कहानी सब्जीपुर की - Novels
by राज कुमार कांदु
in
Hindi Comedy stories
सब्जीपुर के युवराज ‘ आलू चंद ‘ की विवाह योग्य उम्र होते ही राज्य के सभी मंत्री , दरबारी उनके लिए सुयोग्य नायिका की खोज में लग गए ।सब्जी पुर की कई यौवनाएँ मन ही मन आलूचन्द के सपने ...Read Moreथीं । लेकिन अपनी छोटी सी हैसियत देखकर उन्हें अपना मन मसोस कर रह जाना पड़ता था । दरबारी पंडित लौकी चंद ने अपने दूर के रिश्तेदार की बेटी कद्दू से आलूचन्द के रिश्ते की बात चलाई । दोनों पक्षों की आपसी सहमति में यह तय हुआ कि एक नजर भावी वर व वधू एक दूसरे को देख परख लें
सब्जीपुर के युवराज ‘ आलू चंद ‘ की विवाह योग्य उम्र होते ही राज्य के सभी मंत्री , दरबारी उनके लिए सुयोग्य नायिका की खोज में लग गए ।सब्जी पुर की कई यौवनाएँ मन ही मन आलूचन्द के सपने ...Read Moreथीं । लेकिन अपनी छोटी सी हैसियत देखकर उन्हें अपना मन मसोस कर रह जाना पड़ता था । दरबारी पंडित लौकी चंद ने अपने दूर के रिश्तेदार की बेटी कद्दू से आलूचन्द के रिश्ते की बात चलाई । दोनों पक्षों की आपसी सहमति में यह तय हुआ कि एक नजर भावी वर व वधू एक दूसरे को देख परख लें
साथियों नमस्कार ! इससे पूर्व की कड़ी में आप सभी ने पढ़ा कि किस तरह आलूचन्द और कद्दू कुमारी की सगाई के मौके पर अचानक भिंडी कुमारी की वजह से अच्छा खासा बवाल हो गया और उनकी सगाई का ...Read Moreखटाई में पड़ गया। इस सारे फसाद की जड़ पंडित लौकिचन्द को ही माना गया और भिंडी कुमारी तो विवाद के केंद्र में थी ही। कहते हैं तब से ही सब्जीपुर में सत्ता के दो केंद्र बन गए । एक खेमा जो आलूचन्द का समर्थक था जिसमें परवल लाल, मटरू चंद, गोभीदेवी, बैंगनलाल, टमाटर लाल सहित कई लोकप्रिय सब्जियाँ शामिल हैं