Pyar ki Batey book and story is written by SR Daily in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Pyar ki Batey is also popular in Love Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
प्यार की बातें - Novels
by SR Daily
in
Hindi Love Stories
‘कल जल्दी आ जाना.’’ ‘‘क्यों?’’ हयात ने पूछा. ‘‘कल से रेहान सर आने वाले हैं और हमारे मिर्जा सर रिटायर हो रहे हैं.’’ ‘‘कोशिश करूंगी, ’’ हयात ने जवाब तो दिया लेकिन उसे खुद पता नहीं था कि वह वक्त पर आ पाएगी या नहीं. दूसरे दिन रेहान सर ठीक 10 बजे औफिस में पहुंचे. हयात अपनी सीट पर नहीं थी. रेहान सर के आते ही सब लोगों ने खड़े हो कर गुडमौर्निंग कहा. रेहान सर की नजरों से एक खाली चेयर छूटी नहीं. ‘‘यहां कौन बैठता है?’’ ‘‘मिस हयात, आप की असिस्टैंट, सर, ’’ क्षितिज ने जवाब दिया. ‘‘ओके, वह जैसे ही आए उन्हें अंदर भेजो.’’ रेहान लैपटौप खोल कर बैठा था. कंपनी के रिकौर्ड्स चैक कर रहा था. ठीक 10 बज कर 30 मिनट पर हयात ने रेहान के केबिन का दरवाजा खटखटाया. ‘‘में आय कम इन, सर?’’ ‘‘यस प्लीज, आप की तारीफ?’’ ‘‘जी, मैं हयात हूं. आप की असिस्टैंट?’’ ‘‘मुझे उम्मीद है कल सुबह मैं जब आऊंगा तो आप की चेयर खाली नहीं होगी. आप जा सकती हैं.’’ हयात नजरें झुका कर केबिन से बाहर निकल आई. रेहान सर के सामने ज्यादा बात करना ठीक नहीं होगा, यह बात हयात को समझे में आ गई थी.
हयात कहानी‘‘कल जल्दी आ जाना.’’ ‘‘क्यों?’’ हयात ने पूछा. ‘‘कल से रेहान सर आने वाले हैं और हमारे मिर्जा सर रिटायर हो रहे हैं.’’ ‘‘कोशिश करूंगी, ’’ हयात ने जवाब तो दिया लेकिन उसे खुद पता नहीं था कि ...Read Moreवक्त पर आ पाएगी या नहीं. दूसरे दिन रेहान सर ठीक 10 बजे औफिस में पहुंचे. हयात अपनी सीट पर नहीं थी. रेहान सर के आते ही सब लोगों ने खड़े हो कर गुडमौर्निंग कहा. रेहान सर की नजरों से एक खाली चेयर छूटी नहीं. ‘‘यहां कौन बैठता है?’’ ‘‘मिस हयात, आप की असिस्टैंट, सर, ’’ क्षितिज ने जवाब दिया.
एक दिन अचानकलता दीदी की आत्महत्या की खबर ने मुझे अंदर तक हिला दिया था क्योंकि दीदी कायर कदापि नहीं थीं. फिर मुझे एक दिन दीदी का वह पत्र मिला जिस ने सारे राज खोल दिए और मुझे परेशानी ...Read Moreअसमंजस में डाल दिया कि क्या दीदी की आत्महत्या को मैं यों ही व्यर्थ जाने दूं? मैं बालकनी में पड़ी कुरसी पर चुपचाप बैठा था. जाने क्यों मन उदास था, जबकि लता दीदी को गुजरे अब 1 माह से अधिक हो गया है. दीदी की याद आती है तो जैसे यादों की बरात मन के लंबे रास्ते पर निकल पड़ती
बड़े भैयाबड़े भैया ने घूर कर देखा तो स्मिता सिकुड़ गई. कितनी कठिनाई से इतने दिनों तक रटा हुआ संवाद बोल पाई थी. अब बोल कर भी लग रहा था कि कुछ नहीं बोली थी. बड़े भैया से आंख ...Read Moreकर कोई बोले, ऐसा साहस घर में किसी का न था. ‘‘क्या बोला तू ने? जरा फिर से कहना, ’’ बड़े भैया ने गंभीरता से कहा. ‘‘कह तो दिया एक बार, ’’ स्मिता का स्वर लड़खड़ा गया. ‘‘कोई बात नहीं, ’’ बड़े भैया ने संतुलित स्वर में कहा, ‘‘एक बार फिर से कह. अकसर दूसरी बार कहने से अर्थ बदल