जिंदगी - Novels
by Jay Khavada
in
Hindi Short Stories
जीवन की परिभाषा प्रत्येक व्यक्ति की दृष्टि में भिन्न होती है। आज के परिवेश में हम दौड़भाग में इतने व्यस्त हैं की स्वयं के लिए समय ही नहीं है। अर्थात हम स्वयं से कभी ये भी नहीं पूछ पाते ...Read Moreहम कहाँ जा रहे हैं? क्यों जा रहे हैं? कहाँ तक हमें ऐसे ही चले जाना है? हमने पाना क्या है? क्यूंकि“मृत्यु एक अटल सत्य है, जो हम सब का अंतिम पड़ाव है”।और वहां पर जा कर मृत व्यक्ति के लिए ये यात्रा, ये दौड़भाग, ये मौज मस्ती सब रुक जाता है, समय भी। मैं जीवन को समझने के लिए
जीवन की परिभाषा प्रत्येक व्यक्ति की दृष्टि में भिन्न होती है। आज के परिवेश में हम दौड़भाग में इतने व्यस्त हैं की स्वयं के लिए समय ही नहीं है। अर्थात हम स्वयं से कभी ये भी नहीं पूछ पाते ...Read Moreहम कहाँ जा रहे हैं? क्यों जा रहे हैं? कहाँ तक हमें ऐसे ही चले जाना है? हमने पाना क्या है? क्यूंकि“मृत्यु एक अटल सत्य है, जो हम सब का अंतिम पड़ाव है”।और वहां पर जा कर मृत व्यक्ति के लिए ये यात्रा, ये दौड़भाग, ये मौज मस्ती सब रुक जाता है, समय भी। मैं जीवन को समझने के लिए
ए कहानी उस कहानी से थोड़ी सी अलग ही हे । किसी शहर में दो भाई रहते थे। उनमें से एक शहर का सबसे बड़ा बिजनेसमैन था तो दूसरा निठल्ला और शराबी था। लोगों को उन्हें देखकर हैरत होती ...Read Moreकि आखिर दोनों में इतना अंतर क्यों है? जबकि दोनों एक ही माता-पिता की संताने हैं। एक जैसी शिक्षा प्राप्त हैं और बिलकुल एक जैसे माहौल में ही पले-बढ़े हैं। कुछ लोगों ने इस बात का पता लगाने का निश्चय किया और शाम को भाइयों के घर पहुंचे।अंदर घुसते ही उन्हें नशे में धुत एक व्यक्ति दिखा। वे उसके पास गए