अनोखा प्रस्ताव - Novels
by Kishanlal Sharma
in
Hindi Moral Stories
सर्दियी की रात।रात के बारह बज चुके थे।वर्षा के सास ससुर और ननद कब के अपने अपने कमरों में जाकर सो चुके थे।वर्षा भी रोज सो जाती थी।लेकिन आज उसकी आँखों मे नींद नही थी।
वर्षा ने शेखर से तलाक लेने का निर्णय कर लिया था।अपने निर्णय की सूचना वह शेखर को देना चाहती थी।शेखर अभी तक घर नही लौटा था।इसलिए वर्षा उसके आने का इन्तजार कर रही थी।
शेखर से वर्षा की शादी को अभी तीन साल भी पूरे नही हुए थे।शादी के बाद काफी दिनों तक उसका ध्यान पति की उस कमी की तरफ नही गया था।एक रात को अचानक उसका ध्यान उस तरफ गया।फिर भी नारी सुलभ लज्जा,संकोच,झिझक,शर्म की वजह से वह पति से कुछ न कह सकी।पर कब तक?
वर्षा के इन्तजार की घड़ियां खत्म हुई।कार की आवाज शेखर के आने का संकेत थी।कार पोर्टिको में खड़ी करके शेखर बेड रूम में चला आया।वह कपड़े चेंज करके पलँग पर आया तब वर्षा को जगते देखकर बोला,"क्या बात है।आज तुम अभी तक सोयी नही?"
सर्दियी की रात।रात के बारह बज चुके थे।वर्षा के सास ससुर और ननद कब के अपने अपने कमरों में जाकर सो चुके थे।वर्षा भी रोज सो जाती थी।लेकिन आज उसकी आँखों मे नींद नही थी।वर्षा ने शेखर से तलाक ...Read Moreका निर्णय कर लिया था।अपने निर्णय की सूचना वह शेखर को देना चाहती थी।शेखर अभी तक घर नही लौटा था।इसलिए वर्षा उसके आने का इन्तजार कर रही थी।शेखर से वर्षा की शादी को अभी तीन साल भी पूरे नही हुए थे।शादी के बाद काफी दिनों तक उसका ध्यान पति की उस कमी की तरफ नही गया था।एक रात को अचानक
शेखर के उतेजित होने पर भी वर्षा ने उसकी बात का जवाब शांत स्वर में दिया था"क्या कह रही हो डार्लिंग?"गिरगिट की तरह रंग बदलते हुए वर्षा की तरफ खिसकते हुए प्यार से बोला।"सच कह रही हूँ।तुम अपनी कमी ...Read Moreहुए भी मुझे धोखा देने का प्रयास करते रहे।""यह झूठ है।जरूर तुम्हे कोई गलतफहमी हुई है।""पहले मैने भी इसे अपना भरम ही समझा था।पर जल्दी ही मेरा भरम विश्वास में बदल गया।फिर भी मैं चुप रही।""तुम मुझ पर झूंठा इल्जाम लगा रही हो।""यह इल्जाम नही हकीकत है।"वर्षा बोली"तुमने अपनी शारिरिक अक्षमता दूर करने के लिये शराब का सहारा लिया।शराब भी