ANGDAIYAN book and story is written by Ramnarayan Sungariya in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. ANGDAIYAN is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
अँगड़ाईयॉं - Novels
by Ramnarayan Sungariya
in
Hindi Fiction Stories
कामेश्वर ने दरवाजा खटखटाया, ‘’ठक्क....ठक्क....!’’
............द्वार खुलते ही अवाक्य रह गया,…….ओंठ खुले के खुले रह गये। सामने हंसीन हुस्न की हूर, मुस्कुराती कलियॉं बिखेर रही है। सूरत पर रौनक झिलमिला रही है, ऑंखों में खुमार उमड़ रहा है, खुली बिखरी जुल्फों में काली घटाऍं घुमड़ रही हैं। महीन दिलकश सुरूरी आवाज ओंठों की कमान से निकली, पलक झपकते दिल में जा धंसी......ऊ ! आह फूट पड़ी, ‘’जी.....!’’
‘’दल्ली है !’’ कामेश्वर की चेतना लौटी।
‘’.....कामेश्वर सर.......।‘’
‘’हॉं ! तुम.....?’’
‘’रति !’’ उसने अत्यन्त आत्मियता पूर्वक मृदु वाणी में बताया, ‘’दल्ली ने वैट करने का कहा है।‘’ रति ने अन्दर आने हेतु इशारा किया।
रति अपनी लचकदार देह लहराते हुये अन्दर मुड़ गई, ‘’बैठिए !’’ रति ने कनखियों से कामेश्वर को देखा, ‘’दल्ली आ जायेगा।‘’
उपन्यास भाग—१ अँगड़ाईयॉं– १ ...Read More आर. एन. सुनगरया, कामेश्वर ने दरवाजा खटखटाया, ‘’ठक्क....ठक्क....!’’ ............द्वार खुलते ही अवाक्य रह गया,…….ओंठ
उपन्यास भाग—२ अँगड़ाईयॉं– २ ...Read More आर. एन. सुनगरया, कामेश्वर हाट-बाजार का जायजा लेता, घूमता-घामता, ढूँढ़ता-ढॉंढ़ता, खोजता-खाजता, तलाश करता पहुँच ही गया रति के डेरे पर। वहॉं चार युवतियॉं सजी-संवरी, हंसी-ठिठोली, हंसती-खिल-खिलाती, ठहाके लगाती, एक-दूसरे के साथ लिपट-लिपट कर उधम-मस्ति करती, तितलियों की