Paramhans mastram gaurishankar baba book and story is written by रामगोपाल तिवारी (भावुक) in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Paramhans mastram gaurishankar baba is also popular in Spiritual Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
परमहंस मस्तराम गैारीशंकर बाबा - Novels
by रामगोपाल तिवारी (भावुक)
in
Hindi Spiritual Stories
मैं परमश्रद्धेय गुरूदेव स्वामी हरिओम तीर्थ जी के पास एक दो दिन में गुरूनिकेतन जाता रहता हूँ। यह गुरूनिकेतन स्वामी नारायण देव तीर्थजी महाराज की परम्परा का है। उस दिन जब मैं गुरूनिकेतन पहुँचा , नगर के प्रसिद्ध होमोपैथी चिकित्सक डा0 के0 के0 शार्मा वहाँ पहले से ही मौजूद थे। जैसे ही मैं उनके पास बैठा महाराज जी बोले-‘‘‘और तिवाड़ी जी क्या कर रहे हैं?’’
मैंने कहा-‘‘इन दिनों मैं परमहंस मस्तराम गैारीशंकर बाबा का जीवनचरित्र पुनः लिखने की सोच रहा हूँ। हमारे परमहंस मस्तराम गैारीशंकर सत्संग समिति के सदस्य इस बात पर जोर दे रहे हैं।
महाराज जी ने पूछा-‘‘ समिति में कौन-कौन हैं?’’
मैंने नाम गिनाये-‘‘अनन्तराम गुप्त,रामवली सिंह चन्देल,भवानीशंकर सैन,इ0जगदीश तिवारी एवं प्रेम नारायण विलैया आदि आते हैं।
वे बोले-‘‘बस चार पाँच लोग !’’
परमहंस मस्तराम गैारीशंकर बाबा रामगोपाल भावुक सम्पर्क- कमलेश्वर कोलोनी (डबरा) भवभूतिनगर जि0 ग्वालियर ;म0 प्र0 475110 मो0 9425715707, , 8770554097 मेरे परम आराध्य परमहंस मस्तराम ...Read Moreबाबा के श्री चरणों में सादर समर्पित रामगोपाल भावुक 2.6.20 भूमिका मैं परमश्रद्धेय गुरूदेव स्वामी हरिओम तीर्थ जी के पास एक दो दिन में गुरूनिकेतन जाता रहता हूँ। यह गुरूनिकेतन स्वामी नारायण देव तीर्थजी महाराज की परम्परा का है। उस दिन जब मैं गुरूनिकेतन पहुँचा , नगर के प्रसिद्ध होमोपैथी चिकित्सक डा0 के0 के0 शार्मा वहाँ पहले से ही मौजूद थे। जैसे ही
परमहंस मस्तराम गैारीशंकर बाबा 2 मुझे उस दिन की बात रह-रहकर याद आती है जिस दिन बाबा परमानान्द सिन्धी की दुकान पर बैठे थे। मैं अपने गाँव सालवई से डबरा कस्वे में बाजार से सौदा लेने आया था। वहाँ ...Read Moreपता चलाया कि बाबा कहाँ हैं? उन्हें खेजता हुँआ उस दुकान पर जा पहुँचा।....किन्तु आश्चर्य मेरे वहाँ पहुँचने का बाबा को पहले ही पता चल गया वे पहले से ही एक पेन(कलम) लिये वहाँ बैठे थे। जैसे ही मैं उनके सामने पहुँचा,वे उस कलम को मुझे देते हुये बोले-‘‘लो...।’’ मैं युग-युगान्तर से कलम के लिये प्यासा था। मैंने उनकी कृपा
परमहंस मस्तराम गैारीशंकर बाबा 3 बाबा कृषिकार्य में संलग्न रहे हों अथवा सेना में सेवा कररहे हों,अपने कर्तव्य के प्रति सदैव सजग रहे तथा दृढतापूर्वक उसको निवाहते रहे। अपने कर्तव्य को सत्यनिष्ठा पूर्वक करनाभी प्रभु प्राप्तिका एक श्रेष्ठ साधन ...Read Moreगया है। श्रीमद्भगव्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने स्प ष्ठ कहा है - स्वे स्वे कर्मण्यभिरतः संसिद्धिं लभते नरः । स्वकर्मनिरतः सिद्धिं यथाविन्दति चच्छृणु ।। अर्थात् अपने स्वाभाविक कर्म में तत्परतासे लगा हुआ मनुष्य जिस प्रकार भगवद्प्राप्ति रूप परम सिद्धि को प्राप्त होता है उस विधि को तू सुन- यथा प्रवृति भूतानां येन सर्वमिदं ततम् । स्वकर्मणा तमभ्यर्च्य सिद्धिं विन्दति मानवः।।
परमहंस मस्तराम गैारीशंकर बाबा 4 शून्य जी द्वारा लिखित बाबा के इस चरित्र को पढकर द्रश्य जगत एवं अदृश्य जगत के बारे में बात मेरे मन में आने लगी। यही बात मैंने गुरुदेव हरिओम तीर्थ जी के समक्ष रखी। ...Read Moreश्री बोले-‘‘दृश्य जगत वो जो दिखाई देता है। किन्तु अदृश्य जगत दो तरह का होता है। एक जो वासना से युक्त जैसे भूत-प्रेत, दूसरा निर्लिप्त। इसमें उन महान संतों की गिनती की जा सकती है जैस लल, परमानन्द तीर्थ,मुकुन्द तीर्थ, विष्णु तीर्थ एवं परमहंस मस्तराम गौरी शंकर बाबा आदि जो चिन्मय शरीर में रहते हैं। मैंने प्रश्न किया-‘‘ ये दिखाई
परमहंस मस्तराम गैारीशंकर बाबा5 आस्था के चरण से मथुरा प्रसाद शर्मा जी का यह वृतान्त पढ़कर हरवार मुझे लगता है-मैं अपने इस शरीर से पृथक हूँ। इसमें मैं उसी तरह निवास कर रहा हूँ जैसे अपने बनाये घर में ...Read Moreके साथ रहता हूँ। ये हाथ-पैर परिवार के सदस्य की तरह है। एक दिन इस शरीर को छोड़कर चला जाऊंगा। मैं अजर-अमर हूँ। मैं कभी मरता नहीं हूँ। वस्त्र की तरह इन शरीरों को बदलता रहता हूँ। फटे वस्त्रों से तुम्हें कितना मोह रहता हैं इसी तरह इस शरीर से मोह क्यों? बाबा इस तरह जाने कैसे-कैसे ज्ञान को मेरे