Maut ka Chhalava book and story is written by Raj Roshan Dash in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Maut ka Chhalava is also popular in Adventure Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मौत का छलावा - Novels
by Raj Roshan Dash
in
Hindi Adventure Stories
सूर्यवंशी नाम है तेरा न बहुत सुना है मैने तुझे तेरी ताकत पर बहुत अंहकार है न, देख महाबली! तू और तेरी यह ताकत दोनों मेरे आगे विवश हो गये है। लगा अपनी ताकत और सिद्ध कर जी लोगों से कहता था और लोग जो तेरे बारे में कहते है वो दोनो बातें एकदम सत्य है, " कहकर वह कंकाल ठठाकर हंसा और सामने रख्खे विशाल स्वर्ण सिंहासन पर जाकर बैठ गया। उस कंकाल के सिर पर सोने का मुकुट था, हाथों मे भी उसने सोने के खड़े पहने हुए थे। शरीर पर उसके राजाओं की तरह कपड़े मौजूद थे उसकी शानो-शौकत किसी राजा से कम नही। वह पूरा नर कंकाल था शरीर पर कही भी गोश्त नही था, फिर भी वह मनुष्यों की तरह अंहकार से सराबोर था। मै उसके सामने एक कैदी था। एक ऐसा कैदी जिसके पूरे शरीर पर लाल रेशमी धागों की बनी रस्सियों जकड़ी हुई थी। मेरा शरीर चाहकर भी रत्ती भर हिल नही पा रहा था। दोनों हाथ लोहे के विशाल खम्भों से खींच कर उसी लाल रस्सी से बांधा हुआ था । पावों को भी उन्ही विशाल खम्भों से बांध दिया गया था। मैं जिसे अपनी ताकत खूब गरूर था, आज एक कैदी की तरह विवश होकर बंधा हुआ था ।
सूर्यवंशी नाम है तेरा न बहुत सुना है मैने तुझे तेरी ताकत पर बहुत अंहकार है न, देख महाबली! तू और तेरी यह ताकत दोनों मेरे आगे विवश हो गये है। लगा अपनी ताकत और सिद्ध कर जी लोगों ...Read Moreकहता था और लोग जो तेरे बारे में कहते है वो दोनो बातें एकदम सत्य है, " कहकर वह कंकाल ठठाकर हंसा और सामने रख्खे विशाल स्वर्ण सिंहासन पर जाकर बैठ गया। उस कंकाल के सिर पर सोने का मुकुट था, हाथों मे भी उसने सोने के खड़े पहने हुए थे। शरीर पर उसके राजाओं की तरह कपड़े मौजूद थे
इसने मुझे कैसे कैद किया और फिर उसके बाद क्या हुआ मुझे कुछ भी याद नहीं। मै तीन दिन से इसकी कैद में हूँ यह बात मुझे भली प्रकार याद है, यह सुबह शाम मेरी उन लाल रस्सियों को ...Read Moreनही कैसे ढीली कर देता और मै आराम से अपने दैनिक कर्म कर लेता और फिर यह भोजन के वक्त मुझे वैसे ही छोड़ता है। लेकिन यह लाल रस्सियाँ कभी भी मुझे मुक्त नहीं करती चाहे कुछ भी हो जाये। । वह कंकाल रोज सुबह शाम मेरे पास आता है और फिर कुछ देर मेरे साथ बहस बाजी करके चला
'उस खुदा के नेक बंदे ने, जिसके पास उस खुदा की दी हुई असीम " ताकते थी ने तुरंत मेरे उस कंकाल को साफ किया। फिर उसने अपनी ताकत के व्दारा मुझे मेरी आत्मा से जोड़ दिया। और फिर ...Read Moreमुझे बताया की मै तुम्हारे इस शरीर को भौतिक शरीर जैसा तो नहीं बना सकता पर इसमें असीम ताकते भर सकता हूँ, यह वैसे कार्य करेगा जैसे तुम्हारा भौतिक शरीर काम करता है । यह इतना ताकतवर हो जायेगा की इस धरती का रहने वाला शायद ही इसे हरा पायेगा। यह शायद मैने इसलिए लगा दिया कि इस धरती पर
" अरे महाबली तुम कैसे विचलित हो उठे ? तुम तो मेरे वह शिष्य हो जो मौत से भी भयभीत नही होता। भय की झील को मन से उलेच दो। तुम प्रयास का दामन मत छोड़ो वत्स जहां से ...Read Moreकी शुरूआत होती है वही पर उसका अंत भी रहता है। इसलिए तुम अपने समस्त आत्मबल को एकत्र करो। मुझे विश्वास है कि तुम निश्चित ही इस जाल से निकल जाओगे, " गुरू बाबा ने सूर्यवंशी को कहा।'एक दुखद खबर है तुम्हारे लिए सूर्यवंशी, मै चाहकर अपनी शक्तियों से भी तुम्हारी सहायता नही कर सकता। यह जो चक्र तुम्हारे इर्द-गिर्द