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भरोसा - Novels
by Gajendra Kudmate
in
Hindi Fiction Stories
सुबह का समय है, थंडी थंडी हवा चल रही है. चिडिया के शोर से सारा गाँव जाग गया है. सर सर आवाज के साथ बुधिया का आगमन हो गया है. हाँ! बुधिया, हमारी नायिका , हमारी यह कहानी एक गांव कि है. जहा एक छोटेसे घर में बुधिया रहती है. उस घर में वह अकेली हि रहती है. सुबह का वक्त है, बुधिया अपने घर के पिछवाडे आंगन में झाडू लगा रही है. तभी पडोसवाली चाची उसे पुकारती है, “ बुधिया ऐ बुधिया ! तभी बुधिया कहती है, हाँ चाची ! मै घर के पिछवाडे में हुं.” बोलते बोलते वह घर के आगे आ जाती है और कहती है, “हाँ चाची, बोलो कैसा हाल है?” चाची कहती है, “ अरे मेरा क्या हालचाल होगा, जैसा कल था वैसा हि आज भी है. वैसे मजे तो तुम जवान लोगो के होते है. हम बुढो को कोई पलटकर भी नही देखता है.” इतना कहकर दोनों जोर से हंस पडती है.
भरोसा भाग - १ सुबह का समय है, थंडी थंडी हवा चल रही है. चिडिया के शोर से सारा गाँव जाग गया है. सर सर आवाज के साथ बुधिया का आगमन हो गया है. हाँ! बुधिया, हमारी नायिका , ...Read Moreयह कहानी एक गांव कि है. जहा एक छोटेसे घर में बुधिया रहती है. उस घर में वह अकेली हि रहती है. सुबह का वक्त है, बुधिया अपने घर के पिछवाडे आंगन में झाडू लगा रही है. तभी पडोसवाली चाची उसे पुकारती है, “ बुधिया ऐ बुधिया ! तभी बुधिया कहती है, हाँ चाची ! मै घर के पिछवाडे में
भाग - २ चाय पिने के बाद चाची बुधिया से पुछती है,” बेटा, एक बात कहू ?” तो बुधिया कहती है, “ हाँ चाची, कहो ना इसमें पुछ्ने कि क्या बात है.” चाची बोलती है, “ बेटा मुझे रामदिन ...Read Moreबारे में बात कहनी है.” क्यों नही चाची, तुम मेरे बारे में साथ हि साथ इनके बारे में कोई भी बात कर सकती हो वह भी बिना झिजक के आखीर वह भी तो आपके बेटे के समान हि है.” तभी चाची कहती है, “ हा रे पगली , तो सून पहले मुझे बता रामदिन को शहर गये कितने दिन हुये
भाग - ३ बुधिया युं हि अपने खयालो में उलझी हुई अपने घर पर पहुंची थी. उसका दिल कुछ कह रहा था और दिमाग कुछ और. वह कभी यह सोचती कि गलत नंबर लग गया होगा, तो कभी सोचती ...Read Moreकि बात सही तो नही है. बेचारी दिन भर उस बात से परेशान होकर रह गयी. शाम को जब चाची खेत से घर लौट आयी तो बुधिया चाची के घर पर गयी. वहां जाकर उसने चाची को पुकारा, “ चाची ओ चाची,” घर के भीतर से चाची ने आवाज लगाई, “ हा बीटीया आयी.” कहकर चाची घर के बाहर आयी.
भाग - ४ गाड़ी धड धड दिन भर चलती रही, बुधिया का तो यह पहला सफर था तो वह निश्चिंत होकर सफर का मजा ले रही थी. लेकीन चाची बराबर से चारो तरफ नजर रखे हुये थी. क्यो कि ...Read Moreको किसी भी अनजाने लोगों पर भरोसा नही था. वह एकदम सतर्क और चौकन्नी थी. दोनो ने गाड़ी में हि खाना खाया और आपस में बाते करती रही. देखते हि देखते दिन ढलने लगा और गाड़ी भी शहर में पहुच गयी. गाड़ी शहर में पहुंच कर स्टेशन पर जाकर रुकी, सब लोग उतरने लगे तो चाची ने किसी से पुछा,
भाग - ५ थोडी देर में वह इन्स्पेक्टर और उसके दोनो साथी वापस लौटकर आ गये. उन्होने चाची से कहा, “ माई वह अंधेरे का फायदा लेकर भाग गये. यह उनका रोजका हि है. आये दिन वह युं हि ...Read Moreको लुटते है, हम भी परेशान हो गये है. आज मौका लगा था हात में लेकीन फिर से वह भागने में कामियाब हो गये.” उसके बाद फिर वह चाची से बोला, “ वैसे माई इतनी रात को तुम कहा से आ रही हो.” तब चाची ने उससे कहा, कि हम मांझी गाव से आये है, हम रामदिन को ढूढने आये