Manto ki Vivadit Kahaniya by Saadat Hasan Manto | Read Hindi Best Novels and Download PDF Home Novels Hindi Novels मंटो की विवादित कहानियां - Novels Novels मंटो की विवादित कहानियां - Novels by Saadat Hasan Manto in Hindi Short Stories (529) 38.3k 86.1k 76 “मेरी तो आप ने ज़िंदगी हराम कर रखी है…. ख़ुदा करे मैं मर जाऊं।” “अपने मरने की दुआएं क्यों मांगती हो। मैं मर जाऊं तो सारा क़िस्सा पाक हो जाएगा...... कहो तो मैं अभी ख़ुदकुशी करने के लिए तैय्यार ...Read Moreयहां पास ही अफ़ीम का ठेका है। एक तौला अफ़ीम काफ़ी होगी।” “जाओ, सोचते क्या हो।” “जाता हूँ...... तुम उठो और मुझे...... मालूम नहीं एक तौला अफ़ीम कितने में आती है। तुम मुझे अंदाज़न दस रुपय दे दो।” “दस रुपय?” “हाँ भई...... अपनी जान गंवानी है..... दस रुपय ज़्यादा तो नहीं।” “मैं नहीं दे सकती।” “ज़रूर आप को अफ़ीम ख़ा के ही मरना है?” “संख्या भी हो सकता है।” “कितने में आएगा?” “मालूम नहीं...... मैंने आज तक कभी संख्या नहीं खाया।” “आप को हर चीज़ का इल्म है। बनते क्यों हैं?” “बना तुम मुझे रही हो........ भला मुझे ज़हरों की क़ीमतों के मुतअल्लिक़ क्या इल्म हो सकता है।” “आप को हर चीज़ का इल्म है।” Read Full Story Listen Download on Mobile New Episodes : Every Monday,Wednesday,Friday बाबू गोपीनाथ (20) 7.1k 11.3k बाबू गोपी नाथ से मेरी मुलाक़ात सन चालीस में हूई। उन दिनों मैं बंबई का एक हफ़तावारपर्चा एडिट किया करता था। दफ़्तर में अबदुर्रहीम सीनडो एक नाटे क़द के आदमी के साथ दाख़िल हुआ। मैं उस वक़्त लीड लिख ...Read Moreथा। सीनडो ने अपने मख़सूस अंदाज़ में बाआवाज़-ए-बुलंद मुझे आदाब किया और अपने साथी से मुतआरिफ़ कराया। “मंटो साहब! बाबू गोपी नाथ से मिलिए।” Listen Read बारिदा शिमाली 1.2k 2.2k दो गॉगल्स आईं। तीन बुश शर्टों ने उन का इस्तिक़बाल किया। बुश शर्टें दुनिया के नक़्शे बनी हुई थीं, उन पर परिंदे, चरिंदे, दरिंदे, फूल बूटे और कई मुल्कों की शक्लें बनी हुई थीं। दोनों गॉगल्स ने अपनी किताबें ...Read Moreपर रखीं। अपने डस्ट कौर उतारे और बुश शर्टों के बटन बन गईं। एक गूगल ने इस बुशशर्ट से जो ख़ालिस अमरीकी थी, कहा “आप का लिबास बड़ा वाहियात है।” Listen Read बारिश - (29) 3.5k 8.2k मूसलाधार बारिश हो रही थी और वो अपने कमरे में बैठा जल थल देख रहा था बाहर बहुत बड़ा लॉन था, जिस में दो दरख़्त थे। उन के सब्ज़ पत्ते बारिश में नहा रहे थे। उस को महसूस हुआ ...Read Moreवो पानी की इस यूरिश से ख़ुश होकर नाच रहे हैं। Listen Read बासित (26) 1.2k 2.3k बासित बिल्कुल रज़ामंद नहीं था, लेकिन माँ के सामने उस की कोई पेश न चली। अव्वल अव्वल तो उस को इतनी जल्दी शादी करने की कोई ख़ाहिश नहीं थी, इस के अलावा वो लड़की भी उसे पसंद नहीं थी ...Read Moreसे उस की माँ उस की शादी करने पर तुली हुई थी। वो बहुत देर तक टालता रहा। जितने बहाने बना सकता था। उस ने बनाए, लेकिन आख़िर एक रोज़ उस को माँ की अटल ख़ाहिश के सामने सर-ए-तस्लीम ख़म करना ही पड़ा। दर-अस्ल इंकार करते करते वो भी तंग आगया था। चुनांचे उस ने दिल में सोचा। “ये बकबक ख़त्म ही हो जाये तो अच्छा है होने दो शादी। कोई क़ियामत तो नहीं टूट पड़ेगी....... मैं निभा लूंगा”। Listen Read बिजली पहलवान (26) 1.1k 2.5k बिजली पहलवान के मुतअल्लिक़ बहुत से क़िस्से मशहूर हैं कहते हैं कि वो बर्क़-रफ़्तार था। बिजली की मानिंद अपने दुश्मनों पर गिरता था और उन्हें भस्म कर देता था लेकिन जब मैंने उसे मुग़ल बाज़ार में देखा तो वो ...Read Moreबेज़रर कद्दू के मानिंद नज़र आया बड़ा फुसफुस सा, तोंद बाहर निकली हुई, बंद बंद ढीले, गाल लटके हुए, अलबत्ता उस का रंग सुरख़-ओ-सफ़ैद था। Listen Read बिलाउज़ (31) 1.8k 3.3k कुछ दिनों से मोमिन बहुत बेक़रार था। उस को ऐसा महसूस होता था कि इस का वजूद कच्चा फोड़ा सा बन गया था। काम करते वक़्त, बातें करते हुए हत्ता कि सोचने पर भी उसे एक अजीब क़िस्म का ...Read Moreमहसूस होता था। ऐसा दर्द जिस को वो बयान भी करना चाहता। तो न कर सकता। Listen Read बिस्मिल्लाह (18) 955 2.2k फ़िल्म बनाने के सिलसिले में ज़हीर से सईद की मुलाक़ात हुई। सईद बहुत मुतअस्सिर हुआ। बंबई में उस ने ज़हीर को सेंट्रल स्टूडीयोज़ में एक दो मर्तबा देखा था और शायद चंद बातें भी की थीं मगर मुफ़स्सल मुलाक़ात ...Read Moreमर्तबा लाहौर में हुई। Listen Read बीगो (11) 1k 1.6k तसल्लीयां और दिलासे बेकार हैं। लोहे और सोने के ये मुरक्कब में छटांकों फांक चुका हूँ। कौन सी दवा है जो मेरे हलक़ से नहीं उतारी गई मैं आप के अख़्लाक़ का ममनून हूँ मगर डाक्टर साहब मेरी मौत ...Read Moreहै। आप कैसे कह रहे हैं कि मैं दिक़ का मरीज़ नहीं। क्या मैं हर रोज़ ख़ून नहीं थूकता? आप यही कहेंगे कि मेरे गले और दाँतों की ख़राबी का नतीजा है मगर मैं सब कुछ जानता हूँ। मेरे दोनों फेफड़े ख़ाना-ए-ज़ंबूर की तरह मुशब्बक हो चुके हैं। आप के इंजैक्शन मुझे दुबारा ज़िंदगी नहीं बख़्श सकते। देखिए मैं इस वक़्त आप से बातें कर रहा हूँ। मगर सीने पर एक वज़नी इंजन दौड़ता हुआ महसूस कर रहा हूँ। मालूम होता है कि मैं एक तारीक गढ़े में उतर रहा हूँ........ क़ब्र भी तो एक तारीक गढ़ा है। Listen Read बी-ज़मानी बेगम (24) 778 2.1k ज़मीन शक़ हो रही है। आसमान काँप रहा है। हर तरफ़ धुआँ ही धुआँ है। आग के शोलों में दुनिया उबल रही है। ज़लज़ले पर ज़लज़ले आ रहे हैं। ये क्या हो रहा है? “तुम्हें मालूम नहीं?” “नहीं तो।” ...Read Moreसुनो.... दुनिया भर को मालूम है।” “क्या?” “वही ज़मानी बेगम.... वो मोटी चडर।” “हाँ हाँ, क्या हुआ उसे!” “वही जो होता है लेकिन इस उम्र में श्रम नहीं आई बद-बख़्त को।” “ये बद-बख़्त ज़मानी बेगम है कौन?” Listen Read बुड्ढ़ा खूसट (17) 1.1k 3.9k ये जंग-ए-अज़ीम के ख़ातमे के बाद की बात है जब मेरा अज़ीज़ तरीन दोस्त लैफ़्टीनैंट कर्नल मोहम्मद सलीम शेख़ (अब) ईरान इराक़ और दूसरे महाज़ों से होता हुआ बमबई पहुंचा। उस को अच्छी तरह मालूम था, मेरा फ़्लैट कहाँ ...Read Moreहम में गाहे-गाहे ख़त-ओ-किताबत भी होती रहती थी लेकिन उस से कुछ मज़ा नहीं आता था इस लिए कि हर ख़त संसर होता है। इधर से जाये या उधर से आए अजीब मुसीबत थी। Listen Read बुर्क़े (23) 890 2k ज़हीर जब थर्ड एयर में दाख़िल हुआ तो उस ने महसूस किया कि उसे इश्क़ हो गया है...... और इश्क़ भी बहुत अशद क़िस्म का। जिस में अक्सर इंसान अपनी जान से भी हाथ धो बैठता है। Listen Read बू (32) 1.7k 6.4k बरसात के यही दिन थे। खिड़की के बाहर पीपल के पत्ते इसी तरह नहा रहे थे। सागवान के इस स्प्रिंगदार पलंग पर जो अब खिड़की के पास से थोड़ा इधर सरका दिया गया था एक घाटन लौंडिया रणधीर के ...Read Moreचिपटी हूई थी। Listen Read भंगन (19) 984 2k “परे हटिए.......” “क्यों?” “मुझे आप से बू आती है।” “हर इंसान के जिस्म की एक ख़ास बू होती है....... आज बीस बरसों के बाद तुम्हें इस से तनफ़्फ़ुर क्यों महसूस होने लगा?” “बीस बरस.......अल्लाह ही जानता है कि मैं ...Read Moreइतना तवील अर्सा कैसे बसर किया है।” “मैं ने कभी आप को इस अर्से में तकलीफ़ पहुंचाई?” Listen Read मंज़ूर (22) 742 1.3k जब उसे हस्पताल में दाख़िल किया गया तो उस की हलात बहुत ख़राब थी। पहली रात उसे ऑक्सीजन पर रखा गया। जो नर्स ड्यूटी पर थी, उस का ख़्याल था कि ये नया मरीज़ सुब्ह से पहले पहले मर ...Read Moreउस की नब्ज़ की रफ़्तार ग़ैर यक़ीनी थी। कभी ज़ोर ज़ोर से फड़फड़ाती और कभी लंबे लंबे वक़्फ़ों के बाद चलती थी। Listen Read मज़दूरी (18) 722 2k लूट खसूट का बाज़ार गर्म था। इस गर्मी में इज़ाफ़ा होगया। जब चारों तरफ़ आग भड़कने लगी। एक आदमी हारमोनियम की पेटी उठाए ख़ुश ख़ुश गाता जा रहा था...... जब तुम ही गए परदेस लगा कर ठेस ओ पीतम प्यारा, ...Read Moreमें कौन हमारा। एक छोटी उम्र का लड़का झोली में पापडों का अंबार डाले भागा जा रहा था...... ठोकर लगी तो पापडों की एक गड्डी उस की झोली में से गिर पड़ी। लड़का उसे उठाने के लिए झुका तो एक आदमी जिस ने सर पर सिलाई की मशीन उठाए हुए था उस से कहा। “रहने दे बेटा रहने दे। अपने आप भुन जाऐंगे”। Listen Read मजीद का माज़ी (12) 601 1.5k मजीद की माहाना आमदनी ढाई हज़ार रुपय थी। मोटर थी। एक आलीशान कोठी थी। बीवी थी। इस के इलावा दस पंद्रह औरतों से मेल जोल था। मगर जब कभी वो विस्की के तीन चार पैग पीता तो उसे अपना ...Read Moreयाद आजाता। वो सोचता कि अब वो इतना ख़ुश नहीं जितना कि पंद्रह बरस पहले था। जब इस के पास रहने को कोठी थी, ना सवारी के लिए मोटर। बीवी थी ना किसी औरत से उस की शनासाई थी। ढाई हज़ार रुपय तो एक अच्छी ख़ासी रक़म है। इन दिनों उस की आमदनी सिर्फ़ साठ रुपय माहवार थी। साठ रुपय जो उसे बड़ी मुश्किल से मिलते थे लेकिन इस के बावजूद वो ख़ुश था। उस की ज़िंदगी उफ़्तान-ओ-ख़ीज़ां हालात के होते हुए भी हमवार थी। Listen Read मन्तर (17) 923 2.6k नन्हा राम। नन्हा तो था, लेकिन शरारतों के लिहाज़ से बहुत बड़ा था। चेहरे से बेहद भोला भाला मालूम होता था। कोई ख़त या नक़्श ऐसा नहीं था जो शोख़ी का पता दे। उस के जिस्म का हर उज़ू ...Read Moreपन की हद तक मोटा था। जब चलता था तो ऐसा मालूम होता था कि फुटबाल लुढ़क रहा। उम्र ब-मुश्किल आठ बरस की होगी। मगर बला का ज़हीन और चालाक था। लेकिन उस की ज़ेहानत और चालाकी का पता उस के सरापा से लगाना बहुत मुश्किल था। मिस्टर शंकर-अचार्या एम ए, एल एल बी..... राम के पिता कहा करते थे कि “मुँह में राम राम और बग़ल में छुरी” वाली मिसाल इस राम ही के लिए बनाई गई है। Listen Read मम्मद भाई (11) 1.5k 2.8k फ़ारस रोड से आप उस तरफ़ गली में चले जाइए जो सफ़ेद गली कहलाती है तो उस के आख़िरी सिरे पर आप को चंद होटल मिलेंगे। यूँ तो बंबई में क़दम क़दम पर होटल और रेस्तोराँ होते हैं मगर ...Read Moreरेस्तोराँ इस लिहाज़ से बहुत दिलचस्प और मुनफ़रिद हैं कि ये उस इलाक़े में वाक़े हैं जहाँ भांत भांत की लौंडियां बस्ती हैं। Listen Read मम्मी 1.5k 2.8k नाम इस का मिसिज़ स्टेला जैक्सन था मगर सब उसे मम्मी कहते थे। दरमयाने क़द की अधेड़ उम्र की औरत थी। उस का ख़ाविंद जैक्सन पिछली से पिछली जंग-ए-अज़ीम में मारा गया था उस की पैंशन स्टेला को क़रीब ...Read Moreदस बरस से मिल रही थी। Listen Read मलबे का ढेर (16) 687 2.1k कामिनी के ब्याह को अभी एक साल भी न हुआ था कि उस का पति दिल के आरिज़े की वजह से मर गया और अपनी सारी जायदाद उस के लिए छोड़ गया। कामिनी को बहुत सदमा पहुंचा, इस लिए ...Read Moreवो जवानी ही में बेवा हो गई थी। उस की माँ अर्सा हुआ उस के बाप को दाग़-ए-मुफ़ारिक़त दे गई थी। अगर वो ज़िंदा होती तो कामिनी उस के पास जा कर ख़ूब रोती ताकि उसे दम दिलासा मिले। लेकिन उसे मजबूरन अपने बाप के पास जाना पड़ा जो काठियावाड़ में बहुत बड़ा कारोबारी आदमी था। Listen Read महताब ख़ाँ 525 1.2k शाम को मैं घर बैठा अपनी बच्चियों से खेल रहा था कि दोस्त ताहिर साहब बड़ी अफरा-तफरी में आए। कमरे में दाख़िल होते ही आप ने मैंटल पीस पर से मेरा फोंटेन पेन उठा कर मेरे हाथ में थमाया ...Read Moreकहा कि “हस्पताल में किसी डाक्टर के नाम एक चिट लिख दीजिए।” Listen Read महमूदा (21) 795 1.8k मुस्तक़ीम ने महमूदा को पहली मर्तबा अपनी शादी पर देखा। आरसी मसहफ़ की रस्म अदा हो रही थी कि अचानक उस को दो बड़ी बड़ी.......ग़ैर-मामूली तौर पर बड़ी आँखें दिखाई दीं.......ये महमूदा की आँखें थीं जो अभी तक कुंवारी ...Read More Listen Read माई जनते 640 1.7k माई जनते स्लीपर ठपठपाती घिसटती कुछ इस अंदाज़ में अपने मैले चकट में दाख़िल हुई ही थी कि सब घर वालों को मालूम हो गया कि वो आ पहुंची है। वो रहती उसी घर में थी जो ख़्वाजा करीम ...Read Moreमरहूम का था अपने पीछे काफ़ी जायदाद एक बेवा और दो जवान बच्चियां छोड़ गया था आदमी पुरानी वज़ा का था। जूंही ये लड़कियां नौ दस बरस की हुईं उन को घर की चार दीवारी में बिठा दिया और पहरा भी ऐसा कि वो खिड़की तक के पास खड़ी नहीं हो सकतीं मगर जब वो अल्लाह को प्यारा हुआ तो उन को आहिस्ता आहिस्ता थोड़ी सी आज़ादी हो गई अब वह लुक छुप के नावेल भी पढ़ती थीं। Listen Read माई नानकी 633 1.5k इस दफ़ा मैं एक अजीब सी चीज़ के मुतअल्लिक़ लिख रहा हूँ। ऐसी चीज़ जो एक ही वक़्त में अजीब-ओ-ग़रीब और ज़बरदस्त भी है। मैं असल चीज़ लिखने से पहले ही आप को पढ़ने की तरग़ीब दे रहा हूँ। ...Read Moreकी वजह ये है कि कहीं आप कल को न कह दें कि हम ने चंद पहली सुतूर ही पढ़ कर छोड़ दिया था। क्योंकि वो ख़ुश्क सी थीं। आज इस बात को क़रीब क़रीब तीन माह गुज़र गए हैं कि मैं माई नानकी के मुतअल्लिक़ कुछ लिखने की कोशिश कर रहा था। Listen Read मातमी जलसा 543 1.6k रात रात में ये ख़बर शहर के इस कोने से उस कोने तक फैल गई कि अतातुर्क कमाल मर गया है। रेडियो की थरथराती हुई ज़बान से ये सनसनी फैलाने वाली ख़बर ईरानी होटलों में सट्टे बाज़ों ने सुनी ...Read Moreचाय की प्यालियां सामने रखे आने वाले नंबर के बारे में क़ियास दौड़ा रहे थे और वो सब कुछ भूल कर कमाल अतातुर्क की बड़ाई में गुम हो गए। Listen Read मिर्ज़ा ग़ालिब कि हशमत ख़ाँ के घर दावत (14) 656 2k जब हशमत ख़ां को मालूम होगया है कि चौधवीं (डोमनी) उस के बजाय मिर्ज़ा ग़ालिब की मुहब्बत का दम भर्ती है। हालाँकि वो उस की माँ को हर महीने काफ़ी रुपय देता है और क़रीब क़रीब तय हो चुका ...Read Moreकि उस की मिसी की रस्म बहुत जल्द बड़े एहतिमाम से अदा करदी जाएगी, तो उस को बड़ा ताऊ आया। उस ने सोचा कि मिर्ज़ा नौशा को किसी न किसी तरह ज़लील किया जाये। चुनांचे एक दिन मिर्ज़ा को रात को अपने यहां मदऊ किया। Listen Read मिलावट (19) 1k 3.7k अमृतसर में अली मोहम्मद की मनियारी की दुकान थी छोटी सी मगर उस में हर चीज़ मौजूद थी उस ने कुछ इस क़रीने से सामान रखा था कि ठुंसा ठुंसा दिखाई नहीं देता था। अमृतसर में दूसरे दुकानदार ब्लैक ...Read Moreथे मगर अली मोहम्मद वाजिबी नर्ख़ पर अपना माल फ़रोख़्त करता था यही वजह है कि लोग दूर दूर से उस के पास आते और अपनी ज़रूरत की चीज़ें ख़रीदा करते। Listen Read मिस अडना जैक्सन (16) 550 1.1k कॉलिज की पुरानी प्रिंसिपल के तबादले का एलान हुआ, तालिबात ने बड़ा शोर मचाया। वो नहीं चाहती थीं कि उन की महबूब प्रिंसिपल उन के कॉलेज से कहीं और चली जाये। बड़ा एहतिजाज हुआ। यहाँ तक कि चंद लड़कियों ...Read Moreभूक हड़ताल भी की, मगर फ़ैसला अटल था....... उन का जज़बाती पन थोड़े अर्से के बाद ख़त्म हो गया। Listen Read मिस टीन वाला (13) 1.3k 2.2k अपने सफ़ैद जूतों पर पालिश कररहा था कि मेरी बीवी ने कहा। “ज़ैदी साहब आए हैं!” मैंने जूते अपनी बीवी के हवाले किए और हाथ धो कर दूसरे कमरे में चला आया जहां ज़ैदी बैठा था मैंने उस की ...Read Moreगौरसे देखा। “अरे ! क्या होगया है तुम्हें?” ज़ैदी ने अपने चेहरे को शगुफ़्ता बनाने की नाकाम कोशिश करते हुए जवाब दिया। “बीमार रहा हूँ।” मैं उस के पास कुर्सी पर बैठ गया। “बहुत दुबले होगए हो यार। मैंने तो पहले पहचाना ही नहीं था तुम्हें....... क्या बीमारी थी?” Listen Read मिस फ़र्या 754 1.4k शादी के एक महीने बाद सुहेल परेशान होगया। उस की रातों की नींद और दिन का चैन हराम होगया। उस का ख़याल था कि बच्चा कम अज़ कम तीन साल के बाद पैदा होगा मगर अब एक दम ये ...Read Moreकरके उस के पांव तले की ज़मीन निकल गई कि जिस बच्चे का उस को वहम-ओ-गुमान भी नहीं था उस की बुनियाद रखी जा चुकी है। Listen Read हजामत (18) 1k 2.8k “मेरी तो आप ने ज़िंदगी हराम कर रखी है…. ख़ुदा करे मैं मर जाऊं।” “अपने मरने की दुआएं क्यों मांगती हो। मैं मर जाऊं तो सारा क़िस्सा पाक हो जाएगा...... कहो तो मैं अभी ख़ुदकुशी करने के लिए तैय्यार हूँ। ...Read Moreपास ही अफ़ीम का ठेका है। एक तौला अफ़ीम काफ़ी होगी।” “जाओ, सोचते क्या हो।” “जाता हूँ...... तुम उठो और मुझे...... मालूम नहीं एक तौला अफ़ीम कितने में आती है। तुम मुझे अंदाज़न दस रुपय दे दो।” Listen Read More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Novel Episodes Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Humour stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Social Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business 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