Joravar Gadh book and story is written by Shakti Singh Negi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Joravar Gadh is also popular in Adventure Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
जोरावर गढ़ - Novels
by Shakti Singh Negi
in
Hindi Adventure Stories
मैं एक लेखक हूं। मेरे लेख और कहानियां पत्र-पत्रिकाओं तथा सोशल मीडिया में प्रकाशित होते रहते हैं। अनेक पाठक - पाठिकाओं के पत्र इस संबंध में मुझे आते रहते हैं। अभी - अभी मैं सोकर उठा था। दैनिक नित्यकर्म से निवृत्त होकर मैं अपने स्टडी रूम में कुछ लिख रहा था कि अचानक किसी ने कॉल - बेल बजाई। मैंने उठकर दरवाजा खोला तो देखा कि दरवाजे पर पोस्ट - मैन खड़ा था। उसने मुझे एक पत्र दिया। मैंने पत्र खोला तो पता चला कि यह राजस्थान की किसी पूर्व रियासत की राजकुमारी का पत्र था। पत्र का
मैं एक लेखक हूं। मेरे लेख और कहानियां पत्र-पत्रिकाओं तथा सोशल मीडिया में प्रकाशित होते रहते हैं। अनेक पाठक - पाठिकाओं के पत्र इस संबंध में मुझे आते रहते हैं। अभी - अभी मैं सोकर उठा था। दैनिक नित्यकर्म ...Read Moreनिवृत्त होकर मैं अपने स्टडी रूम में कुछ लिख रहा था कि अचानक किसी ने कॉल - बेल बजाई। मैंने उठकर दरवाजा खोला तो देखा कि दरवाजे पर पोस्ट - मैन खड़ा था। उसने मुझे एक पत्र दिया। मैंने पत्र खोला तो पता चला कि यह राजस्थान की किसी पूर्व रियासत की राजकुमारी का पत्र था। पत्र का
प्रिया - भोजन कर लीजिए। मैं - ठीक है राजकुमारी जी।प्रिया - मैं कुछ देर में आती हूं।मैं - ठीक है जी। मैंने भोजन कर लिया और हाथ मुंह धो कर सो गया। सुबह 4:00 बजे ...Read Moreनींद खुली। नित्य कर्म से निवृत्त होकर व्यायाम, योगासन आदि कर के मैंने स्नानादि किया और नोटबुक पर फिर लिखने लगा। लगभग 8:00 बजे प्रिया कमरे में दाखिल हुई और बोली चलिए आपको अपनी लाइब्रेरी दिखा लाऊं। नाश्ता कर हम दोनों तैयार हो गए। प्रिया के साथ मैं लाइब्रेरी में पहुंचा। लाइब्रेरी एक लंबे चौड़े हॉल में थी। वहां सुंदर महंगी बडी -
यहां सभी लोग बहुत संपन्न थे। परंतु 40% लोग बहुत गरीब थे। अर्थात 8 लाख लोग बहुत गरीब थे। हालांकि अब यह भारत की प्रजा थे। परंतु ये लोग अभी भी प्रिया को अपनी महारानी मानते थे। ...Read Moreमुझे अपने होटल से लगभग एक करोड़ रूपया प्रति माह आमदनी होने लगी थी। मैंने इस आमदनी का आधा भाग अर्थात् 50 लाख रुपए प्रतिमाह गरीबों के उत्थान, पढ़ाई, भोजन, मकान, दवाई आदि पर लगाना शुरू किया। मेरे कार्य से प्रिया बहुत प्रसन्न हुई। उसने भी अपनी आधी कमायी अर्थात् चार करोड़ प्रतिमाह गरीबों के उत्थान पर लगाना शुरू कर दिया।