Read Moreकी लहरों की अवाज सुनाई देती है, वो पीछे मुड़कर देखती है सामने एक तालाब दिखाई देता है। वो समझ ही नहीं पाती है कि आखिर वो हैं कहाँ..वो मन ही मन थोड़ी घबराई हुई भी थी। सुप्रिया थोड़ा आगे बढ़ती है, तभी उसे कुछ लोगों के कदमों की आहट सुनाई देती है, कदमों की आहट पास आते सुन कर
.......... सब उस आवाज की और देखते हैं, सुप्रिया भी उस ओर देखती है, जहाँ से आवाज आई होती है, वो देखती है, एक बहुत ही हटा कटा नौजवान खड़ा होता है। तब वो सब कबिले वाले उस नौजवान ...Read Moreओर देखते हैं, उन में से एक वृद्ध बोलता... ओह.. तो तुम यहाँ .... छुपे हो भीखूँ... अगर मुझे छुपना होता.. तो अभी भी समाने नहीं आता। सब से वृद्ध बोलता है... बस बस... हमें सब पता है... तुम सब देख क्या रहे हो.... पकड़ लो इसे और अपने कबिले में लेकर चलो.... इसे वही सजा सुनाई जायेगी। भीखूँ.... कैसी
सुप्रिया कुछ समझ नहीं पाती हैं कि अखिर हो क्या रहा हैं। वो उन लोगों को देख बहुत घबरा जाती हैं, और घबरा कर बोलती है। सुप्रिया. मैं,. मैं. लाची नहीं हूँ.. मैं सुप्रिया हूँ.. मुझे नहीं पता मैं ...Read Moreकैसे आई हूँ.... मैं एक किताब पढ़ रही थी... जैसे ही मैंने पढ़ाना चालू किया.... मैं यहां पहुंच गई... और फिर आप लोगों को देखा... आप सब का पीछा करते करते यहाँ पहुँच... फिर आप सब की बाते भी सुनी.. तभी दूसरा आदमी बोला... ओ.. अच्छा तभी मुझे लग रहा था कि कोई हमारा पीछा कर रहा है... मैंने इन
भीखूँ देखता है, तो वहां सुप्रिया नहीं होती है। सुप्रिया अपने आपको वापस अपने घर में पाती हैं कुछ पल को उस ये सब सपना सा लगा। लेकिन जब उसने अपने हाथ - पैरो में मिट्टी लगी देखी तो ...Read Moreसब कुछ सच लगा। सुप्रिया थोडी डर जाती है। कुछ देर के लिए वो किताब बंद कर अपने किचन में आती हैं, उसे बहुत भूख और प्यास लगती है, और बहुत थकान भी महसूस करती हैं। फ्रिज में से फ्रूट जूस निकल कर पीती हैं और सोफे पर बैठ कर सोचे लगती है, कुछ ही देर में उसे नींद आ