Safar se pahle hi book and story is written by Kishanlal Sharma in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Safar se pahle hi is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
सफर से पहले ही - Novels
by Kishanlal Sharma
in
Hindi Moral Stories
सूरज कब का दूर क्षितिज में ढल चुका था।शाम अपनी अंतिम अवस्था मे थी।आसमान से उतर रही अंधेरे की परतों ने धरती को अपने आगोश में समेटना शुरू कर दिया था।प्लेटफॉर्म नम्बर पांच के अंतिम छोर पर लगी बेंच पर राम लाल बैठा था।उसे देखकर ऐसा लग रहा था मानो वह गहरे सोच विचार में डूबा हो।
उसी समय सरला प्लेटफार्म पर आई।काफी दूर से पैदल चलकर आने के कारण वह थक गई थी।बेंच पर राम लाल को अकेले देखकर सरला बोली,"यहाँ कोई और भी बैठा है?'
"नही,"राम लाल ने सरला की तरफ देखे बिना जवाब दिया था।
"मैं बैठ जाऊ?
"हा"
राम लाल बेंच के एक चोर पर बैठा था।दूसरे छोर पर सरला बैठ गयी।उस प्लेटफार्म पर गिनी चुनी ट्रेनें ही आती थी।ट्रेन के आने से पहले इस प्लेटफार्म पर यात्री आने लगते और सुनसान पड़े प्लेटफ़ॉर्म पर अच्छी खासी चहल पहल हो जाती।ट्रेन के जाने के कुछ देर बाद फिर से सन्नाटा पसर जाता।सरला को प्यास लग रही थी।उसका गला सुख रहा था।बेंच से कुछ दूरी पर नल था।सरला उठी और नल खोल कर पानी पिया।पानी पीने के बाद वह वापस आई।तब भी रामलाल गर्दन झुकाए उसी तरह बैठा था।न हिलना न डुलना।
सूरज कब का दूर क्षितिज में ढल चुका था।शाम अपनी अंतिम अवस्था मे थी।आसमान से उतर रही अंधेरे की परतों ने धरती को अपने आगोश में समेटना शुरू कर दिया था।प्लेटफॉर्म नम्बर पांच के अंतिम छोर पर लगी बेंच ...Read Moreराम लाल बैठा था।उसे देखकर ऐसा लग रहा था मानो वह गहरे सोच विचार में डूबा हो।उसी समय सरला प्लेटफार्म पर आई।काफी दूर से पैदल चलकर आने के कारण वह थक गई थी।बेंच पर राम लाल को अकेले देखकर सरला बोली,"यहाँ कोई और भी बैठा है?'"नही,"राम लाल ने सरला की तरफ देखे बिना जवाब दिया था।"मैं बैठ जाऊ?"हा"राम लाल बेंच
डॉक्टर की बात सुनकर पति पत्नी निराश हो गए।हर औरत की साध होती है मातृत्व।माँ बनकर ही औरत सम्पूर्ण कहलाती है।इसलिये हर औरत माँ बनना चाहती है।वीणा भी यही चाहती थी।उसने सन्तान प्राप्ति के लिये व्रत उपवास किये।धार्मिक अनुष्ठान ...Read Moreके पास गई और गंडे ताबीज बंधे।मन्नते मांगी।जिसने जो भी उपाय बताया वो किया।न जाने कौन सा उपाय काम कर गया।शादी के दस साल बाद वीणा को उम्मीद बंधी और उसने एज बेटे को जन्म दिया।सन्तान होने पर पति पत्नी की खुसी का ठिकाना नही रहा।उन्होंने अपने बेटे का नाम विश्वास रखा।लम्बी प्रतीक्षा के बाद घर मे किलकरी गूंजी थी।इसलिए
उस दिन या तो राम लाल की भूखे ही सोना पड़ता या घर मे बासी बचा कुछ होता तो उससे काम चलाना पड़ता।सेवानीवर्ती से पहले राम लाल की एक आवाज पर दौड़ी चली आने वाली बहु नीलम अब सुना ...Read Moreकरने लगी।वह कोई बात कहते तो टालमटोल करती या उनसे झगड़ने भी लगी थी।उनसे उल्टा सीधा बोलने भी लगी।राम लाल को बहु का जुबान चलाना या उल्टा सीधा बोलना बुरा लगता था। उनके मन मे कई बार आता कि घर छोड़कर कहीं चले जाएं।लेकिन लोक लाज के कारण ऐसा कदम उठाने से डरते थे।और फिर अगर चले भी जाये तो
दोनो बेटे की नौकरी लगने पर खुश थे।उन्हें तो मानो मुह मांगी मुराद मिल गयी थी।नौकरी लगते ही दीपक के लिए रिश्ते आने लगे थे।हमारे यहाँ आज भी बेटा बेटी की शादी मा बाप ही करते है।दीपक के माता ...Read Moreभी चाहते थे कि वह शादी कर ले।दीपक को अपने साथ कालेज में पढ़ने वाली रेखा से प्यार हो गया।दीपक ने अपने प्यार के बारे में मा बाप को बताया मा बाप बेटे का दिल तोड़ने नही चाहते थे।उन्होंने बेटे की पसंद का ख्याल रखते हुए उसकी शादी रेखा से कर दी।शादी के बाद दीपक ने गांव आना छोड़ दिया।शादी
फिर एक दिन उसके कानों में भनक पड़ी की उसे वर्धआश्रम भेजने की तैयारी हो रही है।यह जानकर उसके कलेजे के टुकड़े हो गए।मा बाप बेटे के पैदा होने की चाहत इसलिए रखते है कि बेटा बुढ़ापे में उनका ...Read Moreबनेगा।बेटे के लिए मा बाप कुछ भी करने के लिए तैयार रहते है पर बुढापा आने पर बेटे को मा बाप बोझ लगने लगते है।बेटे को सरला ने ऐसा करने का मौका ही नही दिया।बेटा उसे वरदाश्रम छोड़कर आता उससे पहले ही सरला घर छोड़कर चली आयी।अपनी कहानी सुनाकर सरला भी चुप्प हो गयी।सरला और राम लाल के बीच मे