Misunderstanding book and story is written by रामानुज दरिया in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Misunderstanding is also popular in Short Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
ग़लतफ़हमी। - Novels
by रामानुज दरिया
in
Hindi Short Stories
Haa...y...eeee, कैसे हो आप, hello.....मैं ठीक हूँ आप बताओ कैसे हो, मैं भी ठीक हूँ, क्या हुआ...........?, No reply, अरे बोलो भी कुछ..................No reply, उसके बार बार आग्रह करने पर भी आशु कोई रिप्लाई नहीं दे रहा था। पहली बार स्क्रीन पर देख कर ओ इतना कंफ्यूज था कि आखिर करें क्या, उसे जी भर के देख लें या बातें कर लें । और सच्चाई ये थी की ओ देखने में एकदम मगन था इसलिए आशी की hello, hii उसको सुनाई नहीं दे रही थी। मगन भी क्यूं न हो काफ़ी दिनों से आशु आग्रह कर रहा था कि आपको
Haa...y...eeee, कैसे हो आप, hello.....मैं ठीक हूँ आप बताओ कैसे हो, मैं भी ठीक हूँ, क्या हुआ...........?, No reply, अरे बोलो भी कुछ..................No reply, उसके बार बार आग्रह करने पर भी आशु कोई रिप्लाई नहीं दे रहा था। पहली ...Read Moreस्क्रीन पर देख कर ओ इतना कंफ्यूज था कि आखिर करें क्या, उसे जी भर के देख लें या बातें कर लें । और सच्चाई ये थी की ओ देखने में एकदम मगन था इसलिए आशी की hello, hii उसको सुनाई नहीं दे रही थी। मगन भी क्यूं न हो काफ़ी दिनों से आशु आग्रह कर रहा था कि आपको
आज चार दिन हो गये, आशी ने बात नहीं की। ओ बहुत जिद्दी है ,हो सकता है कि ओ फिर कभी भी बात न करे क्योंकि उसकी कथनी और करनी में बहुत फर्क नहीं रहता है। पता नहीं कैसे ...Read Moreहोगी। इतना आसान तो नहीं है बिरह की आग को ठंढा करना। लेकिन हर किसी का अपना अलग कंट्रोलिंग पावर होता है । हो सकता है कि ओ उसे अच्छे से मैनेज कर ले।आशु का जो हाल है ओ तो मासा अल्ला है। सबकुछ जानते हुए भी आशु खुद को नहीं संभाल पाता है।ओ इतना टूट चुका है कि खुद
देखो न , हर कोई आ गया मिलने, कौन रूठता नहीं है पर इसका मतलब ये थोड़ी होता है कि बीच राह में साथ छोड़ कर चला जाये ओ भी सिर्फ़ ग़लतफ़हमी की वजह से। रात भी आई और ...Read Moreचली गयी, आंखों से आँख मिलाते हुए टिमटिमाते तारे भी आये, बालों को सजाने वाली हवा भी आकर चली गयी। जानती हो आज सुबह जब मैं उठा तो मिलने के लिये आपका भाई सूरज भी आया था , किरनों से पैरों को छुआ और माथे को चूम कर चला गया। ओ विस्वास दिला कर गया है कि मैं आ गया