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एक थी...आरजू - Novels
by Satyam Mishra
in
Hindi Fiction Stories
प्रिय पाठकों,यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है जिसका किसी भी व्यक्ति के जीवन अथवा किसी घटना विशेष से कोई सम्बन्ध नहीं है। कहानी का उद्देश्य मनोरंजन मात्र है,किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचना नहीं। यदि कहानी में कहीं भी कोई गलती हुई है तो उसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ--सत्यम मिश्रा! आरजू! बाईस तेईस वर्षीय बला सी खूबसूरत और मॉर्डन ख्यालातों की गुलाम लड़की। तीखे नैन नख्श और कातिल अदाओं वाली आरजू दिल्ली
एक थी आरजू-1 प्रिय पाठकों,यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है जिसका किसी भी व्यक्ति के जीवन अथवा किसी घटना विशेष से कोई सम्बन्ध नहीं है। कहानी का उद्देश्य मनोरंजन मात्र है,किसी ...Read Moreभावनाओं को ठेस पहुंचना नहीं। यदि कहानी में कहीं भी कोई गलती हुई है तो उसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ--सत्यम मिश्रा! आरजू! बाईस तेईस वर्षीय बला सी खूबसूरत और मॉर्डन ख्यालातों की गुलाम लड़की। तीखे नैन नख्श और कातिल अदाओं वाली आरजू दिल्ली
और एक रात, अपनी एक खास फ्रेंड रंजना की बर्थडे पार्टी के मौके में जो कि एक बार में दी गई थी-आरजू ...Read Moreहुई थी। रात के तकरीबन ग्यारह बज रहे थे जिस वक्त नशे के आलम में डांसिंग फ्लोर पर डांस रही थी वह। कुछ फ्रेंड घर जा चुके थे तो कुछ उसी बार के उपरले फ्लोर पर बने रूम में नशे के प्रभाव में लुढ़के पड़े हुए थे।
अगले दिन, एक कॉफी हाउस में आरजू इत्तेफाकन उस नौजवान से टकरा गई जिसका नाम शहजाद था। आरजू की नजर जब उसपर पड़ी ...Read Moreउसे अपनी ओर देखता ही पाया। वह अपने टेबल से उठ कर उस ओर चली गई जिधर वह बैठा न जाने कब से उसे ही देखे जा रहा था। "हैलो हैंडसम"--वह उसके समीप जा कर कातिलाना अंदाज में मुस्कराई--"तुम यहां कैसे?" "क्यों मैडम मैं यहां नहीं
उस दिन सारा टाइम आरजू शहजाद की बाइक पर उसके गले में अपनी बाहों का फंदा डाले घूमती फिरती रही। सबसे पहले शहजाद उसे सिनेमा दिखाने ले गया,फिर लवर्स प्वाइंट पर दोनो ने बेहद खूबसूरत पल बिताए। इसके बाद ...Read Moreशहर के फाइव स्टार होटल में रात के डिनर के लिए पहुंचे। आरजू ने नैना को कॉल करके यह बता दिया की इस वक्त वह अपनी फ्रेंड रंजना के साथ है इसलिए वह रात में घर लौटने में लेट हो जाएगी।
इसके बाद ये आरजू के रोज का रूटीन बन गया की वह शहजाद के साथ उसकी बाइक पर घूमने फिरने के लिए निकल जाती थी। शहजाद उसे कई जगहों पर फिराने के लिए लेकर जाता था। महंगे सिनेमाघरों,अव्वल दर्जे ...Read Moreहोटलों,शॉपिंग मॉल में ले जाता था। वह दिल खोल कर आरजू पर पैसे खर्च करता था। जब आरजू उससे पूछती की वह कहीं जॉब नहीं करता है तो फिर उसके पास इतनी दौलत कहाँ से आती है,तो हर दफा इस बात का वह उसे नाकाबिलेयकीन जवाब ही देता था। अक्सर देर