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ईश्वर लीला विज्ञान - Novels
by ramgopal bhavuk
in
Hindi Spiritual Stories
ईश्वर लीला विज्ञान 1 अनन्तराम गुप्त कवि ईश्वर की अनूठी कारीगरी पर मुग्ध हैं, और आकाश, अग्नि, पवन, जल एवं पृथ्वी के पांच पुराने तत्वों का वर्णन आज के वैज्ञानिक सिद्धान्तों के साथ गुम्फित करते हुये प्रस्तुत करता है। साथ ही उसने पदार्थों के गुणों तथा वनस्पिति और प्राणी विज्ञान का प्रारंभिक परिचय अंग्रेजी नामों के साथ यत्न पूर्वक जुटाया है। दिनांक-01-09-2021 सम्पादक रामगोपाल भावुक अपनी बात जब मैं सन् 1962 में शालेय विज्ञान प्रशिक्षण हेतु गया, तो प्रशिक्षण में आश्चर्य भरी बातें सुनकर मन बड़ा हर्षित हुआ और उस ईश्वर की अति सूक्ष्म गूढ़ रचना
ईश्वर लीला विज्ञान 1 ...Read More अनन्तराम गुप्त कवि ईश्वर की अनूठी कारीगरी पर मुग्ध हैं, और आकाश, अग्नि, पवन, जल एवं पृथ्वी के पांच पुराने तत्वों का वर्णन आज के वैज्ञानिक सिद्धान्तों के साथ गुम्फित करते हुये प्रस्तुत करता है। साथ ही उसने पदार्थों के गुणों तथा वनस्पिति और प्राणी विज्ञान का प्रारंभिक परिचय अंग्रेजी नामों के साथ यत्न पूर्वक जुटाया है। दिनांक-01-09-2021 सम्पादक रामगोपाल भावुक अपनी बात जब मैं सन् 1962 में शालेय विज्ञान प्रशिक्षण हेतु गया, तो प्रशिक्षण में आश्चर्य भरी बातें सुनकर मन बड़ा हर्षित हुआ और उस ईश्वर की अति सूक्ष्म गूढ़ रचना
ईश्वर लीला विज्ञान 2 ...Read More अनन्तराम गुप्त कवि ईश्वर की अनूठी कारीगरी पर मुग्ध हैं, और आकाश, अग्नि, पवन, जल एवं पृथ्वी के पांच पुराने तत्वों का वर्णन आज के वैज्ञानिक सिद्धान्तों के साथ गुम्फित करते हुये प्रस्तुत करता है। साथ ही उसने पदार्थों के गुणों तथा वनस्पिति और प्राणी विज्ञान का प्रारंभिक परिचय अंग्रेजी नामों के साथ यत्न पूर्वक जुटाया है। दिनांक-01-09-2021 सम्पादक रामगोपाल भावुक उष्मा विद्युत एकहिं जानो, किरिया तासु जटिल पहिचानो। घरषण से जो विद्युत बनई, बालक खेलत तासौं रहई।। धन ऋण आत्मक कण हट जावे, वस्तु अकरषण चित में लावैं।
ईश्वर लीला विज्ञान 3 ...Read More अनन्तराम गुप्त कवि ईश्वर की अनूठी कारीगरी पर मुग्ध हैं, और आकाश, अग्नि, पवन, जल एवं पृथ्वी के पांच पुराने तत्वों का वर्णन आज के वैज्ञानिक सिद्धान्तों के साथ गुम्फित करते हुये प्रस्तुत करता है। साथ ही उसने पदार्थों के गुणों तथा वनस्पिति और प्राणी विज्ञान का प्रारंभिक परिचय अंग्रेजी नामों के साथ यत्न पूर्वक जुटाया है। दिनांक-01-09-2021 सम्पादक रामगोपाल भावुक जल की भाप जो वायू समावै, गर्मी ठंडक को अनुभावै। सर्दी में यह खेल दिखावै, कुहरा ओस आदि वन जावै।। इसकी माप करन के कारन, गीला सूखा यंत्र
ईश्वर लीला विज्ञान 4 ...Read More अनन्तराम गुप्त कवि ईश्वर की अनूठी कारीगरी पर मुग्ध हैं, और आकाश, अग्नि, पवन, जल एवं पृथ्वी के पांच पुराने तत्वों का वर्णन आज के वैज्ञानिक सिद्धान्तों के साथ गुम्फित करते हुये प्रस्तुत करता है। साथ ही उसने पदार्थों के गुणों तथा वनस्पिति और प्राणी विज्ञान का प्रारंभिक परिचय अंग्रेजी नामों के साथ यत्न पूर्वक जुटाया है। दिनांक-01-09-2021 सम्पादक रामगोपाल भावुक पृथ्वी पृथ्वी गुण वरणन करूं, ईश्वर लीला मद्ध। सुनिये गुनिये चित्त दे, स्वयं होय यह सिद्ध।। 47।। अब पृथ्वी वरणन सुन लीजै, वैज्ञानिक कहं तहां चित दीजै। नव ग्रह मध
ईश्वर लीला विज्ञान 5 ...Read More अनन्तराम गुप्त कवि ईश्वर की अनूठी कारीगरी पर मुग्ध हैं, और आकाश, अग्नि, पवन, जल एवं पृथ्वी के पांच पुराने तत्वों का वर्णन आज के वैज्ञानिक सिद्धान्तों के साथ गुम्फित करते हुये प्रस्तुत करता है। साथ ही उसने पदार्थों के गुणों तथा वनस्पिति और प्राणी विज्ञान का प्रारंभिक परिचय अंग्रेजी नामों के साथ यत्न पूर्वक जुटाया है। दिनांक-01-09-2021 सम्पादक रामगोपाल भावुक वनस्पति करौ वनस्पति गान अव, ईश्वर लीला जान। कैसी अचरज सृष्टि यह, करिये मन अनुमान।।74।। सुनो वनस्पति का अब वरणन, जो जग प्राणी का अवलम्बन। नर पशु पक्षी याकों खावैं,