Kahaani Bhola ki book and story is written by राज कुमार कांदु in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Kahaani Bhola ki is also popular in Comedy stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
कहानी भोला की - Novels
by राज कुमार कांदु
in
Hindi Comedy stories
भोला सत्रह साल का एक ग्रामीण युवक था । अपने नाम के अनुरूप ही सीधा सादा और भोला या यूँ भी कह सकते हैं नाम से भी ज्यादा भोला ।
उसके पिताजी बचपन में ही गुजर गए थे । शोषित जाति का होने के साथ ही गरीब होना व मंदबुद्धि होना जैसे कई गुनाह तो वह पैदा होने के साथ ही कर चुका था । सो उसका क्या नाम है इससे साथ खेलने वाले ऊँची जाति के लड़कों को कोई फर्क नहीं पड़ता था । सभी लडके उसे गाली देकर ही बुलाते थे ” अबे साले ! सुन ! ”
नन्हा सा भोला रोते हुए घर पर आता और अपनी माँ से पूछता ” सभी लडके मुझे साले कहकर क्यूँ बुलाते हैं माँ ? ”
भोला सत्रह साल का एक ग्रामीण युवक था । अपने नाम के अनुरूप ही सीधा सादा और भोला या यूँ भी कह सकते हैं नाम से भी ज्यादा भोला ।उसके पिताजी बचपन में ही गुजर गए थे । शोषित ...Read Moreका होने के साथ ही गरीब होना व मंदबुद्धि होना जैसे कई गुनाह तो वह पैदा होने के साथ ही कर चुका था । सो उसका क्या नाम है इससे साथ खेलने वाले ऊँची जाति के लड़कों को कोई फर्क नहीं पड़ता था । सभी लडके उसे गाली देकर ही बुलाते थे ” अबे साले ! सुन ! ”नन्हा सा
काफी देर तक आजाद मैदान में घुमते हुए भोला विचार करता रहा । अब क्या करे ? कहाँ जाए ? इतने बड़े शहर में कोई परिचित भी नहीं था जहाँ चला जाये । सोचते हुए भी उसके कदम चलते ...Read More। इधर उधर घुमते हुए वह वापस महानगर पालिका भवन के पास आकर खड़ा हो गया ।बगल में ही कई लोगों को स्टाल पर से वडा सांबर मसाला डोसा वगैरह खाते देखकर मन ही मन सोचा पता नहीं ये लोग क्या खा रहे हैं ? न रोटी ही है और न सब्जी !तभी सामने से आती डबल डेक्कर बस देखकर
पुलिस चौकी से निकल कर भोला एक पार्क के सामने लगे बेंच पर सो गया ।सुबह देर से नींद खुली थी । उठकर अब उसे कुछ काम धाम करने की चिंता सताने लगी । वहीँ बैठे हुए सोचने लगा ...Read Moreअब हम क्या करें ? ‘ कुछ देर बाद वह उठा और सामने की ईमारत के सामने जाकर खड़ा हो गया । वहाँ एक बोर्ड लगा था जिस पर लिखा था ‘ यहाँ मेहनती आदमियों की जरुरत है ! रहना खाना फ्री । ‘बस फिर क्या था ? भोला ने सोच लिया कि बस उसे यहीं पूछना चाहिए । संयोग से