Zorawar Garh - Part 3 books and stories free download online pdf in Hindi

जोरावर गढ़ - भाग 3

यहां सभी लोग बहुत संपन्न थे। परंतु 40% लोग बहुत गरीब थे। अर्थात 8 लाख लोग बहुत गरीब थे। हालांकि अब यह भारत की प्रजा थे। परंतु ये लोग अभी भी प्रिया को अपनी महारानी मानते थे।


मुझे अपने होटल से लगभग एक करोड़ रूपया प्रति माह आमदनी होने लगी थी। मैंने इस आमदनी का आधा भाग अर्थात् 50 लाख रुपए प्रतिमाह गरीबों के उत्थान, पढ़ाई, भोजन, मकान, दवाई आदि पर लगाना शुरू किया। मेरे कार्य से प्रिया बहुत प्रसन्न हुई। उसने भी अपनी आधी कमायी अर्थात् चार करोड़ प्रतिमाह गरीबों के उत्थान पर लगाना शुरू कर दिया।


मैंने अपनी होटल में कर्मचारियों की सैलरी व सुविधाएं बढ़ाई। काम के घंटे कम कर 8 घंटे किये। नए अच्छे कर्मचारियों की भर्ती की तथा कुछ पुराने कामचोर, बदमाश कर्मचारियों को निकाल बाहर किया। अब होटल और भी अच्छा चलने लगा। यह देख प्रिया ने अपने होटलों में भी यही करने की सोची। मैंने इस कार्य में उसका पूरा साथ दिया। मेरी सलाह पर प्रिया ने अपने महल के कर्मचारियों की सैलरी व सुविधाएं बढ़ाई व उनके काम के घंटे भी कम करके 8 घंटे कर दिए। अब कर्मचारी गण व पब्लिक हमसे बहुत खुश हो गई। मैंने प्रिया को राजनीति में उतरने की सलाह दी। प्रिया ने एक प्रतिष्ठित पार्टी से टिकट लेकर M.P. का चुनाव जीत लिया। प्रिया के अनुरोध पर मैं भी राजनीति में आ गया और मैं भी M.P. बन गया।


अब सरकारी प्रयास व हमारे कारण यहां की प्रजा खुशहाल और समृद्ध हो गई। सभी गरीब अमीर बन चुके थे।

अब तक मैं जोरावर गढ का इतिहास नाम से आधी पुस्तक लिख चुका था। 2 साल बीत चुके थे। इस बीच मैं प्रिया से अनुमति लेकर अपने घर व अन्य जगह आता जाता रहता था। जोरावर गढ़ में परिवार नियोजन पूर्ण रुप से लागू कर जनसंख्या स्थिर कर दी गई।


मैंने हजारों पुस्तकों, म्यूजियमों व पुरानी सभ्यताओं के अध्ययन से काफी महत्वपूर्ण जानकारियां अर्जित कर पुस्तक में लिखी। जोरावरगढ़ के आसपास के स्थलों व पुरातात्विक स्थलों की जानकारी मैंने पुस्तक मे लिखी। अब यह जानकारी सामने आई।


आज से 9 साल पहले यहां पूर्व द्वारिका कालीन सभ्यता थी। 5000 वर्ष पहले यहां महाभारत कालीन सभ्यता थी। खुदाई में मिले नरकंकालों से पता चला कि अनेक सभ्यताओं का यहां के लोगों से व्यापारिक संबंध थे। अनेक आक्रमणकारियों ने यहां आक्रमण किया। 9000 वर्ष पुराने एक नर कंकाल का डीएनए राजकुमारी प्रिया के डीएनए से मिला।


यह 9000 वर्ष पुराना नर कंकाल महाराज विश्वजीत का था। यह बहुत पराक्रमी राजा थे। यह भूकंप में तबाह नगर के मलबे में अपने परिजनों के साथ दब गए थे। 5000 वर्ष पूर्व यहां के राजा महाभारत युद्ध में पांडवों के पक्ष में थे। शक, हूण, मुगल और अंग्रेजों आदि से यहां के राजाओं ने युद्ध किया था। राजकुमारी प्रिया भगवान राम की 286 वीं वंशज थी।


इस 286वीं वंशज ने अपने मित्र प्रताप के निर्देशन में प्रजा का उत्थान व विकास किया। पुस्तक पूर्ण हो चुकी थी। प्रिया ने इस पुस्तक को एक प्रतिष्ठित प्रकाशन से प्रकाशित करवाया। सारी रायल्टी प्रताप के ही नाम कर दी गई।


प्रताप ने अब प्रिया से विदा मांगी। प्रिया ने अश्रुपूरित नेत्रों से प्रताप को विदा दी। परंतु यदा-कदा मिलते रहने का वचन ले ही लिया।