YUDHISHTHIR KA DHARM book and story is written by SANJIV PODDAR in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. YUDHISHTHIR KA DHARM is also popular in Spiritual Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
युधिष्ठिर का धर्म - Novels
by SANJIV PODDAR
in
Hindi Spiritual Stories
" क्यों की मुझे दुर्योधन के धर्म की नहीं अपने धर्म की रक्षा करनी है "
धृत क्रीड़ा में दुर्योधन और शकुनि के छल से पराजित होने के बाद जब धर्मराज अपने भाइयों के साथ वनवास में धौम्य ऋषि के आश्रम में थे, तब एक दिन अपने प्रवचन के बाद ऋषि ने धर्मराज से पूछा की धृत क्रीड़ा में छल पूर्वक हारने के पश्चात धर्मराज ने अपने क्षत्रिय धर्म का पालन करते हुए वही कुरु राज सभा में अपने और भाइयों के बल और पराक्रम का प्रदर्शन क्यों नहीं किया, और क्यों वन जाने की शर्त मानी?
धर्मराज ने कहा की जो दुर्योधन और शकुनि कर रहे थे वह धर्म नहीं था, धर्मराज का धर्म था की उन्हें कुरुराज धृतराष्ट्र की आज्ञा का पालन करना , पिता पाण्डु की मृत्यु के पश्चात पितृव्य धृतराष्ट्र ही उनके पिता थे, अतः पिता की आज्ञा का उलंघन अधर्म है।
" क्यों की मुझे दुर्योधन के धर्म की नहीं अपने धर्म की रक्षा करनी है " धृत क्रीड़ा में दुर्योधन और शकुनि के छल से पराजित होने के बाद जब धर्मराज अपने भाइयों के साथ वनवास में धौम्य ऋषि ...Read Moreआश्रम में थे, तब एक दिन अपने प्रवचन के बाद ऋषि ने धर्मराज से पूछा की धृत क्रीड़ा में छल पूर्वक हारने के पश्चात धर्मराज ने अपने क्षत्रिय धर्म का पालन करते हुए वही कुरु राज सभा में अपने और भाइयों के बल और पराक्रम का प्रदर्शन क्यों नहीं किया, और क्यों वन जाने की शर्त मानी? धर्मराज ने कहा