Maafi book and story is written by Suresh Chaudhary in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Maafi is also popular in Short Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
माफी - Novels
by Suresh Chaudhary
in
Hindi Short Stories
दीवार घड़ी पर नजर पड़ते ही रामदयाल जी सोफे से उठ कर खड़े हो गए।
,, क्या हुआ,,। पत्नी ने पुछा
,, अरे कुछ नहीं हुआ, रात के बारह बज रहे हैं, सोना भी तो है,,। रामदयाल जी ने कहा
,, सच कह रहे हो, जब से सुधा अपनी ससुराल गई है, तब से उसे याद करते करते कब बारह बज जाते हैं, पता ही नहीं लगता, आप चलो मैं अभी आती हूं मैन गेट बंद करके,,। घुटने पर हाथ रखकर पत्नी गायत्री देवी ने उठने की कोशिश की।
,, ठीक है, टीवी भी बंद कर देना,,।
,, ट्रिन ट्रिन ट्रिन,,। लैंड लाईन फोन की रिंग टोन सुनकर रामदयाल के पैर बेड रूम के दरवाज़े पर ही कदम ठहर गए।
,, इस टाइम किसका फोन हो सकता है,,। बड़बड़ाते हुए रामदयाल ने फोन स्टेंड की ओर देखा।
,, देख लो, किसका है,,। मैन हाल के दरवाज़े को लॉक करते हुए गायत्री देवी ने कहा।
,, हैलो,,। रिसीवर उठाते हुए रामदयाल ने कहा
,, हैलो पापा जी मैं पंकज,,। दूसरी ओर से घबराई हुई आवाज सुनाई दी।
,, हां बेटे, तुम इस तरह से क्यों बोल रहे हो,,। पंकज की घबराई हुई आवाज सुनते ही रामदयाल बैचेन हो गया।
,, पापा जी, सुधा,,।
दीवार घड़ी पर नजर पड़ते ही रामदयाल जी सोफे से उठ कर खड़े हो गए।,, क्या हुआ,,। पत्नी ने पुछा,, अरे कुछ नहीं हुआ, रात के बारह बज रहे हैं, सोना भी तो है,,। रामदयाल जी ने कहा,, सच ...Read Moreरहे हो, जब से सुधा अपनी ससुराल गई है, तब से उसे याद करते करते कब बारह बज जाते हैं, पता ही नहीं लगता, आप चलो मैं अभी आती हूं मैन गेट बंद करके,,। घुटने पर हाथ रखकर पत्नी गायत्री देवी ने उठने की कोशिश की।,, ठीक है, टीवी भी बंद कर देना,,।,, ट्रिन ट्रिन ट्रिन,,। लैंड लाईन फोन की
,, चिंता मत करो, सुधा जी मैं आपके लिए सुमेश का कहीं से भी तलाश करके लाऊंगा,,। धीमी चाल से चलते हुए पंकज ने कहा।,, लेकिन बेटे मेने अभी बताया है कि सुमेश, यह शहर छोड़कर हमेशा के लिए ...Read Moreजा चुका है,,। सुधा के पापा ने अपने प्रत्येक शब्द पर जोर देते हुए कहा।।,, यह आपने कहा और मैने मान भी लिया, लेकिन,,। पंकज ने कहना चाहा, लेकिन राम दयाल ने आंखों से ईशारा करके पंकज को रोक दिया। इसी के साथ रामदयाल खड़ा हो कर रूम से बाहर जाते हुऐ,, मैं अभी आता हूं,,। पंकज समझ गया कि