Manto ki Vivadit Kahaniya book and story is written by Saadat Hasan Manto in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Manto ki Vivadit Kahaniya is also popular in Short Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मंटो की विवादित कहानियां - Novels
by Saadat Hasan Manto
in
Hindi Short Stories
“मेरी तो आप ने ज़िंदगी हराम कर रखी है…. ख़ुदा करे मैं मर जाऊं।” “अपने मरने की दुआएं क्यों मांगती हो। मैं मर जाऊं तो सारा क़िस्सा पाक हो जाएगा...... कहो तो मैं अभी ख़ुदकुशी करने के लिए तैय्यार हूँ। यहां पास ही अफ़ीम का ठेका है। एक तौला अफ़ीम काफ़ी होगी।” “जाओ, सोचते क्या हो।” “जाता हूँ...... तुम उठो और मुझे...... मालूम नहीं एक तौला अफ़ीम कितने में आती है। तुम मुझे अंदाज़न दस रुपय दे दो।” “दस रुपय?” “हाँ भई...... अपनी जान गंवानी है..... दस रुपय ज़्यादा तो नहीं।” “मैं नहीं दे सकती।” “ज़रूर आप को अफ़ीम ख़ा के ही मरना है?” “संख्या भी हो सकता है।” “कितने में आएगा?” “मालूम नहीं...... मैंने आज तक कभी संख्या नहीं खाया।” “आप को हर चीज़ का इल्म है। बनते क्यों हैं?” “बना तुम मुझे रही हो........ भला मुझे ज़हरों की क़ीमतों के मुतअल्लिक़ क्या इल्म हो सकता है।” “आप को हर चीज़ का इल्म है।”
बाबू गोपी नाथ से मेरी मुलाक़ात सन चालीस में हूई। उन दिनों मैं बंबई का एक हफ़तावारपर्चा एडिट किया करता था। दफ़्तर में अबदुर्रहीम सीनडो एक नाटे क़द के आदमी के साथ दाख़िल हुआ। मैं उस वक़्त लीड लिख ...Read Moreथा। सीनडो ने अपने मख़सूस अंदाज़ में बाआवाज़-ए-बुलंद मुझे आदाब किया और अपने साथी से मुतआरिफ़ कराया। “मंटो साहब! बाबू गोपी नाथ से मिलिए।”
दो गॉगल्स आईं। तीन बुश शर्टों ने उन का इस्तिक़बाल किया। बुश शर्टें दुनिया के नक़्शे बनी हुई थीं, उन पर परिंदे, चरिंदे, दरिंदे, फूल बूटे और कई मुल्कों की शक्लें बनी हुई थीं।
दोनों गॉगल्स ने अपनी किताबें ...Read Moreपर रखीं। अपने डस्ट कौर उतारे और बुश शर्टों के बटन बन गईं।
एक गूगल ने इस बुशशर्ट से जो ख़ालिस अमरीकी थी, कहा “आप का लिबास बड़ा वाहियात है।”
मूसलाधार बारिश हो रही थी और वो अपने कमरे में बैठा जल थल देख रहा था बाहर बहुत बड़ा लॉन था, जिस में दो दरख़्त थे। उन के सब्ज़ पत्ते बारिश में नहा रहे थे। उस को महसूस हुआ ...Read Moreवो पानी की इस यूरिश से ख़ुश होकर नाच रहे हैं।
बासित बिल्कुल रज़ामंद नहीं था, लेकिन माँ के सामने उस की कोई पेश न चली। अव्वल अव्वल तो उस को इतनी जल्दी शादी करने की कोई ख़ाहिश नहीं थी, इस के अलावा वो लड़की भी उसे पसंद नहीं थी ...Read Moreसे उस की माँ उस की शादी करने पर तुली हुई थी। वो बहुत देर तक टालता रहा। जितने बहाने बना सकता था। उस ने बनाए, लेकिन आख़िर एक रोज़ उस को माँ की अटल ख़ाहिश के सामने सर-ए-तस्लीम ख़म करना ही पड़ा। दर-अस्ल इंकार करते करते वो भी तंग आगया था। चुनांचे उस ने दिल में सोचा। “ये बकबक ख़त्म ही हो जाये तो अच्छा है होने दो शादी। कोई क़ियामत तो नहीं टूट पड़ेगी....... मैं निभा लूंगा”।
बिजली पहलवान के मुतअल्लिक़ बहुत से क़िस्से मशहूर हैं कहते हैं कि वो बर्क़-रफ़्तार था। बिजली की मानिंद अपने दुश्मनों पर गिरता था और उन्हें भस्म कर देता था लेकिन जब मैंने उसे मुग़ल बाज़ार में देखा तो वो ...Read Moreबेज़रर कद्दू के मानिंद नज़र आया बड़ा फुसफुस सा, तोंद बाहर निकली हुई, बंद बंद ढीले, गाल लटके हुए, अलबत्ता उस का रंग सुरख़-ओ-सफ़ैद था।