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एक रिश्ता ऐसा भी - Novels
by Ashish Dalal
in
Hindi Women Focused
स्कूल प्रांगण में प्रवेश करने का एक मात्र यही रास्ता था । पिछली रात हुई जोरदार बारिश की वजह से पूरा रास्ता टूट चुका था । रास्ते पर पानी भर जाने की वजह से सभी को इस रास्ते से अन्दर जाने में परेशानी हो रही थी । बच्चो को छोड़ने आए पेरेंट्स बड़ी मुश्किल से सम्हलकर अन्दर दाखिल हो रहे थे । ऐसे में उस युवती की एक्टिवा उसी रास्ते पर बन्द पड़ गई । अन्दर आने और बाहर निकलने वाले लोगों ने हार्न बजा बजाकर उसे परेशान कर दिया । काफी प्रयास करने के बाद भी जब उसकी एक्टिवा चालू नही हुई तो वह परेशान हो उठी । परेशानी के साथ साथ लोगों की बढ़ती भीड़ देखकर उसकी घबराहट भी बढ़ती जा रही थी । अंततः हारकर एक्टिवा से उतरकर वह उसे धक्का देकर एक साइड ले जाने का प्रयत्न करने लगी । तभी पीछे से वह युवक आया और पीछे की ओर से उसकी एक्टिवा को धक्का देने लगा । उसने पीछे मुड़कर देखा तो एक क्षण के लिए उसके आगे बढ़ते कदम वहीं थम गए । तभी लोगों की आवाजे और हार्न का लगातार बढ़ता शोर सुनकर उसने जोर लगाकर अपनी एक्टिवा साइड पर खड़ी कर दी ।
एक रिश्ता ऐसा भी (भाग १) स्कूल प्रांगण में प्रवेश करने का एक मात्र यही रास्ता था । पिछली रात हुई जोरदार बारिश की वजह से पूरा रास्ता टूट चुका था । रास्ते पर पानी भर जाने की वजह ...Read Moreसभी को इस रास्ते से अन्दर जाने में परेशानी हो रही थी । बच्चो को छोड़ने आए पेरेंट्स बड़ी मुश्किल से सम्हलकर अन्दर दाखिल हो रहे थे । ऐसे में उस युवती की एक्टिवा उसी रास्ते पर बन्द पड़ गई । अन्दर आने और बाहर निकलने वाले लोगों ने हार्न बजा बजाकर उसे परेशान कर दिया । काफी प्रयास करने
एक रिश्ता ऐसा भी (भाग २) मयंक, जानती हूं पत्र पढ़कर तुम्हें बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा । वैसे भी पिछले पत्र का भी तुमने कोई जवाब नहीं दिया तो नाराज तो तुम अब भी हो मुझसे । मुझसे ...Read Moreयह नाराजगी शायद अब जीवन पर्यन्त बनी रहेगी । मैं अपने परिवार की इच्छा के विरुद्ध ऐसा कदम कोई कदम नहीं उठा सकती जिससे उन्हें शर्मिन्दा होना पड़े । अगले महीने मेरी सगाई होने वाली है और दीवाली के बाद शादी भी हो जाएगी । तुम्हारा प्यार कभी भी भुला नहीं पाऊंगी पर सामाजिक बन्धनों के चलते तुम्हें स्वीकार न
एक रिश्ता ऐसा भी (भाग ३) ऑफिस के अलावा दोनों का बाहर मिलना कम ही हो पाता था । उत्तरा रोज ठीक ६ बजे ऑफिस से निकल जाती पर मयंक अकाउन्ट डिपार्टमेन्ट में होने से अक्सर देर से ही ...Read Moreपाता । लंच टाइम में दोनों कभी कभी बाहर निकल जाते और अपने प्यार की नींव पर सजाएं जाने वाले भविष्य की बातें किया करते । उस दिन वे दोनों लंच लेकर उस रेस्टारेन्ट से बाहर निकल रहे थे तभी किसी काम से उस ओर आए उत्तरा के भाई की नजर उन दोनों पर पड़ी । किसी भी भाई के
एक रिश्ता ऐसा भी (भाग ४) अगले दिन नलिनी की तबियत ज्यादा खराब होने से अपने बेटे को स्कूल छोड़ आने के बाद वह उसे लेकर पास के ही एक प्राइवेट अस्पताल में चैकअप के लिए ले गया । ...Read Moreबार बार उसके अतीत को उसके सामने लाकर खड़ा कर दे रहे थे । यहां रिशेप्सन डेस्क पर उत्तरा को पाकर वह ठिठक गया । वह समझ नहीं पा रहा था कि पिछले ८ वर्षों से इसी शहर में रहने के बावजूद कभी भी उत्तरा से उसकी मुलाकात नहीं हुई और अब अचानक ऐसा क्या हो गया जो उत्तरा बार
एक रिश्ता ऐसा भी (अंतिम भाग) उत्तरा के बारें में जानकर मयंक और भी व्यथित हो गया । अपने जिस अतीत को पीछे छोड़ अपने जीने की एक अलग ही वजह बना ली थी आज वही अतीत उसके ...Read Moreके सामने आकर उसे उलझा रहा था । वह उत्तरा की हर संभव मदद करना चाहता था । अब आये दिन नलिनी से अतिशय प्यार जताकर मयंक ही धैर्य को स्कूल छोड़ने जाने लगा । इसी बहाने वह उत्तरा से दो घड़ी बातें करने का मौका ढ़ूढ़ लेता । नलिनी मयंक के स्वभाव अचानक आये परिवर्तन को देखकर खुश थी ।