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यात्रा (केरल) - Novels
by महेश रौतेला
in
Hindi Travel stories
कोच्चि में हैं। अच्छा खासा नाश्ता खाया। मुन्नार की ओर कार दौड़े जा रही है। ड्राइवर ने कहा ये "पेरियार" नदी है। पहले सुना था अब देख रहा हूँ। पानी नदी में कम है। कार एक ऊँचे झरने पर रूकी। वहाँ अन्नानास आदि फल मिल रहे हैं। पर्यटक फोटो लेने में तल्लीन हैं। रिमझिम बारिश थोड़ी देर हुयी फिर रूक गयी। कार आगे बढ़ी। दूसरा झरना दिखा। प्राकृतिक सौन्दर्य अपने चरम पर लग रहा है। सितंबर का महिना ऐसा ही होता है। कार ड्राइवर को एक फोन आया और उसने कार पीछे मोड़ी और कहा आयुर्वेदिक बगान छूट गया है। बगान में एक महिला ने पूरे बगीचे में घुमाया और अलग-अलग प्रकार के तीस से अधिक औषधीय पौधों से अवगत कराया। मैंने उनसे कहा स्वामी रामदेव ने आयुर्वेद का बहुत प्रचार किया है। उन्होंने कहा यहाँ उन्हें कोई नहीं जानता है। महिला अच्छी खासी हिन्दी और गुजराती जानती है। बोली," मेरे बच्चे सूरत,गुजरात में हैं"।
यात्रा-१( केरल)कोच्चि में हैं। अच्छा खासा नाश्ता खाया। मुन्नार की ओर कार दौड़े जा रही है। ड्राइवर ने कहा ये "पेरियार" नदी है। पहले सुना था अब देख रहा हूँ। पानी नदी में कम है। कार एक ऊँचे झरने ...Read Moreरूकी। वहाँ अन्नानास आदि फल मिल रहे हैं। पर्यटक फोटो लेने में तल्लीन हैं। रिमझिम बारिश थोड़ी देर हुयी फिर रूक गयी। कार आगे बढ़ी। दूसरा झरना दिखा। प्राकृतिक सौन्दर्य अपने चरम पर लग रहा है। सितंबर का महिना ऐसा ही होता है। कार ड्राइवर को एक फोन आया और उसने कार पीछे मोड़ी और कहा आयुर्वेदिक बगान छूट गया