OR

The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.

Matrubharti Loading...

Your daily story limit is finished please upgrade your plan
Yes
Matrubharti
  • English
    • English
    • हिंदी
    • ગુજરાતી
    • मराठी
    • தமிழ்
    • తెలుగు
    • বাংলা
    • മലയാളം
    • ಕನ್ನಡ
    • اُردُو
  • About Us
  • Books
      • Best Novels
      • New Released
      • Top Author
  • Videos
      • Motivational
      • Natak
      • Sangeet
      • Mushayra
      • Web Series
      • Short Film
  • Contest
  • Advertise
  • Subscription
  • Contact Us
Publish Free
  • Log In
Artboard

To read all the chapters,
Please Sign In

Pake Falo ka Baag by Prabodh Kumar Govil | Read Hindi Best Novels and Download PDF

  1. Home
  2. Novels
  3. Hindi Novels
  4. पके फलों का बाग़ - Novels
पके फलों का बाग़ by Prabodh Kumar Govil in Hindi
Novels

पके फलों का बाग़ - Novels

by Prabodh Kumar Govil Matrubharti Verified in Hindi Biography

(29)
  • 15.4k

  • 55.7k

  • 1

बाग़ के फल अब पकने लगे थे। लेकिन माली भी बूढ़ा होने लगा। माली तो अब भी मज़े में था, क्योंकि बूढ़ा होने की घटना कोई एक अकेले उसी के साथ नहीं घटी थी। जो उसके सामने पैदा हुए ...Read Moreभी बूढ़े होने लगे थे। फ़िर भी बुढ़ापे से बचने का एक रास्ता था। उसने सोचा कि वो फ़िर से जन्म ले लेगा। वो एक बार पुनः पैदा होगा। उसे पुनर्जन्म जैसी बातों में कभी विश्वास नहीं रहा था। पर ये पुनर्जन्म था भी कहां? वो अभी मरा ही कहां था। अभी तो उसका जीवन था ही। तो उसने इसी

Read Full Story
Download on Mobile

पके फलों का बाग़ - Novels

पके फलों का बाग़ - 1
बाग़ के फल अब पकने लगे थे। लेकिन माली भी बूढ़ा होने लगा। माली तो अब भी मज़े में था, क्योंकि बूढ़ा होने की घटना कोई एक अकेले उसी के साथ नहीं घटी थी। जो उसके सामने पैदा हुए ...Read Moreभी बूढ़े होने लगे थे। फ़िर भी बुढ़ापे से बचने का एक रास्ता था। उसने सोचा कि वो फ़िर से जन्म ले लेगा। वो एक बार पुनः पैदा होगा। उसे पुनर्जन्म जैसी बातों में कभी विश्वास नहीं रहा था। पर ये पुनर्जन्म था भी कहां? वो अभी मरा ही कहां था। अभी तो उसका जीवन था ही। तो उसने इसी
  • Read Free
पके फलों का बाग़ - 2
लो, इधर तो मैं फ़िर से अपने गुज़रे हुए बचपन में लौट रहा था, उधर मेरे इस यज्ञ में घर के लोग भी आहूति देने लगे। मुझे मेरी बेटी ने मेरे पचास साल पहले अपने स्कूल में बनाए गए ...Read Moreचित्र ये कह कर भेंट किए कि पापा, मम्मी की एक पुरानी फ़ाइल में आपके ये चित्र रखे हुए मिले। मैंने चित्रों को हाथ में लेकर देखा। सचमुच, जब मैं नवीं कक्षा पास करके दसवीं में आया था तब छुट्टियों में बनाए गए ये चित्र थे। कुछ इक्यावन साल पहले की बात ! मुझे याद आया कि जब मैंने नवीं
  • Read Free
पके फलों का बाग़ - 3
क्या मैं दोस्तों की बात भी करूं? एक ज़माना था कि आपके दोस्त आपकी अटेस्टेड प्रतिलिपियां हुआ करते थे। उन्हें अटेस्ट आपके अभिभावक करते थे। वो एक प्रकार से आपके पर्यायवाची होते थे। हिज्जों या इबारत में वो चाहें ...Read Moreभी हों, अर्थ की ध्वन्यात्मकता में वो आपसे जुड़े होते थे। उनके और आपके ताल्लुकात शब्दकोश या व्याकरण की किताबों में ढूंढ़े और पढ़े जा सकते थे। वो आपको परिवार में मिलते थे, मोहल्ले - पड़ोस में मिलते थे, स्कूल- कॉलेज में मिल जाते थे। दुकान - दफ़्तर में मिल जाते थे। जहां आप काम करें, वहां ये भी होते
  • Read Free
पके फलों का बाग़ - 4
मुझे रशिया देखने का चाव भी बहुत बचपन से ही था। इसका क्या कारण रहा होगा, ये तो मैं नहीं कह सकता पर मेरे मन में बर्फ़ से ढके उदास देश के रूप में एक छवि बनी ही हुई ...Read Moreऔर अब, जब मुझे पता चला कि रशिया जाना है तो आप समझ सकते हैं कि मेरी सोच पर मेरा कितना वश रहा होगा। एक लंबा सिलसिला दिवास्वप्नों का शुरू हो गया। इन्हीं दिनों जयपुर के अनुकृति प्रकाशन ने मेरी लघुकथाओं की एक किताब "दो तितलियां और चुप रहने वाला लड़का" प्रकाशित की थी। लेखन और प्रकाशन तो अरसे से
  • Read Free
पके फलों का बाग़ - 5
मुझे अपने जीवन के कुछ ऐसे मित्र भी याद आते थे जो थोड़े- थोड़े अंतराल पर लगातार मुझसे फ़ोन पर संपर्क तो रखते थे किन्तु उनका फ़ोन हमेशा उनके अपने ही किसी काम को लेकर आया। - आप बैंक ...Read Moreबैठे हैं, मेरे मकान का काम चल रहा है, कुछ पैसा किसी तरह मिल सकता है क्या? - मैं आपसे मिलना चाहता हूं, मेरे चचेरे भाई के गांव का एक आदमी अपनी बेटी की स्कॉलरशिप के लिए परेशान हो रहा है, उसे अपने साथ लेे आऊं? - मेरे गुरुजी के लड़के की अटेंडेंस शॉर्ट हो गई, सर आपका आशीर्वाद मिल
  • Read Free
पके फलों का बाग़ - 6
आने वाला फ़ोन मेरे एक मित्र का था जो इसी शहर में एक बड़ा डॉक्टर था। उसने कहा कि उसे अपने एक क्लीनिक के लिए एक छोटे लड़के की तत्काल ज़रूरत है जो थोड़ा बहुत पढ़ा- लिखा हो और ...Read Moreमें मरीजों का पंजीकरण करने का काम कर सके। चौबीस घंटे उसे वहीं रहना होगा। जैसे ही मैंने उसे बताया कि दो लड़के आज ही आए हैं और अभी मेरे पास ही हैं, वह ख़ुशी से उछल पड़ा। बोला- तुम्हें थोड़ी परेशानी तो होगी पर अभी रात को ही उनमें से एक को मेरे पास भेज दो, क्योंकि फ़िर एक
  • Read Free
पके फलों का बाग़ - 7
अनुवाद बहुत आसान है। कोई भी मैटर लो, फॉर एग्जांपल, "ये ज़िन्दगी उसी की है जो किसी का हो गया", ठीक है? अब हम इसे किसी अन्य भाषा में अनुवाद करेंगे। बताओ, किसमें करना चाहते हो? - बृज भाषा ...Read Moreमैंने कहा। वो किसी मूर्धन्य विद्वान की तरह बोला- अच्छा, इसके लिए अंग्रेज़ी अल्फाबेट का कोई एक अक्षर हमें लेना है। हम एक्स वाई जेड में से "वाई" लेे लेते हैं। ओके? अब हमें एक जानवर का नाम लेना है। - हिरण! मैंने उत्साह से कहा। - नहीं गाय! और उसे भी हिंदी में नहीं, इंग्लिश में लेना है। -
  • Read Free
पके फलों का बाग़ - 8
मुझे लग रहा है कि आपको पूरी बात बताई जाए। एक बार एक सेमिनार में बहुत सारे रिसर्च स्टूडेंट्स ने मुझसे पूछा कि जिस तरह से विज्ञान के क्षेत्र में नई - नई बातों पर विशेषज्ञों के शॉर्ट राइट- ...Read Moreउपलब्ध होते हैं और साइंस के शोधार्थी उनमें से शोध के नए व अछूते विषय चुन लेते हैं, उसी तरह साहित्य के विद्यार्थियों को नवीनतम महत्वपूर्ण कृतियों पर ऐसा कुछ क्यों नहीं मिलता? मुझे ये बात वजनदार लगी। मैं जानता था कि साहित्य में ऐसा कुछ नहीं होता। और यदि होता भी है तो वो समूह, विचारधारा, दलगत राजनीति आदि
  • Read Free
पके फलों का बाग़ - 9
कभी- कभी सभी लोग इस तरह की चर्चा करते थे कि इंसान का पहनावा कैसा हो। वैसे तो ये सवाल लाखों जवाबों वाला ही है। जितने लोग उतने जवाब। बचपन में इंसान वो पहनता है जो उसके पालक उसे ...Read Moreदें। थोड़ा सा बड़ा होते ही वो किसी न किसी तरह अपनी पसंद और नापसंद जाहिर करता हुआ भी वही पहनता है जो आप उसे लाकर दें। किशोर होने पर वो अपने संगी - साथियों से प्रभावित होता है और जैसा देखता है उसी का आग्रह करने लगता है। युवा होने पर उसका ध्यान दौर के फ़ैशन पर जाता है।
  • Read Free
पके फलों का बाग़ - 10
इन दिनों मुझे लगने लगा था कि जीवन भर के रिश्तों को एक बार फ़िर से देखा जाए और जिस तरह किसी अलमारी की सफ़ाई करके ये देखा जाता है कि कौन से काग़ज़ संभाल कर रखने हैं और ...Read Moreसे फाड़ कर फेंके जा सकते हैं, ठीक उसी तर्ज पर संबंधों की पड़ताल भी की जाए। वैसे अपने घर में अकेला मैं आराम से ही था। मेरी दिनचर्या में ऐसा कुछ नहीं था जिसके लिए मुझे चिंतित होने की लेशमात्र भी ज़रूरत पड़े, फ़िर भी कुछ बातों पर मुझे ध्यान देना था। पहली बात तो ये कि परिवार के
  • Read Free
पके फलों का बाग़ - 11
क्या कोई इंसान अकेला रह सकता है? कोई संत संन्यासी तो रह सकता है, पर क्या कोई दुनियादारी के प्रपंच में पड़ा हुआ इंसान भी इस तरह रह सकता है? क्यों? इसमें क्या परेशानी है? इंसान के शरीर की ...Read Moreही ऐसी है कि उसमें ज़रूरत के सब अंग फिट हैं। दुनिया में ज़िंदा रहने के लिए जो प्रणालियां चाहिएं वो तो सब हमारी बॉडी में ही इनबिल्ट हैं, फ़िर अकेले रहने में कैसी परेशानी? नहीं, बात इतनी आसान नहीं है। कई बार किसी नगर में तमाम तरह की रोशनियों के उम्दा प्रबंध होते हैं। सवेरे सूर्य का सुनहरा प्रकाश
  • Read Free
पके फलों का बाग़ - 12
मुझे महसूस होता था कि अब लोगों से निकट आत्मीय रिश्ते बहुत जटिल होते जा रहे हैं। आपको ज़रूर इससे हैरानी हो रही होगी। आप कहेंगे कि उल्टे अब तो सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों से त्वरित और ...Read Moreरिश्ते बनाना और भी सुगम हो गया था। मैं ये कहना चाहता हूं कि पहले किसी आदमी को अच्छी तरह जानने के लिए एक लंबा वक़्त बिताना पड़ता था। आप उसके साथ अपने संबंधों को अनुभवों- अनुभूतियों से सींचें, अच्छे बुरे दिनों से गुजरें, तब कहीं जाकर आप उसके बारे में प्रामाणिकता से कुछ कह पाने के काबिल होते थे।
  • Read Free

Best Hindi Stories | Hindi Books PDF | Hindi Biography | Prabodh Kumar Govil Books PDF Matrubharti Verified

More Interesting Options

  • Hindi Short Stories
  • Hindi Spiritual Stories
  • Hindi Fiction Stories
  • Hindi Motivational Stories
  • Hindi Classic Stories
  • Hindi Children Stories
  • Hindi Comedy stories
  • Hindi Magazine
  • Hindi Poems
  • Hindi Travel stories
  • Hindi Women Focused
  • Hindi Drama
  • Hindi Love Stories
  • Hindi Detective stories
  • Hindi Moral Stories
  • Hindi Adventure Stories
  • Hindi Human Science
  • Hindi Philosophy
  • Hindi Health
  • Hindi Biography
  • Hindi Cooking Recipe
  • Hindi Letter
  • Hindi Horror Stories
  • Hindi Film Reviews
  • Hindi Mythological Stories
  • Hindi Book Reviews
  • Hindi Thriller
  • Hindi Science-Fiction
  • Hindi Business
  • Hindi Sports
  • Hindi Animals
  • Hindi Astrology
  • Hindi Science
  • Hindi Anything

Best Novels of 2023

  • Best Novels of 2023
  • Best Novels of January 2023
  • Best Novels of February 2023
  • Best Novels of March 2023
  • Best Novels of April 2023
  • Best Novels of May 2023
  • Best Novels of June 2023

Best Novels of 2022

  • Best Novels of 2022
  • Best Novels of January 2022
  • Best Novels of February 2022
  • Best Novels of March 2022
  • Best Novels of April 2022
  • Best Novels of May 2022
  • Best Novels of June 2022
  • Best Novels of July 2022
  • Best Novels of August 2022
  • Best Novels of September 2022
  • Best Novels of October 2022
  • Best Novels of November 2022
  • Best Novels of December 2022

Best Novels of 2021

  • Best Novels of 2021
  • Best Novels of January 2021
  • Best Novels of February 2021
  • Best Novels of March 2021
  • Best Novels of April 2021
  • Best Novels of May 2021
  • Best Novels of June 2021
  • Best Novels of July 2021
  • Best Novels of August 2021
  • Best Novels of September 2021
  • Best Novels of October 2021
  • Best Novels of November 2021
  • Best Novels of December 2021
Prabodh Kumar Govil

Prabodh Kumar Govil Matrubharti Verified

Follow

Welcome

OR

Continue log in with

By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"

Verification


Download App

Get a link to download app

  • About Us
  • Team
  • Gallery
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Terms of Use
  • Refund Policy
  • FAQ
  • Stories
  • Novels
  • Videos
  • Quotes
  • Authors
  • Short Videos
  • Free Poll Votes
  • Hindi
  • Gujarati
  • Marathi
  • English
  • Bengali
  • Malayalam
  • Tamil
  • Telugu

    Follow Us On:

    Download Our App :

Copyright © 2023,  Matrubharti Technologies Pvt. Ltd.   All Rights Reserved.