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दृष्टिकोण. - Novels
by Radha
in
Hindi Love Stories
रात की चांदनी रात में श्वेता अपनी नम आंखों से चांद को देख रही थी मन भरा हुआ था और खिड़की के पास रखी हुई स्टडी टेबल पर बैठी हुई थी जिस पर लैंप रखा हुआ था उसके दाएं हाथ में पेन और पेपर था जिससे कुछ लिखने की कोशिश कर रही थी लेकिन अंदर इतना कुछ भरा हु था की उसके हाथ भी साथ नहीं दे रहे थे उसे समझ नही आ रहा था की अपनी भावना केसे बयां करे इसीलिए लगातार चांद को देखे जा रही थी उसकी आंखो से आंसू निकल कर पेपर पर गिर रहे थे पेपर पर जगह जगह बूंदे गिरी हुई थी उसे तब पता ही नही चलता है कि कोई उसे उसके घर के बाहर लगे पेड़ के पीछे से लगातार देख रहा था इतनी देर में पीछे से आवाज मधुर सी आती हैं –दीदी ! क्या कर रही हो ?
श्वेता पीछे की ओर देखती है वहां 8 साल की उसकी छोटी बहन काव्या दरवाजे पर खड़ी हुई थी श्वेता लाइट चालू करती हैं और कहती हैं – अरे.... छोटी! तू वहां क्यों खड़ी हुई हो यहां आओ मेरे पास (अपने हाथो को फैलाते हुए)
काव्या श्वेता के पास जाकर कहती है – दीदी आप यहां क्यो बैठी हुई हो नीचे दादी खाना खाने के लिए बुला रही थी ।
रात की चांदनी रात में श्वेता अपनी नम आंखों से चांद को देख रही थी मन भरा हुआ था और खिड़की के पास रखी हुई स्टडी टेबल पर बैठी हुई थी जिस पर लैंप रखा हुआ था उसके दाएं ...Read Moreमें पेन और पेपर था जिससे कुछ लिखने की कोशिश कर रही थी लेकिन अंदर इतना कुछ भरा हु था की उसके हाथ भी साथ नहीं दे रहे थे उसे समझ नही आ रहा था की अपनी भावना केसे बयां करे इसीलिए लगातार चांद को देखे जा रही थी उसकी आंखो से आंसू निकल कर पेपर पर गिर रहे थे
अगले दिन सुबहश्वेता और काव्या सो रहे थे तभी काव्या को उसकी मां की आवाज आती है - काव्या बेटा उठो, सुबह हो गई है ।काव्या अपनी आंखे खोलती है वो अपने कमरे मे सोई हुई थी एक छोटी ...Read Moreमुस्कान के साथ उठ खड़ी होती हैं और पास ही सो रही श्वेता को कंबल ओढ़ा कर कमरे से मां मां करते हुए बाहर निकल जाती हैं कुछ देर बाद श्वेता उठती हैं और अपने पास सो रही काव्या को ढूंढने लगती हैं लेकिन वहां कोई नहीं था श्वेता इधर उधर देखती है उसे कोई नहीं दिखता है श्वेता उठ
अवि करन के घर के बाहर खड़ा होकर दरवाजे की घंटी बजाता है अंकल जी दरवाजा खोला कर कहते है - अवि हो ना ?? अवि - जी अंकल जी ।अंकल जी - करन अभी भी ऊपर कमरे में ...Read Moreहै किसी से बात नही कर रहा है तुम्हारा दोस्त है तुम्हारी बात मान जाए तो उसे समझाओ और नीचे ले कर आओ।अवि - हां, मै लेकर आता हु।जाते हुए अवि को पीछे से आवाज लगाते हुए अंकल जी कहते है - उसका ध्यान रखना।अवि जाते हुए - जी अंकल जी, प्यार से समझाऊंगा।अवि कमरे मे जाता है करन बिस्तर
कॉलेज से बाहर निकल श्वेता काव्या की स्कूल की ओर जाती हैं उसके साथ रावी होती हैं जो अभी भी यश की ही बाते कर रही होती हैं कुछ दूर जाने पर वो अलग होकर अपने घर चली जाती ...Read Moreऔर श्वेता अकेले ही पैदल पैदल आगे बढ़ती है सड़क पर काफी गाड़िया चल रही होती हैं और श्वेता सड़क के किनारे किनारे चुप चाप चले जा रही थी तभी उसकी नज़र सड़क किनारे कॉफी शॉप पर जाती है जहां एक परिवार बैठा हुआ था उसमे एक औरत थी जिसकी गोदी मे छोटा बच्चा था और उसका पति और उसका