पहाडिन - Novels
by Jayesh Gandhi
in
Hindi Love Stories
निवाड़ी, नंदादेवी पर्वत के निचले इलाके में बसा एक छोटा सा गांव। गांव के चारो और छोटीछोटी पहाड़िया,-घने पेड़ो के झुरमुट थे। गांव के पास में अलकनंदा नदी अपना निर्मल ओर पवित्र जल बहाती है। ज्यादातर गांव की औरते यहाँ सुबह और शाम को पिने का पानी लेने आती है। ये पहाड़ी इलाका अपनी खूबसूरती के वजह से ही जाना जाता है।सूरज की किरणे जब नदी की जल से अठखेलिया करती है तब सारा इलाका सोने की चमक सा दिप उठता है। जैसे पहाड़ के टोच से पिगला हुआ सोना गांव को नहलाकर कर और नदी में विलीन हो जाता है। चारो ओर एक अजीब सा सुकून था। मन को प्रफुल्लित करने वाली ताज़ी हवाएं ,मासूम चिडियों की ची ची की आवाजे। नदी के पानी का कलशोर एक संगीत , जैसे निंरतर हवा में गूंजता रहता है।
कुदरत ने यहाँ अपनी सुंदरता को यु बिखेरा है जैसे कोई रंगबाज अपने रंग कागज़ पे बिखेरता है। यहाँ का नज़ारा इतना हसीन ओर मन मोहक है की कई प्रकृति प्रेमी शीत काल में यहाँ घंटो बैठे रहते है।
पहला खंड निवाड़ी, नंदादेवी पर्वत के निचले इलाके में बसा एक छोटा सा गांव। गांव के चारो और छोटीछोटी पहाड़िया,-घने पेड़ो के झुरमुट थे। गांव के पास में अलकनंदा नदी अपना निर्मल ओर पवित्र जल बहाती है। ज्यादातर गांव ...Read Moreऔरते यहाँ सुबह और शाम को पिने का पानी लेने आती है। ये पहाड़ी इलाका अपनी खूबसूरती के वजह से ही जाना जाता है।सूरज की किरणे जब नदी की जल से अठखेलिया करती है तब सारा इलाका सोने की चमक सा दिप उठता है। जैसे पहाड़ के टोच से पिगला हुआ सोना गांव को नहलाकर कर और नदी में विलीन
कहते है अगर आप किसीको सच्चे दिलसे याद करोगे तो आपकी पुकार वो कही भी हो सुन लेता है। यही चंदा और सूरज के साथ हुवा दोनों एक दूसरे को एक बार मिलना चाहते थे। कुदरत ने उन्हें मौका ...Read Moreदिया। राम मनोहर ने चंदा से कहा जाओ सूरज और आकाश को सेक्री पहाड़ी से दूर मुख्य रास्ता है जहा से चमोली जा सके, रास्ता दिखाके आओ।" जी ,बापू , कह के वो बहार आ गई। सूरज से दोबारा मिलने की बात ने ही उसे खुशी से दीवाना बना दिया। वो हिरन की तरह दौड़ती अपनी सहेली रैना के पास
(सूरज और चंदा पहाड़ी के छोर से अलग होते है उसके बाद की कहानी) आकाश आगे चला जा रहा था और सूरज पीछे पीछे मरा मरा सा चल रहा था। अपने दोस्त की दिली हालत से वाकिफ था इसलिए ...Read Moreढलान उतरने के बाद रुक गया। सूरज बुझा बुझा सा लग रहा था ,जैसे उनकी सारी शक्ति चंदा ले गयी हो। ये मासूम दिलो की मुहोबत भी मासूम है ज़माने के सामने ये कब तक टिकेंगे ये तो आकाश को नहीं मालुम लेकिन वो इन दोनों को मिलाके रहेगा। कुछ देर चलते चलते वो लोग एक सड़क तक आ गये।
पहाड़िन-४ इश्क़ और मुश्क कभी छुपते नहीं और जब वो सर पे चढ़ छाए तो अच्छे अच्छे को नाच नचाते है। सूरज चलती ट्रक से उत्तर कर वापिस चंदा को मिलने आ गया। सूरज यार की यारी में फिर ...Read Moreपहाड़ो का सफर करने आ गया। एक स्थान पर जब थक कर सूरज खड़ा रहा था की उसने देखा कुछ काळा कपडे वाले लोग एक बंदी को उठा के लेजा रहे थे। देखने में वो लड़की भोली भली लगती थी और काले कपडे वाले लोग अपना चहेरा छुपाने की कोशिश कर रहे थे। सूरज न जाने क्यों उन के पीछे